जागरण संवाददाता, हरदोई: समायोजन रद्द होने के बाद से चल रहे
शिक्षामित्रों का आंदोलन अब लखनऊ की तरफ कूच कर गया है। सोमवार को लखनऊ
पहुंचने की घोषणा के बाद रविवार से ही शिक्षामित्र रवाना होने
लगे। वहीं शिक्षामित्रों की लखनऊ में भीड़ न जमा होने देने के लिए पुलिस और प्रशासन भी सक्रिय हो गया है। रात 12 बजे से ही ड्यूटी लगा दी गई और शिक्षामित्रों की तलाश होती रही।
समायोजन रद्द होने के बाद शिक्षामित्रों को प्रदेश सरकार ने 15 दिन का आश्वासन दिया था। राह देखने के बाद उनकी मांग के अनुरूप नहीं मिला तो फिर से जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन किया था। धरना प्रदर्शन और पैदल मार्च कर ज्ञापन दिया लेकिन सरकार नहीं जागी। इसके बाद शनिवार को ही शिक्षामित्रों ने लखनऊ कूच करने का एलान कर दिया था। शिक्षामित्रों को आशंका थी कि उन्हें रोका जाएगा तो रविवार को भी विभिन्न माध्यमों से लखनऊ रवाना होने लगे। वहीं शिक्षामित्रों को रोकने के लिए पुलिस भी सक्रिय हो गई। बस अड्डों से लेकर रेलवे स्टेशन पर फोर्स लगाई गई। हालांकि शिक्षामित्र नेता मनीराम राजपूत और संतोष शुक्ला, अरुण दीक्षित आदि का कहना है कि भारी संख्या में शिक्षामित्र लखनऊ पहुंच भी चुके हैं।
अपने घरों में नहीं रुके शिक्षामित्र नेता
शिक्षामित्रों को अंदेशा था कि उन्हें लखनऊ जाने से रोका जाएगा तो पहले से ही उन लोगों ने तैयारी कर ली थी। शिक्षामित्र नेताओं ने तो पूरी योजना बना ली। जिन नेताओं पर पुलिस की नजर थी वह अपने घरों में रुके ही नहीं। अधिकांश तो लखनऊ चले गए और जो नहीं जा पाए वह सोमवार की सुबह निकलने के लिए दूसरों के घरों में रुके।
भविष्य को लेकर शिक्षामित्र परेशान
शिक्षामित्र ऐसे ही परेशान नहीं हैं। उन्हें भविष्य की ¨चता सता रही है। शिक्षामित्रों का कहना है कि जिसका उन्होंने सपना देखा था वह पूरा भी हुआ लेकिन टूट गया। अब वही नहीं उनके परिवार परेशान हैं। उनका कहना है कि बच्चों की पढ़ाई से लेकर परिवार की गृहस्थी कैसे चलेगी।
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लगे। वहीं शिक्षामित्रों की लखनऊ में भीड़ न जमा होने देने के लिए पुलिस और प्रशासन भी सक्रिय हो गया है। रात 12 बजे से ही ड्यूटी लगा दी गई और शिक्षामित्रों की तलाश होती रही।
समायोजन रद्द होने के बाद शिक्षामित्रों को प्रदेश सरकार ने 15 दिन का आश्वासन दिया था। राह देखने के बाद उनकी मांग के अनुरूप नहीं मिला तो फिर से जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन किया था। धरना प्रदर्शन और पैदल मार्च कर ज्ञापन दिया लेकिन सरकार नहीं जागी। इसके बाद शनिवार को ही शिक्षामित्रों ने लखनऊ कूच करने का एलान कर दिया था। शिक्षामित्रों को आशंका थी कि उन्हें रोका जाएगा तो रविवार को भी विभिन्न माध्यमों से लखनऊ रवाना होने लगे। वहीं शिक्षामित्रों को रोकने के लिए पुलिस भी सक्रिय हो गई। बस अड्डों से लेकर रेलवे स्टेशन पर फोर्स लगाई गई। हालांकि शिक्षामित्र नेता मनीराम राजपूत और संतोष शुक्ला, अरुण दीक्षित आदि का कहना है कि भारी संख्या में शिक्षामित्र लखनऊ पहुंच भी चुके हैं।
अपने घरों में नहीं रुके शिक्षामित्र नेता
शिक्षामित्रों को अंदेशा था कि उन्हें लखनऊ जाने से रोका जाएगा तो पहले से ही उन लोगों ने तैयारी कर ली थी। शिक्षामित्र नेताओं ने तो पूरी योजना बना ली। जिन नेताओं पर पुलिस की नजर थी वह अपने घरों में रुके ही नहीं। अधिकांश तो लखनऊ चले गए और जो नहीं जा पाए वह सोमवार की सुबह निकलने के लिए दूसरों के घरों में रुके।
भविष्य को लेकर शिक्षामित्र परेशान
शिक्षामित्र ऐसे ही परेशान नहीं हैं। उन्हें भविष्य की ¨चता सता रही है। शिक्षामित्रों का कहना है कि जिसका उन्होंने सपना देखा था वह पूरा भी हुआ लेकिन टूट गया। अब वही नहीं उनके परिवार परेशान हैं। उनका कहना है कि बच्चों की पढ़ाई से लेकर परिवार की गृहस्थी कैसे चलेगी।
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