एससी-एसटी क्रीमी लेयर के दायरे में नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस पर हलफनामा दाखिल करने को कहा

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने एससी-एसटी आरक्षण से क्रीमी लेयर बाहर करने की मांग का विरोध करते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर का सिद्धांत लागू नहीं होता। कोर्ट ने इस पर केंद्र सरकार से हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है।
मामले की जुलाई के दूसरे सप्ताह में फिर होगी। 1 सुप्रीम कोर्ट मे समता आंदोलन समिति की याचिका लंबित है जिसमें अनसूचित जाति-जनजाति (एससी-एसटी) आरक्षण से क्रीमी लेयर को बाहर किए जाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि एससी-एसटी को मिलने वाले आरक्षण का ज्यादातर लाभ इस वर्ग के ऊपर उठ चुके लोग ही ले लेते हैं जिससे कि वास्तविक जरूरतमंद लाभ पाने से वंचित रह जाते हैं।
 बुधवार को जब मामला मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र की पीठ के समक्ष के लिए आया तो केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी पीएस नरसिम्हा ने कहा कि एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर का फॉमरूला लागू नहीं होता। उन्होंने कहा कि क्रीमी लेयर का सिद्धांत पिछड़े वर्ग को दिए जाने वाले आरक्षण में लागू होता है। एससी-एसटी पर ये फॉमरूला लागू नहीं होता क्योंकि एससी-एसटी तो पूरा वर्ग ही पिछड़ा है। इसलिए सरकार एससी- एसटी को मिलने वाले लाभों में कोई कटौती नहीं करने जा रही है। इन दलीलों पर कोर्ट ने सरकार को इस बारे में हलफनामा दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने हलफनामा दाखिल करने के लिए सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है। इसके बाद चार सप्ताह में याचिकाकर्ता सरकार के जवाबी हलफनामे का उत्तर दाखिल करेंगे। मामले पर जुलाई के दूसरे सप्ताह में फिर होगी। 1 याचिका में एससी-एसटी आरक्षण से क्रीमी लेयर को बाहर करने की मांग करते हुए कहा गया है कि पूरे एससी- एसटी वर्ग को पिछड़ा मानना ठीक नहीं है वो भी लगातार 70 सालों से। इस वर्ग को मिलने वाले आरक्षण का लाभ कुछ लोग ही ले लेते हैं और बाकी के 95 फीसद लोग वैसे ही पिछड़े और वंचित रह जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस पर हलफनामा दाखिल करने को कहा
याचिका में एससी-एसटी आरक्षण से क्रीमी लेयर को बाहर करने की मांग

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