शुक्रवार को हाइकोर्ट ने 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले में बड़ा और अहम फैसला सुनाया। जस्टिस राजेश सिंह चौहान की पीठ ने सरकार द्वारा परीक्षा के बाद 60 और 65 प्रतिशत कट ऑफ मार्क्स तय करने के फैसले को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि, 2018 के 68500 शिक्षकों की भर्ती में तय कट ऑफ मार्क्स के अधार पर सरकार तीन महीने में नतीजे जारी करे।
बता दें कि, इससे पहले प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 69000 सहायक शिक्षकों के पदों पर भर्ती मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से स्पष्टीकरण तलब किया था। अदालत ने राज्य सरकार से परीक्षा के अर्हता अंक तय करने के सरकारी आदेश की मूल पत्रावली का अवलोकन कर उस वक्त सफाई मांगी थी। अदालत ने इस फाइल में एक पन्ने पर दूसरा पन्ना चिपका पाए जाने पर हैरत जताते हुए सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था और कहा था कि न्यायालय इस फाइल के संबंध में फोरेंसिक विशेषज्ञों की मदद लेने पर भी विचार सकता है।
अगली सुनवाई पर दिया जाए स्पष्टीकरण
न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की पीठ के समक्ष चल रही सुनवाई के दौरान जब सरकार द्वारा परीक्षा के अर्हता अंक तय करे जाने की मूल फाइल पेश की गई तो अदालत ने पाया कि फाइल के एक पन्ने को दूसरे पन्ने के ऊपर चिपकाया गया है। पाया गया कि नीचे चिपके पन्ने पर कुछ नोटिंग है, जो पढ़ने में नहीं आ रही थी। अदालत ने जब फाइल में छेड़छाड़ किए जाने का संदेह जताते हुए राज्य सरकार की तरफ से पेश अधिवक्ताओं से इस बाबत पूछा तो उन्होंने फाइल में किसी प्रकार की छेड़छाड़ किए जाने से इंकार किया था। अधिवक्ताओं की इस सफाई पर अदालत ने कहा कि सरकार को एक मौका दिया जाता है कि अगली सुनवाई पर इसका स्पष्टीकरण दिया जाए।
परीक्षा के अर्हता अंक तय किए जाने के सरकार के आदेश पर कई याचियों की ओर से यह दलील दी गई थी कि सरकार ने जरूरी प्रक्रियाओं का पालन किए बगैर ही 7 जनवरी को शासनादेश जारी कर दिया था। न्यायालय ने इस पर राज्य सरकार को अर्हता अंक तय किए जाने के फैसले वाली मूल फाइल पेश करने को कहा था। अदालत ने कहा था कि इससे यह पता लग सकेगा कि यह निर्णय किस प्रकार लिया गया।
अदालत ने पूछा- ऐसा क्यों किया गया?
अदालत के इस आदेश पर सरकार की ओर से मूल फाइल पेश की गई जिसके अवलोकन के दौरान न्यायालय ने पाया की पेज नंबर 42 के ऊपर पेज नंबर 43 चिपकाया गया है। कोर्ट ने पाया कि पेज नंबर 42 पर दर्ज नोटिंग उस पर दूसरा पेज चिपका होने की वजह से पढ़ने में नहीं आ रहा था। इस पर न्यायालय ने कहा कि कोर्ट की यह जानने में उत्सुकता है कि पेज नंबर 42 क्या है व उस पर क्या लिखा है। अदालत ने यह भी पूछा कि ऐसा क्यों किया गया।
सरकार की तरफ से अदालत में बहस कर रह वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत चंद्रा ने अपनी बहस में कटआफ मार्क्स को लेकर सरकार के फैसले को सही ठहराया था। इस मामले में छह जनवरी को परीक्षा होने के बाद सरकार ने सात जनवरी को अर्हता अंक तय करे जाने के आदेश दिए थे। इसका शिक्षा मित्रों ने विरोध किया था और दलील दी थी कि अगर सरकार को अर्हता अंक तय करने हैं तो पूर्व में हुई परीक्षा के समान करे।
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बता दें कि, इससे पहले प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 69000 सहायक शिक्षकों के पदों पर भर्ती मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से स्पष्टीकरण तलब किया था। अदालत ने राज्य सरकार से परीक्षा के अर्हता अंक तय करने के सरकारी आदेश की मूल पत्रावली का अवलोकन कर उस वक्त सफाई मांगी थी। अदालत ने इस फाइल में एक पन्ने पर दूसरा पन्ना चिपका पाए जाने पर हैरत जताते हुए सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था और कहा था कि न्यायालय इस फाइल के संबंध में फोरेंसिक विशेषज्ञों की मदद लेने पर भी विचार सकता है।
अगली सुनवाई पर दिया जाए स्पष्टीकरण
न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की पीठ के समक्ष चल रही सुनवाई के दौरान जब सरकार द्वारा परीक्षा के अर्हता अंक तय करे जाने की मूल फाइल पेश की गई तो अदालत ने पाया कि फाइल के एक पन्ने को दूसरे पन्ने के ऊपर चिपकाया गया है। पाया गया कि नीचे चिपके पन्ने पर कुछ नोटिंग है, जो पढ़ने में नहीं आ रही थी। अदालत ने जब फाइल में छेड़छाड़ किए जाने का संदेह जताते हुए राज्य सरकार की तरफ से पेश अधिवक्ताओं से इस बाबत पूछा तो उन्होंने फाइल में किसी प्रकार की छेड़छाड़ किए जाने से इंकार किया था। अधिवक्ताओं की इस सफाई पर अदालत ने कहा कि सरकार को एक मौका दिया जाता है कि अगली सुनवाई पर इसका स्पष्टीकरण दिया जाए।
परीक्षा के अर्हता अंक तय किए जाने के सरकार के आदेश पर कई याचियों की ओर से यह दलील दी गई थी कि सरकार ने जरूरी प्रक्रियाओं का पालन किए बगैर ही 7 जनवरी को शासनादेश जारी कर दिया था। न्यायालय ने इस पर राज्य सरकार को अर्हता अंक तय किए जाने के फैसले वाली मूल फाइल पेश करने को कहा था। अदालत ने कहा था कि इससे यह पता लग सकेगा कि यह निर्णय किस प्रकार लिया गया।
अदालत ने पूछा- ऐसा क्यों किया गया?
अदालत के इस आदेश पर सरकार की ओर से मूल फाइल पेश की गई जिसके अवलोकन के दौरान न्यायालय ने पाया की पेज नंबर 42 के ऊपर पेज नंबर 43 चिपकाया गया है। कोर्ट ने पाया कि पेज नंबर 42 पर दर्ज नोटिंग उस पर दूसरा पेज चिपका होने की वजह से पढ़ने में नहीं आ रहा था। इस पर न्यायालय ने कहा कि कोर्ट की यह जानने में उत्सुकता है कि पेज नंबर 42 क्या है व उस पर क्या लिखा है। अदालत ने यह भी पूछा कि ऐसा क्यों किया गया।
सरकार की तरफ से अदालत में बहस कर रह वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत चंद्रा ने अपनी बहस में कटआफ मार्क्स को लेकर सरकार के फैसले को सही ठहराया था। इस मामले में छह जनवरी को परीक्षा होने के बाद सरकार ने सात जनवरी को अर्हता अंक तय करे जाने के आदेश दिए थे। इसका शिक्षा मित्रों ने विरोध किया था और दलील दी थी कि अगर सरकार को अर्हता अंक तय करने हैं तो पूर्व में हुई परीक्षा के समान करे।
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