नई शिक्षक भर्ती नीति से शिक्षामित्रों में हड़कंप

मैनपुरी। नई शिक्षा नीति ने बीटीसी प्रशिक्षुओं व शिक्षा मित्रों के लिए बड़ी दिक्कत खड़ी कर दी है। अब शिक्षक बनने के लिए सभी अभ्यर्थियाें को टेट पास करने के बाद दूसरी परीक्षा में 60 फीसदी अंक लाने होंगे। इस पर बीटीसी प्रशिक्षुओं ने भी नाराजगी प्रकट करते हुए बदलाव की मांग की है।

नई शिक्षा नीति में शिक्षकों की गुणवत्ता को सुधारने के लिए सरकार ने शिक्षा नीति में बदलाव किया है। इससे शिक्षा के स्तंभ को और भी मजबूत किया जा सके। नई नीति के तहत शिक्षक बनने वाले अभ्यर्थियों को दो परीक्षाओं से गुजरना पड़ेगा।

पहली परीक्षा में उन्हें टेट की परीक्षा निर्धारित अंक लाकर पास करनी होगी। तो वहीं दूसरी परीक्षा के लिए भी 60 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता को पूरा करना पड़ेगा। इसकी जानकारी मिलने के बाद अभ्यर्थियों में हड़कंप मचा हुआ है। बीटीसी प्रशिक्षुओं के साथ शिक्षा मित्रों ने भी नई शिक्षा नीति को लेकर नाराजगी प्रकट की है।

अभ्यर्थियों का कहना है कि टीईटी में जब अंकों की अनिवार्यता है। तो फिर अंतिम परीक्षा में केवल 33 प्रतिशत अंक ही पास मार्किंग होने चाहिए।

शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन ब्लाक अध्यक्ष् ाविनीत चौहान ने कहा कि शिक्षक बनने के लिए जब टीईटी पास करना जरूरी है। तो इसमें 60 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता का निर्णय उचित नहीं है।

शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन प्रदेश महिला कार्यकारिणी की सदस्य सुमन यादव ने कहा कि शिक्षा मित्रों को भारांक देने की बात कही गई थी। लेकिन अब इससे सरकार पल्ला झाड़ती नजर आ रही है। सरकार को शिक्षा मित्रों को मुख्य परीक्षा में भारांक देने चाहिए।

बीएसए विजय प्रताप सिंह ने कहा कि शिक्षा में गुणवत्ता से समझौता नहीं होना चाहिए। नई शिक्षा नीति जो भी शासन ने द्वारा सोच समझकर लागू की जा रही है। हालंकि अभी नीति में क्या-क्या है उन्हें प्राप़्त नहीं हुआ है।
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