62,470 शिक्षकों की भर्ती पर सस्पेंस जारी, अब शिक्षा विभाग में...

इलाहाबाद. पारिषदीय विद्यालयों में 68500 शिक्षकों की भर्ती कब होगी यह अभी तय नहीं है। हालांकि परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने परीक्षा का प्रारूप तैयार कर शासन को भेज दिया है लेकिन प्रदेशभर के प्राथमिक विद्यालयों में 62, 470 शिक्षकों की कमी है।
शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द होने के बाद अचानक शिक्षकों का कमी होने का असर पठन-पाठन पर पड़ रहा है।

प्रदेश सरकार प्राथमिक शिक्षा पर भारी-भरकम रकम खर्च करती है। लेकिन शिक्षकों की कमी लगातार बनी हुई है। इसकी वजह से विद्यालयों में शिक्षक कार्य प्रभावित हो रहा है। स्थिति यह है कि बड़ी संख्या में प्राथमिक विद्यालय एक या दो शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। शिक्षकों की सबसे ज्यादा कमी सीतापुर में है। यहां दो हजार शिक्षकों की आवश्यकता है। इसी तरह कुशीनगर में 1950, गोंड़ा में 1450 और इलाहाबाद में 1400 शिक्षकों की कमी है। इसी तरह अन्य जिलों की भी हालत खराब है।

छुट्टी ली तो स्कूल बंद करने की नौबत
एकलविद्यालयों के शिक्षकों को यदि किसी दिन आवश्यक कार्य अथवा बीमारी के कारण छुट्टी लेनी पड़ती है तो ऐसे में उस दिन स्कूल को बंद करने की नौबत जाती है। वहीं एकल शिक्षक पर संस्था प्रधान का दायित्व होने से स्कूल के पूरे रिकार्ड का संधारण करना, बैठकों में भी जाना पड़ता है। कुल मिलाकर एकल विद्यालय रामभरोसे चल रहे हैं।


26 जुलाई को हुआ था शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द
योग्य शिक्षकों की नितांत आवश्यकता बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बतौर सहायक शिक्षक शिक्षामित्रों के समायोजन को 26 जुलाई 2017 को निरस्त कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया था। हालांकि शीर्ष अदालत ने शिक्षामित्रों को राहत देते हुए कहा था कि अगर ये शिक्षामित्र टीईटी (सहायक शिक्षक के लिए जरूरी अर्हता) पास हैं या भविष्य में पास कर लेते हैं तो सहायक शिक्षकों के लिए होने वाली दो नियुक्ति प्रक्रिया में उन पर विचार किया जाना चाहिए। साथ ही यह भी कहा था कि राज्य सरकार चाहे तो समायोजन के पूर्व की स्थिति में शिक्षामित्रों की सेवा जारी रख सकती है। लेकिन इसके बाद भी स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई को लेकर वही हाल है।

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