असिस्टेंट प्रोफेसर की नई भर्ती सीटों के आरक्षण में फंसी
प्रयागराज : अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद काफी रिक्त हैं। जबकि उप्र उच्च शिक्षा निदेशालय रिक्तियों पर आरक्षण का निर्धारण ही नहीं कर सका है। उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग यानी यूपीएचईएससी को भर्ती के लिए अधियाचन अब तक न भेजे जाने का यह भी प्रमुख कारण है। निदेशालय की कार्यशैली इससे कठघरे में है, क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के तेवर देख प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा ने भर्ती के लिए रिक्तियां भेजने का हलफनामा तक दे दिया है।
प्रदेश के 331 अनुदानित महाविद्यालयों में विज्ञापन संख्या 44 और 45 के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती पहले ही निरस्त हो चुकी है। प्रदेश शासन की विशेष सचिव मधु जोशी के 21 मई 2015 को जारी पत्र के अनुसार उक्त दोनों विज्ञापनों को निरस्त कर 2014 की नियमावली और नवीन अर्हता के तहत नया विज्ञापन प्रकाशित करने की कार्यवाही की सहमति दी जा चुकी है। नया विज्ञापन जारी नहीं हुआ तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 नवंबर 2018 को प्रदेश शासन से पूछा था कि विज्ञापन संख्या 44 और 45 के तहत जो रिक्तियां निकली थीं उन्हें भरने की क्या स्थिति है और पद क्यों नहीं भरे जा रहे हैं।
इन दोनों विज्ञापनों के तहत करीब एक हजार पद की जानकारी देते हुए प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा ने हाईकोर्ट में हलफनामा प्रस्तुत कर कहा कि 80 पद मानदेय शिक्षकों से भरे जा चुके हैं और शेष 920 पदों पर भर्ती की तैयारी है। हालांकि 80 पदों के संबंध में प्रमुख सचिव ने कोर्ट से उचित दिशा निर्देश मांगा था। ताज्जुब है कि हाईकोर्ट के तेवर और शासन की ओर से हलफनामा प्रस्तुत किए जाने के बाद भी उप्र उच्च शिक्षा निदेशालय हाथ पर हाथ धरे बैठा है। सूत्र बताते हैं कि अधियाचन न भेजे जाने के पीछे दरअसल महाविद्यालयों में सीटों के अनुसार आरक्षण ही अब पूरी तरह से निर्धारित नहीं हो सका है। निदेशालय की इस सुस्त चाल से यूपीएचईएससी के हाथ भी खाली हैं और अभ्यर्थियों को नौकरी का अवसर भी नहीं मिल पा रहा है।
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प्रयागराज : अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद काफी रिक्त हैं। जबकि उप्र उच्च शिक्षा निदेशालय रिक्तियों पर आरक्षण का निर्धारण ही नहीं कर सका है। उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग यानी यूपीएचईएससी को भर्ती के लिए अधियाचन अब तक न भेजे जाने का यह भी प्रमुख कारण है। निदेशालय की कार्यशैली इससे कठघरे में है, क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के तेवर देख प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा ने भर्ती के लिए रिक्तियां भेजने का हलफनामा तक दे दिया है।
प्रदेश के 331 अनुदानित महाविद्यालयों में विज्ञापन संख्या 44 और 45 के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती पहले ही निरस्त हो चुकी है। प्रदेश शासन की विशेष सचिव मधु जोशी के 21 मई 2015 को जारी पत्र के अनुसार उक्त दोनों विज्ञापनों को निरस्त कर 2014 की नियमावली और नवीन अर्हता के तहत नया विज्ञापन प्रकाशित करने की कार्यवाही की सहमति दी जा चुकी है। नया विज्ञापन जारी नहीं हुआ तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 नवंबर 2018 को प्रदेश शासन से पूछा था कि विज्ञापन संख्या 44 और 45 के तहत जो रिक्तियां निकली थीं उन्हें भरने की क्या स्थिति है और पद क्यों नहीं भरे जा रहे हैं।
इन दोनों विज्ञापनों के तहत करीब एक हजार पद की जानकारी देते हुए प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा ने हाईकोर्ट में हलफनामा प्रस्तुत कर कहा कि 80 पद मानदेय शिक्षकों से भरे जा चुके हैं और शेष 920 पदों पर भर्ती की तैयारी है। हालांकि 80 पदों के संबंध में प्रमुख सचिव ने कोर्ट से उचित दिशा निर्देश मांगा था। ताज्जुब है कि हाईकोर्ट के तेवर और शासन की ओर से हलफनामा प्रस्तुत किए जाने के बाद भी उप्र उच्च शिक्षा निदेशालय हाथ पर हाथ धरे बैठा है। सूत्र बताते हैं कि अधियाचन न भेजे जाने के पीछे दरअसल महाविद्यालयों में सीटों के अनुसार आरक्षण ही अब पूरी तरह से निर्धारित नहीं हो सका है। निदेशालय की इस सुस्त चाल से यूपीएचईएससी के हाथ भी खाली हैं और अभ्यर्थियों को नौकरी का अवसर भी नहीं मिल पा रहा है।
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