इलाहाबाद : शिक्षक भर्ती के नये आयोग में अध्यक्ष पांच व सदस्य का कार्यकाल तीन साल तय होने के आसार हैं। सभी को केवल एक बार ही पद पर रहने का अवसर मिलेगा, उनका दोबारा चयन नहीं हो सकेगा।
इन अहम पदों की अर्हता भी लगभग फाइनल हो गई है लेकिन, शासन के अफसर नये आयोग के प्रस्तावित ड्राफ्ट से पूरी तरह से सहमत नहीं थे, इसलिए उसे पुनरीक्षित किए जाने का निर्देश हुआ है। संशोधित प्रस्ताव इसी सप्ताह शासन को सौंपा जाना है। 1प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती के लिए नया आयोग बनाया जाना है। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र और उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग उप्र का पहले चरण में विलय हो रहा है, इन दोनों के कर्मचारी व अन्य संपत्तियां नये आयोग के अधीन होंगी। इसके लिए दो अलग-अलग समितियां बनी हैं। ड्राफ्ट समिति ने विलय और नये आयोग के लिए प्रस्ताव पिछले दिनों शासन को सौंपा था, उस पर बुधवार को अफसरों की बैठक हुई। इसमें तमाम बिंदुओं पर शासन सहमत नहीं दिखा। इसलिए प्रस्ताव को पुनरीक्षित करने को कहा गया है और संशोधित प्रस्ताव इसी सप्ताह मांगा गया है। अफसरों में नये आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की अर्हता व कार्यकाल को लेकर विशेष जिज्ञासा रही है। उस पर बैठक में काफी देर तक मंथन हुआ। इसमें फिलहाल यह तय हुआ कि अध्यक्ष पांच व सदस्य तीन साल तक पद पर रह सकेंगे। उन्हें दोबारा मौका नहीं मिलेगा। अब तक चयन बोर्ड आदि में कई सदस्यों को दो-दो साल के दो कार्यकाल मिल जाया करते रहे हैं। वहीं, उम्र सीमा दोनों के लिए अधिकतम 65 वर्ष होगी। यह भी चर्चा हुई कि सदस्यों में दो विशेष सचिव, दो संयुक्त शिक्षा निदेशक और दो न्यायिक सेवा के बड़े अफसर रखे जा सकते हैं। साथ ही बाकी छह सदस्य महाविद्यालय में प्राचार्य या फिर उसकी समकक्ष अर्हता वाले शिक्षाविद होंगे। इतना ही नहीं अध्यक्ष की अर्हता विश्वविद्यालय के कुलपति या उसके समकक्ष की होगी।
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इन अहम पदों की अर्हता भी लगभग फाइनल हो गई है लेकिन, शासन के अफसर नये आयोग के प्रस्तावित ड्राफ्ट से पूरी तरह से सहमत नहीं थे, इसलिए उसे पुनरीक्षित किए जाने का निर्देश हुआ है। संशोधित प्रस्ताव इसी सप्ताह शासन को सौंपा जाना है। 1प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती के लिए नया आयोग बनाया जाना है। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र और उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग उप्र का पहले चरण में विलय हो रहा है, इन दोनों के कर्मचारी व अन्य संपत्तियां नये आयोग के अधीन होंगी। इसके लिए दो अलग-अलग समितियां बनी हैं। ड्राफ्ट समिति ने विलय और नये आयोग के लिए प्रस्ताव पिछले दिनों शासन को सौंपा था, उस पर बुधवार को अफसरों की बैठक हुई। इसमें तमाम बिंदुओं पर शासन सहमत नहीं दिखा। इसलिए प्रस्ताव को पुनरीक्षित करने को कहा गया है और संशोधित प्रस्ताव इसी सप्ताह मांगा गया है। अफसरों में नये आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की अर्हता व कार्यकाल को लेकर विशेष जिज्ञासा रही है। उस पर बैठक में काफी देर तक मंथन हुआ। इसमें फिलहाल यह तय हुआ कि अध्यक्ष पांच व सदस्य तीन साल तक पद पर रह सकेंगे। उन्हें दोबारा मौका नहीं मिलेगा। अब तक चयन बोर्ड आदि में कई सदस्यों को दो-दो साल के दो कार्यकाल मिल जाया करते रहे हैं। वहीं, उम्र सीमा दोनों के लिए अधिकतम 65 वर्ष होगी। यह भी चर्चा हुई कि सदस्यों में दो विशेष सचिव, दो संयुक्त शिक्षा निदेशक और दो न्यायिक सेवा के बड़े अफसर रखे जा सकते हैं। साथ ही बाकी छह सदस्य महाविद्यालय में प्राचार्य या फिर उसकी समकक्ष अर्हता वाले शिक्षाविद होंगे। इतना ही नहीं अध्यक्ष की अर्हता विश्वविद्यालय के कुलपति या उसके समकक्ष की होगी।
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