गोंडा। जन सुनवाई (आईजीआरएस) पोर्टल पर की जाने वाली शिकायतों के निस्तारण
में शिथिलता बरतने पर जिले के दस बीईओ व साक्षरता समन्वयक फंस गए हैं।
जनसुनवाई (आईजआरएस) पोर्टल पर की जाने वाली शिकायतों का निस्तारण शासन की शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल है। इस पोर्टल पर आने वाली शिकायतों को निर्धारित समय सीमा के भीतर निस्तारित करने का निर्देश है।
मगर बेसिक शिक्षा विभाग के खंड शिक्षा अधिकारी इन शिकायतों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इस लापरवाही से जन सुनवाई पोर्टल पर की गई शिकायतें कई ब्लाकों में बड़ी संख्या में लंबित पड़ी हुई हैं। समीक्षा के दौरान पता चला कि खंड शिक्षा अधिकारियों ने नियमित रुप से इसकी समीक्षा नहीं की जिससे तमाम शिकायतें लंबित होने के कारण डिफाल्टर की श्रेणी में पहुंच गई हैं।
बीईओ की शिथिलता पर बीएसए संतोष कुमार देव पांडेय ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होने शिकायतों का निस्तारण में लापरवाही बरतने वाले तरबगंज, बेलसर, मनकापुर, कर्नलगंज, पंडरीकृपाल, हलधरमऊ, इटियाथोक, नवाबगंज, बभनजोत व परसपुर के खंड शिक्षा अधिकारियों को नोटिस जारी कर 24 नवंबर तक सभी लंबित शिकायतों का निस्तारण करने का निर्देश दिया है। निर्धारित समय सीमा में शिकायतों का निस्तारण न होने पर विभागीय कार्रवाई की चेतावनी दी है।
समायोजित शिक्षामित्रों का मानदेय अटका
गोंडा। पंडरीकृपाल व मुजेहना के समायोजित शिक्षामित्रों की अक्तूबर माह की उपस्थिति न मिलने से जिले भर के समायोजित शिक्षामित्रों का मानदेय अटक गया है। इन दोनों ब्लाकों का चार्ज खंड शिक्षा अधिकारी यज्ञ नरायन वर्मा के पास है।
बीइओ को ही हर माह शिक्षामित्रों की उपस्थिति को प्रमाणित कर उसे विभाग को उपलब्ध कराना होता है मगर बीईओ ने इन दोनों ब्लाकों में कार्यरत समायोजिता शिक्षामित्रों की उपस्थिति नहीं भेजी। सर्व शिक्षा अभियान के सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी डा रमेश चंद्र चौबे ने बताया कि बीईओ की शिथिलता से शिक्षामित्रों का मानदेय अटका हुआ है।
नहीं भेजी बिना मान्यता वाले स्कूलों की सूचना
गोंडा। बीईओ की शिथिल कार्यशैली ने बिना मान्यता वाले स्कूलों के संचालन की सूचना देने के मामले में भी विभाग की किरकिरी कराई है। बेसिक शिक्षा निदेशक ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से बिना मान्यता के संचालित हो रहे स्कूलों की सूची 13 नवंबर तक मांगी थी।
इस पर बीएसए ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को उनके क्षेत्र में संचालित हो रहे बिना मान्यता वाले स्कूलों की सूची तैयार कर विभाग को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था मगर किसी बीईओ ने इस निर्देश का पालन नहीं किया।
जिससे शासन को इन स्कूलों की सूचना नहीं भेजी जा सकी। बेसिक शिक्षा निदेशक ने इस पर आपत्ति जताते हुए 30 नवंबर तक बीएसए से बिना मान्यता वाले स्कूलों की सूचना तलब की है। बीएसए ने बताया कि सभी बीईओ को सूची उपलब्ध कराने के लिए अंतिम रुप से निर्देशित किया गया है।
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जनसुनवाई (आईजआरएस) पोर्टल पर की जाने वाली शिकायतों का निस्तारण शासन की शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल है। इस पोर्टल पर आने वाली शिकायतों को निर्धारित समय सीमा के भीतर निस्तारित करने का निर्देश है।
मगर बेसिक शिक्षा विभाग के खंड शिक्षा अधिकारी इन शिकायतों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इस लापरवाही से जन सुनवाई पोर्टल पर की गई शिकायतें कई ब्लाकों में बड़ी संख्या में लंबित पड़ी हुई हैं। समीक्षा के दौरान पता चला कि खंड शिक्षा अधिकारियों ने नियमित रुप से इसकी समीक्षा नहीं की जिससे तमाम शिकायतें लंबित होने के कारण डिफाल्टर की श्रेणी में पहुंच गई हैं।
बीईओ की शिथिलता पर बीएसए संतोष कुमार देव पांडेय ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होने शिकायतों का निस्तारण में लापरवाही बरतने वाले तरबगंज, बेलसर, मनकापुर, कर्नलगंज, पंडरीकृपाल, हलधरमऊ, इटियाथोक, नवाबगंज, बभनजोत व परसपुर के खंड शिक्षा अधिकारियों को नोटिस जारी कर 24 नवंबर तक सभी लंबित शिकायतों का निस्तारण करने का निर्देश दिया है। निर्धारित समय सीमा में शिकायतों का निस्तारण न होने पर विभागीय कार्रवाई की चेतावनी दी है।
समायोजित शिक्षामित्रों का मानदेय अटका
गोंडा। पंडरीकृपाल व मुजेहना के समायोजित शिक्षामित्रों की अक्तूबर माह की उपस्थिति न मिलने से जिले भर के समायोजित शिक्षामित्रों का मानदेय अटक गया है। इन दोनों ब्लाकों का चार्ज खंड शिक्षा अधिकारी यज्ञ नरायन वर्मा के पास है।
बीइओ को ही हर माह शिक्षामित्रों की उपस्थिति को प्रमाणित कर उसे विभाग को उपलब्ध कराना होता है मगर बीईओ ने इन दोनों ब्लाकों में कार्यरत समायोजिता शिक्षामित्रों की उपस्थिति नहीं भेजी। सर्व शिक्षा अभियान के सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी डा रमेश चंद्र चौबे ने बताया कि बीईओ की शिथिलता से शिक्षामित्रों का मानदेय अटका हुआ है।
नहीं भेजी बिना मान्यता वाले स्कूलों की सूचना
गोंडा। बीईओ की शिथिल कार्यशैली ने बिना मान्यता वाले स्कूलों के संचालन की सूचना देने के मामले में भी विभाग की किरकिरी कराई है। बेसिक शिक्षा निदेशक ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से बिना मान्यता के संचालित हो रहे स्कूलों की सूची 13 नवंबर तक मांगी थी।
इस पर बीएसए ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को उनके क्षेत्र में संचालित हो रहे बिना मान्यता वाले स्कूलों की सूची तैयार कर विभाग को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था मगर किसी बीईओ ने इस निर्देश का पालन नहीं किया।
जिससे शासन को इन स्कूलों की सूचना नहीं भेजी जा सकी। बेसिक शिक्षा निदेशक ने इस पर आपत्ति जताते हुए 30 नवंबर तक बीएसए से बिना मान्यता वाले स्कूलों की सूचना तलब की है। बीएसए ने बताया कि सभी बीईओ को सूची उपलब्ध कराने के लिए अंतिम रुप से निर्देशित किया गया है।
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