शिक्षामित्रों की स्कूल वापसी पर जहां राज्य सरकार खुश है तो एक दूसरा तबका भी है जो मायूस है। ये बीएड-टीईटी पास युवा हैं जो समायोजन रद्द होने के बाद इन पदों पर अपना दावा पेश कर रहे हैं।
टीईटी संघर्ष मोर्चा ने बीते दिनों शासन में अधिकारियों से मिल कर शिक्षामित्रों की गैरमौजूदगी में निशुल्क पढ़ाने का भी प्रस्ताव दिया था। टीईटी पास लगभग एक लाख युवा अब आंदोलन पर उतर आए हैं और गाहे-बगाहे प्रदर्शन भी कर रहे हैं। ये वे युवा हैं जो बीटीसी / बीएड के बाद टीईटी पास कर चुके हैं और नियुक्तियों के इंतजार में हैं। संघर्ष मोर्चे के बैनर तले ही शिक्षा मित्रों का समायोजन रद्द करने संबंधी याचिका दायर की गई थी। अब मोर्चा नियुक्तियों में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी के लिए सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है। न केवल शासन में बल्कि ज्यादातर जिलों में भी जिलाधिकारियों को अपना प्रस्ताव सौंपा है। वहीं वे केन्द्रीय मंत्रियों और सांसदों को भी शिक्षा मित्रों के मामले के कानूनी दांवपेंच समझा रहे हैं। संघर्ष मोर्चा के प्रमुख हिमांशु राणा का कहना है कि हमारी नजर इस पूरे मामले पर है। यदि सरकार ने शिक्षा मित्रों को कोई अतिरिक्त लाभ देने की कोशिश की तो हम फिर इसका विरोध करेंगे। जब प्रदेश में योग्य शिक्षकों की कमी नहीं तो फिर इनसे बच्चों को शिक्षामित्रों से क्यों पढ़वाया जा रहा है। ये युवा 2015 से खासे सक्रिय हैं। सितम्बर 2015 में हाईकोर्ट में समायोजन रद्द होने के बाद से लगातार ये संघर्ष कर रहे हैं। बीते दो वर्षों में इन युवाओं ने न सिर्फ प्रदेश में अपना संख्या बल दिखाने की कोशिश की बल्कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी अपनी धमक दिखाई और जंतर-मंतर पर रैली कर अपना दावा पेश किया। मानव संसाधन मंत्री से लेकर यूपी के जनप्रतिनिधियों से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा।
स्कूल बंद हुआ तो अध्यापकों पर होगी कार्रवाई
शिक्षामित्रों की स्कूल वापसी के बाद विभाग ने भी सख्त रुख अपनाया है। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने निर्देश दिए हैं कि समायोजित हुए शिक्षामित्रों की स्कूल वापसी के बाद स्कूलों में पठन-पाठन नियमित रूप से हो। यदि किसी भी दशा में स्कूल बंद हुए या वहां पढ़ाई नहीं हुई तो वहां के अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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टीईटी संघर्ष मोर्चा ने बीते दिनों शासन में अधिकारियों से मिल कर शिक्षामित्रों की गैरमौजूदगी में निशुल्क पढ़ाने का भी प्रस्ताव दिया था। टीईटी पास लगभग एक लाख युवा अब आंदोलन पर उतर आए हैं और गाहे-बगाहे प्रदर्शन भी कर रहे हैं। ये वे युवा हैं जो बीटीसी / बीएड के बाद टीईटी पास कर चुके हैं और नियुक्तियों के इंतजार में हैं। संघर्ष मोर्चे के बैनर तले ही शिक्षा मित्रों का समायोजन रद्द करने संबंधी याचिका दायर की गई थी। अब मोर्चा नियुक्तियों में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी के लिए सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है। न केवल शासन में बल्कि ज्यादातर जिलों में भी जिलाधिकारियों को अपना प्रस्ताव सौंपा है। वहीं वे केन्द्रीय मंत्रियों और सांसदों को भी शिक्षा मित्रों के मामले के कानूनी दांवपेंच समझा रहे हैं। संघर्ष मोर्चा के प्रमुख हिमांशु राणा का कहना है कि हमारी नजर इस पूरे मामले पर है। यदि सरकार ने शिक्षा मित्रों को कोई अतिरिक्त लाभ देने की कोशिश की तो हम फिर इसका विरोध करेंगे। जब प्रदेश में योग्य शिक्षकों की कमी नहीं तो फिर इनसे बच्चों को शिक्षामित्रों से क्यों पढ़वाया जा रहा है। ये युवा 2015 से खासे सक्रिय हैं। सितम्बर 2015 में हाईकोर्ट में समायोजन रद्द होने के बाद से लगातार ये संघर्ष कर रहे हैं। बीते दो वर्षों में इन युवाओं ने न सिर्फ प्रदेश में अपना संख्या बल दिखाने की कोशिश की बल्कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी अपनी धमक दिखाई और जंतर-मंतर पर रैली कर अपना दावा पेश किया। मानव संसाधन मंत्री से लेकर यूपी के जनप्रतिनिधियों से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा।
स्कूल बंद हुआ तो अध्यापकों पर होगी कार्रवाई
शिक्षामित्रों की स्कूल वापसी के बाद विभाग ने भी सख्त रुख अपनाया है। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने निर्देश दिए हैं कि समायोजित हुए शिक्षामित्रों की स्कूल वापसी के बाद स्कूलों में पठन-पाठन नियमित रूप से हो। यदि किसी भी दशा में स्कूल बंद हुए या वहां पढ़ाई नहीं हुई तो वहां के अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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