पुरानी पेंशन बहाली के लिए सरकार पर मुकदमा करेंगे कर्मचारी, कोर्ट में घेरने की तैयारीलखनऊ : पुरानी पेंशन बहाली के लिए पिछले महीने हुई हड़ताल को राज्य कर्मचारियों ने भले ही सरकार और हाईकोर्ट की सख्ती के बाद समाप्त कर दिया था लेकिन, हाईकोर्ट के जरिए ही कर्मचारियों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है।
कर्मचारी अब सेवा नियमावली को लेकर राज्य सरकार पर मुकदमा दायर करने जा रहे हैं। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने बताया कि एक-दो दिन में हाईकोर्ट में रिट दायर कर दी जाएगी। पुरानी पेंशन बहाली के मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई थी कि राज्य कर्मचारियों के मामलों का निपटारा सरकारी सेवक आचरण नियमावली 1956 के तहत किया जाता है लेकिन, नई पेंशन प्रणाली लागू करने के लिए राज्य सरकार ने इस नियमावली में कोई संशोधन नहीं किया है। कर्मचारी नेताओं ने इसे विसंगति और गड़बड़ी करार दिया है। मौजूदा नियमावली के तहत उन्हें पुरानी पेंशन प्रणाली के तहत पेंशन मिलने की व्यवस्था है, जबकि राज्य सरकार ने नियमों में बदलाव किए बिना ही व्यवस्था बदल दी।
परिषद अध्यक्ष ने बताया कि केंद्र सरकार ने सितंबर, 2013 में सदन से नई पेंशन प्रणाली को मंजूरी देते हुए इसे वर्ष 2004 से लागू कर दिया था और राज्य सरकार ने भी इसी तारीख से नई पेंशन योजना को अंगीकृत कर लिया था। इसके बाद भी कर्मचारियों का पूरा अंशदान समय से जमा कराने और पेंशन खाते खोलने में लापरवाही बरती गई। अब हाईकोर्ट में यह मामला पहुंचने और कर्मचारियों के हितों से जुड़े सवाल न्यायालय द्वारा पूछे जाने से पुरानी पेंशन बहाली की गेंद अब राज्य सरकार के पाले में आ गई है। तिवारी ने बताया कि कर्मचारियों का पैसा शेयर बाजार में लगाए जाने को लेकर सरकार को दो हफ्ते में हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करना है। न्यायालय के रुख से संतुष्ट और उत्साहित कर्मचारियों को पुरानी पेंशन पर सकारात्मक फैसला आने की उम्मीद है।
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कर्मचारी अब सेवा नियमावली को लेकर राज्य सरकार पर मुकदमा दायर करने जा रहे हैं। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने बताया कि एक-दो दिन में हाईकोर्ट में रिट दायर कर दी जाएगी। पुरानी पेंशन बहाली के मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई थी कि राज्य कर्मचारियों के मामलों का निपटारा सरकारी सेवक आचरण नियमावली 1956 के तहत किया जाता है लेकिन, नई पेंशन प्रणाली लागू करने के लिए राज्य सरकार ने इस नियमावली में कोई संशोधन नहीं किया है। कर्मचारी नेताओं ने इसे विसंगति और गड़बड़ी करार दिया है। मौजूदा नियमावली के तहत उन्हें पुरानी पेंशन प्रणाली के तहत पेंशन मिलने की व्यवस्था है, जबकि राज्य सरकार ने नियमों में बदलाव किए बिना ही व्यवस्था बदल दी।
परिषद अध्यक्ष ने बताया कि केंद्र सरकार ने सितंबर, 2013 में सदन से नई पेंशन प्रणाली को मंजूरी देते हुए इसे वर्ष 2004 से लागू कर दिया था और राज्य सरकार ने भी इसी तारीख से नई पेंशन योजना को अंगीकृत कर लिया था। इसके बाद भी कर्मचारियों का पूरा अंशदान समय से जमा कराने और पेंशन खाते खोलने में लापरवाही बरती गई। अब हाईकोर्ट में यह मामला पहुंचने और कर्मचारियों के हितों से जुड़े सवाल न्यायालय द्वारा पूछे जाने से पुरानी पेंशन बहाली की गेंद अब राज्य सरकार के पाले में आ गई है। तिवारी ने बताया कि कर्मचारियों का पैसा शेयर बाजार में लगाए जाने को लेकर सरकार को दो हफ्ते में हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करना है। न्यायालय के रुख से संतुष्ट और उत्साहित कर्मचारियों को पुरानी पेंशन पर सकारात्मक फैसला आने की उम्मीद है।
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