इलाहाबाद उत्तर प्रदेश में शिक्षक बनने के लिए अब डीएड की डिग्री ही मान्य होगी।
इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश जारी किया था। इसे लेकर शासनादेश
भी आ गया है। अब बेसिक शिक्षा सेवा नियमावली 1981 में संशोधन किया जाएगा।
68500 शिक्षकों के पद की होने वाली हैं भर्तियां
शासनादेश जारी होने के बाद अब जल्द ही उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली 1981 में भी इसके लिए संशोधन किया जाएगा। डीएड को मान्य करने के लिए बेसिक शिक्षा परिषद ने प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा था, जिसे मंजूरी मिल गई है। इससे 68500 शिक्षकों की जल्द होने जा रही भर्ती में डीएड डिग्रीधारकों को भी मौका मिल सकेगा।
एनसीटीई ने पहले उठाया था कदम
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने पहले ही डीएड को परिषदीय स्कूलों में सहायक अध्यापक के लिए मान्य प्रशिक्षण अर्हता तय कर दिया था। लेकिन प्रदेश में डीएड डिग्रीधारकों को सहायक अध्यापक पद पर होने वाली भर्ती में शामिल होने की अनुमति नहीं थी। इसी को लेकर कई याचिकाएं इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर की गई थी। जिस पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने प्रदेश सरकार को डीएड डिग्रीधारकों को सहायक अध्यापक भर्ती में शामिल करने का आदेश दिया था। इसे लेकर अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा की कोर्ट में पेशी की नौबत भी आ गई। तब जाकर बेसिक शिक्षा परिषद के प्रस्ताव को मंजूरी मिली और 18 नवंबर को इस मामले में शासनादेश जारी किया गया।
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68500 शिक्षकों के पद की होने वाली हैं भर्तियां
शासनादेश जारी होने के बाद अब जल्द ही उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली 1981 में भी इसके लिए संशोधन किया जाएगा। डीएड को मान्य करने के लिए बेसिक शिक्षा परिषद ने प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा था, जिसे मंजूरी मिल गई है। इससे 68500 शिक्षकों की जल्द होने जा रही भर्ती में डीएड डिग्रीधारकों को भी मौका मिल सकेगा।
एनसीटीई ने पहले उठाया था कदम
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने पहले ही डीएड को परिषदीय स्कूलों में सहायक अध्यापक के लिए मान्य प्रशिक्षण अर्हता तय कर दिया था। लेकिन प्रदेश में डीएड डिग्रीधारकों को सहायक अध्यापक पद पर होने वाली भर्ती में शामिल होने की अनुमति नहीं थी। इसी को लेकर कई याचिकाएं इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर की गई थी। जिस पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने प्रदेश सरकार को डीएड डिग्रीधारकों को सहायक अध्यापक भर्ती में शामिल करने का आदेश दिया था। इसे लेकर अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा की कोर्ट में पेशी की नौबत भी आ गई। तब जाकर बेसिक शिक्षा परिषद के प्रस्ताव को मंजूरी मिली और 18 नवंबर को इस मामले में शासनादेश जारी किया गया।
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