हिन्दुस्तान टीम, लखनऊ । शिक्षामित्रों ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार उनके साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। अध्यापक पात्रता परीक्षा 2017 का पेपर आईएएस परीक्षा के स्तर का था।
सरकार का यह प्रयास शिक्षामित्रों के खिलाफ था। उन्होंने मांग की है कि शिक्षक भर्ती में शिक्षामित्रों को लिखित परीक्षा से छूट देते हुए शैक्षिक गुणांक में भारांक देकर भर्ती की जाए।
आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही ने कहा है कि प्रदेश सरकार ने बहुत ही जल्दबाजी में टीईटी की परीक्षा का कार्यक्रम घोषित किया और एक माह के अंदर आवेदन आदि की प्रक्रिया पूरी करके परीक्षा कराई। वहीं शिक्षामित्रों को तैयारी के लिए पूरा समय ही नहीं दिया गया। शिक्षामित्रों को स्कूल की ड्यूटी बजाते हुए ही परीक्षा की तैयारी करनी थी। वहीं जो टीईटी के लिए कोचिंग शुरू की गई थी वह भी मनमाने ढंग से चलाई गई।
उप्र दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि शिक्षामित्रों ने पूरे समय स्कूल में रहकर शिक्षण कार्य किया। उसके बावजूद प्रदेश सरकार ने अपनी पूरी हठधर्मिता अपनाते हुए माहौल को पूरी तरह से भयावह बना दिया कि ज्यादातर शिक्षामित्र अवसादग्रस्त हो गए। सरकार की यह तानाशाही शिक्षामित्र याद रखेंगे। ऊपर से हितों की रक्षा का आश्वासन देने वाली सरकार ने शिक्षामित्रों की पीठ में छुरा भोंका है।
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सरकार का यह प्रयास शिक्षामित्रों के खिलाफ था। उन्होंने मांग की है कि शिक्षक भर्ती में शिक्षामित्रों को लिखित परीक्षा से छूट देते हुए शैक्षिक गुणांक में भारांक देकर भर्ती की जाए।
आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही ने कहा है कि प्रदेश सरकार ने बहुत ही जल्दबाजी में टीईटी की परीक्षा का कार्यक्रम घोषित किया और एक माह के अंदर आवेदन आदि की प्रक्रिया पूरी करके परीक्षा कराई। वहीं शिक्षामित्रों को तैयारी के लिए पूरा समय ही नहीं दिया गया। शिक्षामित्रों को स्कूल की ड्यूटी बजाते हुए ही परीक्षा की तैयारी करनी थी। वहीं जो टीईटी के लिए कोचिंग शुरू की गई थी वह भी मनमाने ढंग से चलाई गई।
उप्र दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि शिक्षामित्रों ने पूरे समय स्कूल में रहकर शिक्षण कार्य किया। उसके बावजूद प्रदेश सरकार ने अपनी पूरी हठधर्मिता अपनाते हुए माहौल को पूरी तरह से भयावह बना दिया कि ज्यादातर शिक्षामित्र अवसादग्रस्त हो गए। सरकार की यह तानाशाही शिक्षामित्र याद रखेंगे। ऊपर से हितों की रक्षा का आश्वासन देने वाली सरकार ने शिक्षामित्रों की पीठ में छुरा भोंका है।
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