उन्नाव. प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षामित्रों को उनके
मूल विद्यालय में भेजे जाने के आदेश पर शिक्षामित्रों में मिली जुली
प्रतिक्रिया है।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ ने प्रदेश सरकार
के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यदि इसके सात अस्थाई करण करने का
निर्णय ले लेते तो ज्यादा अच्छा होता उन्होंने कहा कि शिक्षामित्रों की
मांग थी की 62 साल 12 महीने सम्मानित मानदेय दिया जाए।
25 जुलाई के बाद क्या होगी स्थिति
वही तमाम शिक्षामित्र प्रदेश सरकार के द्वारा लिए गए इस निर्णय को जहां
से चले थे वहीं पहुंच गए बताते हुए कटाक्ष कर रहे हैं। कटाक्ष की यह भाषा
सोशल मीडिया पर जोरों पर चल रही है। कोई इसे घर वापसी बता रहा है तो कोई
इसे 25 जुलाई के बाद अपने आप को सिर्फ शिक्षामित्र बता रहा है। इस प्रकार
की कड़ी प्रतिक्रिया के बीच तमाम शिक्षामित्रों का मानना है कि मूल
विद्यालय में वापसी करने के बाद सरकार के साथ अपनी लड़ाई लड़ी जाए। गौरतलब
है शिक्षामित्रों का समायोजन के बाद दूसरी जगह स्थानांतरण हो गया था। जिसके
बाद शिक्षामित्र जनपद के अंदर ही सैकड़ों किलोमीटर का आवागमन कर रहे थे।
इसमें कई शिक्षामित्र दुर्घटना का शिकार भी हो चुके हैं। जिसका भी जिक्र आज
हो रहा है।
संघ ने बताया सकारात्मक कदम
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिला अध्यक्ष सुधाकर तिवारी
ने बताया कि प्रदेश सरकार का यह कदम शिक्षामित्रों के लिए सकारात्मक कदम के
रूप में देखा जा सकता है। जिससे प्रदेश सरकार की संवेदनशीलता सामने आती
है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की संवेदनशील सरकार इसके साथ ही यदि अस्थाई
समाधान का निर्णय ले लेते तो शिक्षामित्रों की असमंजस की स्थिति खत्म हो
जाती है। उनका कहना था कि सरकार स्थाई समाधान के रूप में 62 साल और 12
महीने मानदेय का निर्णय भी मान ले। उन्होंने कहा कि या कोई अन्य मॉडल जो
भारत सरकार या विभिन्न राज्यों में अपनाए जा रहे हैं के हिसाब से
शिक्षामित्रों के लिए कोई स्थाई समाधान निकाल देते तो यह शिक्षामित्रों के
लिए संजीवनी साबित होता। अभी शिक्षामित्र असमंजस स्थिति में है कि मूल
विद्यालय में वापसी के बाद उनकी क्या स्थिति होगी। प्रदेश सरकार
शिक्षामित्रों के सामने स्थिति स्पष्ट कर देनी चाहिए कि वह शिक्षामित्रों
के विषय में क्या करने जा रही है। जिससे शिक्षामित्रों अनिश्चितता की
स्थिति समाप्त हो।
लेकिन लड़ाई भी जारी रहेगी
शिक्षामित्रों का कहना है कि आज उन लोगों की स्थिति काफी दयनीय हो चुकी
है। मूल विद्यालय में उनकी स्थिति क्या रहेगी अभी स्पष्ट नहीं है। इसके बाद
भी प्रदेश सरकार द्वारा जारी किया गया शासनादेश के साथ मूल विद्यालय या
अपने नजदीक के विद्यालय में जाने को शिक्षामित्र तैयार नजर आ रहे हैं।
लेकिन वह अपनी लड़ाई जारी रखने के भी पक्ष में है।
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