इलाहाबाद : संस्कृत माध्यमिक कालेजों में अध्यापकों और प्रधानाध्यापकों
की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा कराए जाने का खाका खिंचने लगा है। शिक्षा
निदेशक माध्यमिक की ओर से यूपी बोर्ड को भेजे गए पत्र में इसका प्रस्ताव
मांगा गया है।
संस्कृत कालेजों में शिक्षकों की लिखित परीक्षा कराए जाने की जिम्मेदारी
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को मिली है। योगी सरकार के इस अहम निर्णय
से अन्य माध्यमिक कालेजों व यूपी बोर्ड से संचालित संस्कृत माध्यमिक
स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति में अंतर समाप्त हो जाएगा। शासन के
संयुक्त सचिव शत्रुंजय कुमार सिंह ने शिक्षा निदेशक माध्यमिक डा. अवध नरेश
शर्मा को पिछले दिनों ही निर्देश दिया है कि उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद की
ओर से संचालित सहायता प्राप्त प्रथमा, पूर्व मध्यमा और उत्तर मध्यमा
पाठशालाओं के प्रधानाध्यापकों व अन्य अध्यापकों का चयन अब लिखित परीक्षा के
माध्यम से होगा। शासन ने कहा था कि यदि चयन बोर्ड की नियमावली में किसी
तरह के संशोधन की जरूरत हो तो उसका परीक्षण करके संशोधन प्रस्ताव तत्काल
उपलब्ध कराएं। यदि इसकी आवश्यकता नहीं है तो अविलंब रिक्त पदों का ब्योरा
चयन बोर्ड को भेजा जाए। बुधवार को यूपी बोर्ड की सचिव नीना श्रीवास्तव ने
बताया कि शिक्षा निदेशक डा. अवध नरेश शर्मा की ओर से मिले पत्र में
प्रस्ताव भेजने के लिए कहा गया है। प्रस्ताव शीघ्र ही भेज दिया जाएगा।
बताया कि संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के
आधार पर की जाएगी। इसके लिए नियमावली में कुछ संशोधन की आवश्यकता है।
शैक्षिक मेरिट से होती रही है भर्ती : अभी तक माध्यमिक शिक्षा परिषद उप्र
प्रदेश की ओर से संचालित सहायता प्राप्त संस्कृत कालेजों में शिक्षकों व
प्रधानाध्यापकों की भर्ती शैक्षिक मेरिट व साक्षात्कार के आधार पर ही होती
आई है। चूंकि योगी सरकार ने सभी भर्तियां केवल साक्षात्कार के आधार पर ही न
कराकर लिखित परीक्षा के आधार पर कराने का निर्णय लिया है इसलिए इस निर्णय
के दायरे में अब संस्कृत शिक्षकों की भर्ती को भी लाया गया है।
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