लोक सेवा आयोग की सहायक अध्यापक प्रशिक्षित स्नातक (एलटी ग्रेड) शिक्षक
भर्ती में शिक्षा माफिया और दलाल सक्रिय हो गए हैं, जो इस भर्ती को होने
नहीं देना चाहते हैं। पेपर आउट का प्रकरण इन्हीं माफियाओं की साजिश है,
जिसे एसटीएफ की मदद से अंजाम दिया जा रहा है।
यह आरोप है लोक सेवा आयोग कर्मचारी/अधिकारी संघ के अध्यक्ष दिनेश कुमार पांडेय का।
उन्होंने राज्यपाल को लिखे पत्र में यह आरोप लगाए हैं। साथ ही एसटीएफ की कार्रवाई पर कई सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने राज्यपाल से इस पूरे प्रकरण की हाईकोर्ट के मौजूदा न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर अथवा सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। अध्यक्ष दिनेश का कहना है कि एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती आयोग की भर्ती नहीं है। यह भर्ती शिक्षा निदेशालय के स्तर से होती थी, जहां व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही थीं। शासन ने नियमावली में संशोधन करते हुए यह भर्ती आयोग को दी थी। बकौल दिनेश आयोग ने 29 जुलाई 2018 को यह भर्ती परीक्षा पूरी पारदर्शिता के साथ कराई थी। परीक्षा के दिन से ही शिक्षा माफिया इस भर्ती में बाधा पहुंचाने के लिए सक्रिय हो गए थे। वह तभी से अनेक शिकायतें कर रहे थे।
अध्यक्ष के सवाल
गड़बड़ी थी तो पद खाली कैसे रह गए?
संघ के अध्यक्ष दिनेश का कहना है कि अभी तक घोषित 14 विषयों के परिणाम में कई विषयों में योग्य अभ्यर्थी न मिलने अर्थात न्यूनतम अर्हता अंक (आरक्षित वर्ग के लिए 30 और अनारक्षित के लिए 40 प्रतिशत) न पाने के कारण कई पद खाली रह गए। अगर गड़बड़ी हुई होती तो पद खाली क्यों रह जाते।
तो 21 अभ्यर्थियों ने परीक्षा क्यों छोड़ी
बकौल अध्यक्ष एसटीएफ का कहना है कि 50 अभ्यर्थियों से 20-20 लाख रुपये लेकर उन्हें पेपर रटाया गया था। अगर 50 अभ्यर्थियों ने 20-20 लाख रुपये दिए थे तो 50 में से 21 ने परीक्षा क्यों छोड़ दी थी। जिन 29 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी है उनका परिणाम अभी घोषित नहीं हुआ है इसलिए यह तय नहीं है कि इन 29 में से कितनों ने परीक्षा पास की है तो फिर कैसे मान लिया जाए कि पेपर लीक हुआ था?
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यह आरोप है लोक सेवा आयोग कर्मचारी/अधिकारी संघ के अध्यक्ष दिनेश कुमार पांडेय का।
उन्होंने राज्यपाल को लिखे पत्र में यह आरोप लगाए हैं। साथ ही एसटीएफ की कार्रवाई पर कई सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने राज्यपाल से इस पूरे प्रकरण की हाईकोर्ट के मौजूदा न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर अथवा सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। अध्यक्ष दिनेश का कहना है कि एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती आयोग की भर्ती नहीं है। यह भर्ती शिक्षा निदेशालय के स्तर से होती थी, जहां व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही थीं। शासन ने नियमावली में संशोधन करते हुए यह भर्ती आयोग को दी थी। बकौल दिनेश आयोग ने 29 जुलाई 2018 को यह भर्ती परीक्षा पूरी पारदर्शिता के साथ कराई थी। परीक्षा के दिन से ही शिक्षा माफिया इस भर्ती में बाधा पहुंचाने के लिए सक्रिय हो गए थे। वह तभी से अनेक शिकायतें कर रहे थे।
अध्यक्ष के सवाल
गड़बड़ी थी तो पद खाली कैसे रह गए?
संघ के अध्यक्ष दिनेश का कहना है कि अभी तक घोषित 14 विषयों के परिणाम में कई विषयों में योग्य अभ्यर्थी न मिलने अर्थात न्यूनतम अर्हता अंक (आरक्षित वर्ग के लिए 30 और अनारक्षित के लिए 40 प्रतिशत) न पाने के कारण कई पद खाली रह गए। अगर गड़बड़ी हुई होती तो पद खाली क्यों रह जाते।
तो 21 अभ्यर्थियों ने परीक्षा क्यों छोड़ी
बकौल अध्यक्ष एसटीएफ का कहना है कि 50 अभ्यर्थियों से 20-20 लाख रुपये लेकर उन्हें पेपर रटाया गया था। अगर 50 अभ्यर्थियों ने 20-20 लाख रुपये दिए थे तो 50 में से 21 ने परीक्षा क्यों छोड़ दी थी। जिन 29 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी है उनका परिणाम अभी घोषित नहीं हुआ है इसलिए यह तय नहीं है कि इन 29 में से कितनों ने परीक्षा पास की है तो फिर कैसे मान लिया जाए कि पेपर लीक हुआ था?
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