इलाहाबाद विश्वविद्यालय शिक्षक भर्ती जल्द बहाल हो, एचआरडी ने रोक रखा है

प्रयागराज, जेएनएन। पूरब का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) की ओर से शिक्षक भर्ती पर रोक लगाए जाने के बाद विरोध के सुर उठने लगे हैं। आवेदकों ने प्रदर्शन कर जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू कराने की मांग की है।
वहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष व अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के केंद्रीय विश्वविद्यालयों के सह संयोजक रोहित मिश्रा ने एचआरडी के इस फैसले को उचित बताया है।
इविवि में शिक्षक भर्ती को निकाला गया था विज्ञापन 
दरअसल, इविवि में 558 पदों पर शिक्षकों की भर्ती के लिए विस्तृत विज्ञापन निकाला गया। इसमें असिस्टेंट प्रोफेसर के 336, एसोसिएट प्रोफेसर के 156 और प्रोफेसर के 66 पदों पर भर्ती होनी थी। आवेदन की अंतिम तिथि 22 मई निर्धारित की गई। मंत्रालय ने पिछले दिनों शिक्षक भर्ती पर रोक लगा दी। विज्ञान संकाय के विजय नगरम सभागार में बैठक कर भर्ती प्रक्रिया बहाल करने की मांग की गई।
एचआरडी मंत्री से मिलकर करेंगे शिकायत
बैठक में निर्णय लिया गया कि डॉ. बृजेश शुक्ल और डॉ. अजीत कुशवाहा के नेतृत्व में आवेदक एचआरडी मंत्री से मिलेंगे। इस अवसर पर डॉ. विजय शंकर पांडेय, डॉ. अभिषेक राजपूत, विपिन मिश्र, कमल प्रताप सिंह, डॉ. राजेश द्विवेदी, सिकंदर पासवान, पीयूष श्रीवास्तव, डॉ. शालिनी वर्मा, डॉ. रंजना, अभिषेक आदि मौजूद रहे।
एचआरडी का फैसला न्यायोचित : रोहित
इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष व अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के केंद्रीय विश्वविद्यालयों के सह संयोजक रोहित मिश्रा ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा इविवि में शिक्षक भर्ती पर रोक लगाने वाले आदेश को न्यायोचित बताया। उन्होंने कहा कि वर्तमान कुलपति के कार्यकाल में विश्वविद्यालय अनियमितता, अराजकता तथा भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया है। आरोप लगाया कि पिछले तीन साल में कुलपति हांगलू के संरक्षण में शिक्षकों तथा अधिकारियों के पदों पर नियुक्ति में भ्रष्टाचार, अनियमितता, भाई-भतीजावाद और पक्षपात किया गया।
कहा, विश्वविद्यालय की रैंकिंग 65 से घटकर 200 

इसकी कई शिकायतें मंत्रालय के अलावा इविवि के विजिटर रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी गई हैं। उन्होंने कहा कि कुलपति की अदूरदर्शी नीतियों के कारण ही विश्वविद्यालय की रैंकिंग 65 से घटकर 200 के नीचे चली गई। कुलपति को मंत्रालय की ओर से कारण बताओ नोटिस दिया जा चुका है। मामले में जल्द ही जांच समिति का गठन भी किया जा सकता है।
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