लखनऊ। कम्प्यूटर और तकनीक के इस दौर में परिषदीय विद्यालय के
शिक्षकों को तकनीकी की जानकारी देने के लिए देश भर के शिक्षकों की संस्था
मिशन शिक्षण संवाद ने दस दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया
जिसमें प्रदेश के विभिन्न जिलों के करीब 250 शिक्षकों ने ऑनलाइन प्रशिक्षण
प्राप्त किया।
दस दिनों के इस प्रशिक्षण में शिक्षकों को पिक्सल लैब एप की मदद से डिजटल टीएलएम का निर्माण सिखाया गया। प्रतिभागियों को बच्चों के आईकार्ड और स्कूल की दीवारों के साइज के फ्लेक्स बैनर, स्कूल पम्पलेट आदि मोबाइल से बनाने सिखाये गए जिन्हें सीधे व्हाट्सएप से भेजकर लैब में प्रिंट कराया जा सकता है। माइक्रोसॉफ्ट वर्ड एक्सेल और पावर पॉइंट की मदद से स्कूल के डेटा का निर्माण करना, मोबाइल द्वारा पाठ योजना और स्कूल प्रेजेंटेशन बनाना सिखाया गया।
प्रशिक्षण में वीडियो एडिटिंग एप की मदद से स्कूल के वीडियो में फोटो तथा ऑडिओ-वीडियो आदि डालना सिखाया गया और बताया गया कि इस एप के माध्यम से क्लास रूम वीडियो कैसे बनाया जाता है।
शिक्षकों को आईसीटी का पूरा कांसेप्ट, हार्डवेयर , सॉफ्टवेअर, आईसीटी टूल्स, आईसीटी प्लेटफॉर्म, उपकरणों का प्रयोग, ऑन लाइन व ऑफ लाइन क्लास रूम वीडियो निर्माण, सावधानियां, तकनीकी विशेषताएं, वीडियो लाइव करना ,स्टोर करना, अपलोड करना डाउन लोड करना, एनीमेशन बनाना आदि सिखाया गया।
प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन पर निदेशक डा. सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर ने शिक्षकों से अपने-अपने जिलों में भी कार्यशाला आयोजित करने और अधिक से अधिक शिक्षकों और बच्चों तक पहुंचाने की अपील की। निदेशक ने कहा कि किसी भी कार्य को करने के लिए योजना और चुनौती महत्वपूर्ण होती है।
लेकिन समयबद्ध लक्ष्य को लेकर चलने से बेहतर परिणाम मिलने की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को रोल माडल बनने के लिए गुणवत्ता, दिशा और दशा पर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने शिक्षकों को संदेश देते हुए उन्होंने कहा, हमे एफर्ट और आउटकम पर ध्यान देने की आवश्यकता है, हम जो करते हैं वो तय होता है लेकिन कैसे करना है इस पर मंथन करने की आवश्यकता है, यही हमें विशेष बनाता है। अपने सूत्रवाक्य में उन्होंने बच्चों एवं शिक्षकों को भी पढ़ने की आदत डालने की बात कही।
उन्होंने नए लोगों को भी अभियान शामिल करने का संदेश देते हुए कहा कि इससे समूह का विकास और लक्ष्यों का विस्तार हो सकेगा। उन्होंने शिक्षको से कहा कि बच्चों का उत्साहवर्धन करते रहें और अपने कार्य में हमेशा नवीनता लाने का प्रयास करते रहे।
कार्यशाला का आयोजन करने वाले मिशन शिक्षण संवाद के संस्थापक विमल कुमार ने कहा कि जीवन में सामंजस्य बनाकर चलना अति महत्वपूर्ण है चाहे वो व्यक्तिगत जीवन हो या सार्वजनिक। हमको अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों के प्रति भी सजगता रखनी होगी।
उन्होंने कहा कि मिशन शिक्षण संवाद परिवार अच्छाईयों का एक पुंज है जो सदैव अच्छे शिक्षकों के कार्यों से जगमगाता रहेगा। हम सबको मिलकर अच्छाई को एक अभियान का रूप देना होगा। मीडिया, अधिकारी, समाज की सोच में समय के साथ-साथ परिवर्तन हुआ है।
जब तक बेसिक शिक्षा सम्मानित नहीं होगी तब तक शिक्षक का सम्मान उस रूप में नहीं होगा जो उसका अधिकार है। कार्यशाला में लखनऊ के शिक्षकों सुरेश जायसवाल, फहीम बेग, सुभाष चन्द्र कुशवाहा व नेहा सिंह ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।
दस दिनों के इस प्रशिक्षण में शिक्षकों को पिक्सल लैब एप की मदद से डिजटल टीएलएम का निर्माण सिखाया गया। प्रतिभागियों को बच्चों के आईकार्ड और स्कूल की दीवारों के साइज के फ्लेक्स बैनर, स्कूल पम्पलेट आदि मोबाइल से बनाने सिखाये गए जिन्हें सीधे व्हाट्सएप से भेजकर लैब में प्रिंट कराया जा सकता है। माइक्रोसॉफ्ट वर्ड एक्सेल और पावर पॉइंट की मदद से स्कूल के डेटा का निर्माण करना, मोबाइल द्वारा पाठ योजना और स्कूल प्रेजेंटेशन बनाना सिखाया गया।
प्रशिक्षण में वीडियो एडिटिंग एप की मदद से स्कूल के वीडियो में फोटो तथा ऑडिओ-वीडियो आदि डालना सिखाया गया और बताया गया कि इस एप के माध्यम से क्लास रूम वीडियो कैसे बनाया जाता है।
शिक्षकों को आईसीटी का पूरा कांसेप्ट, हार्डवेयर , सॉफ्टवेअर, आईसीटी टूल्स, आईसीटी प्लेटफॉर्म, उपकरणों का प्रयोग, ऑन लाइन व ऑफ लाइन क्लास रूम वीडियो निर्माण, सावधानियां, तकनीकी विशेषताएं, वीडियो लाइव करना ,स्टोर करना, अपलोड करना डाउन लोड करना, एनीमेशन बनाना आदि सिखाया गया।
प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन पर निदेशक डा. सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर ने शिक्षकों से अपने-अपने जिलों में भी कार्यशाला आयोजित करने और अधिक से अधिक शिक्षकों और बच्चों तक पहुंचाने की अपील की। निदेशक ने कहा कि किसी भी कार्य को करने के लिए योजना और चुनौती महत्वपूर्ण होती है।
लेकिन समयबद्ध लक्ष्य को लेकर चलने से बेहतर परिणाम मिलने की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को रोल माडल बनने के लिए गुणवत्ता, दिशा और दशा पर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने शिक्षकों को संदेश देते हुए उन्होंने कहा, हमे एफर्ट और आउटकम पर ध्यान देने की आवश्यकता है, हम जो करते हैं वो तय होता है लेकिन कैसे करना है इस पर मंथन करने की आवश्यकता है, यही हमें विशेष बनाता है। अपने सूत्रवाक्य में उन्होंने बच्चों एवं शिक्षकों को भी पढ़ने की आदत डालने की बात कही।
उन्होंने नए लोगों को भी अभियान शामिल करने का संदेश देते हुए कहा कि इससे समूह का विकास और लक्ष्यों का विस्तार हो सकेगा। उन्होंने शिक्षको से कहा कि बच्चों का उत्साहवर्धन करते रहें और अपने कार्य में हमेशा नवीनता लाने का प्रयास करते रहे।
कार्यशाला का आयोजन करने वाले मिशन शिक्षण संवाद के संस्थापक विमल कुमार ने कहा कि जीवन में सामंजस्य बनाकर चलना अति महत्वपूर्ण है चाहे वो व्यक्तिगत जीवन हो या सार्वजनिक। हमको अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों के प्रति भी सजगता रखनी होगी।
उन्होंने कहा कि मिशन शिक्षण संवाद परिवार अच्छाईयों का एक पुंज है जो सदैव अच्छे शिक्षकों के कार्यों से जगमगाता रहेगा। हम सबको मिलकर अच्छाई को एक अभियान का रूप देना होगा। मीडिया, अधिकारी, समाज की सोच में समय के साथ-साथ परिवर्तन हुआ है।
जब तक बेसिक शिक्षा सम्मानित नहीं होगी तब तक शिक्षक का सम्मान उस रूप में नहीं होगा जो उसका अधिकार है। कार्यशाला में लखनऊ के शिक्षकों सुरेश जायसवाल, फहीम बेग, सुभाष चन्द्र कुशवाहा व नेहा सिंह ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।