शिक्षामित्रों के केस में उत्तराखंड ने आरटीई संशोधन का उठाया लाभ

उत्तराखंड हाइकोर्ट के कोर्ट आर्डर का लाभ वहां के शिक्षामित्रों को वहां की सरकार ने आरटीई एक्ट संशोधन हो जाने पर दिया है। यूपी सरकार ने इस दिशा में कोई क़दम इसलिये नहीं उठाया क्योंकि राज्य सरकार पहले ही शिक्षामित्रों के खिलाफ थी।
आप को केशव प्रसाद मौर्या और लक्ष्मीकांत वाजपेयी के 3 साल पुराने विरोधी स्वर याद होंगे। जो लोग ये सोचते हो कि बीजेपी का वर्तमान विरोध इसका ज़िम्मेदार है तो वे ग़लतफ़हमी में हैं। सरकार बनने से पहले से शिक्षामित्र आँखों की कीरकिरी थे। सिर्फ इतना ही नहीं 25 जुलाई के बाद एक सप्ताह के अख़बार इस बात की गवाही देते हैं कि यूपी सरकार बिना शिक्षामित्र विरोध के ही अख़बार में बयान जारी कर देती है कि हम कोर्ट के आदेश का पालन कराएँगे। जबकि तब तक शिक्षामित्रो द्वारा सरकार का कोई विरोध नहीं किया गया था।तब ये नहीं कहती के हम रिव्यू में जायेंगे और न ये के सर्कार पुनः नियमितीकरण नियमानुसार करेगी।

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