लखनऊ. इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने सहायक
शिक्षक भर्ती परीक्षा के संबंध में 7 जनवरी-2019 का शासनादेश रद्द कर दिया
है। 7 जनवरी को 60-65 प्रतिशत कट ऑफ निर्धारित किया गया था। इस निर्धारित
क्वालिफाइंग मार्क्स को रद्द कर दिया गया है।
हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान ने मोहम्मद रिजवान व अन्य समेत दर्जनों याचिकाओं को मंजूर किया। उन्होंने कहा कि सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा का रिजल्ट पिछली परीक्षा के क्वालिफाइंग मार्क्स के आधार पर तय करते हुए तीन महीने में घोषित करें। उल्लेखनीय है कि 2018 भर्ती परीक्षा में 40-45 प्रतिशत क्वालिफाइंग मार्क्स था।
सरकार के निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती
सरकार ने प्रदेश में 1 दिसंबर 2018 को 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ की थी। 6 जनवरी, 2019 को लिखित परीक्षा आयोजित हुई और 7 जनवरी को सरकार ने सामान्य वर्ग के लिए 65 व ओबीसी के लिए 60 प्रतिशत क्वालिफाइंग मार्क्स तय किए थे। सरकार के इसी निर्णय को याचियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। याचिका का तर्क है कि एक बार लिखित परीक्षा होने के बाद क्वालिफाइंग मार्क्स न तय किए जाएं। वहीं सरकार की दलील है कि वह मेरिट से समझौता नहीं कर सकती। सरकार का कहना है कि उसकी मंशा क्वालिटी एजुकेशन देने की है और उसके लिए अच्छे अध्यापकों की आवश्यकता है।
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सरकार ने प्रदेश में 1 दिसंबर 2018 को 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ की थी। 6 जनवरी, 2019 को लिखित परीक्षा आयोजित हुई और 7 जनवरी को सरकार ने सामान्य वर्ग के लिए 65 व ओबीसी के लिए 60 प्रतिशत क्वालिफाइंग मार्क्स तय किए थे। सरकार के इसी निर्णय को याचियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। याचिका का तर्क है कि एक बार लिखित परीक्षा होने के बाद क्वालिफाइंग मार्क्स न तय किए जाएं। वहीं सरकार की दलील है कि वह मेरिट से समझौता नहीं कर सकती। सरकार का कहना है कि उसकी मंशा क्वालिटी एजुकेशन देने की है और उसके लिए अच्छे अध्यापकों की आवश्यकता है।
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