69000 शिक्षक भर्ती : हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले ऋषभ ने छह प्रश्नों के जवाब को दी है चुनौती

लखनऊ, जेएनएन। 69000 Assistant Teacher Recruitment : उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती की लिखित परीक्षा में पूछे गए सवालों और उनके जवाबों को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले अभ्यर्थी ऋषभ मिश्रा का कहना है कि उन्होंने अपनी याचिका में परीक्षा के छह सवालों के उत्तरों को लेकर अदालत का ध्यान आकर्षित कराया है।


ऋषभ मिश्रा ने बताया कि पहला सवाल यह था कि भारत में गरीबी का आकलन किस आधार पर किया जाता है। एनसीईआरटी व अन्य पुस्तकों में इसका आधार प्रति व्यक्ति आय बताया गया है, जबकि परीक्षा के सवालों की आंसर की में इसे व्यय/ पारिवारिक उपभोग बताया गया है। दूसरा सवाल, इनमें से कौन सामाजिक प्रेरक है? उन्होंने बताया कि एससीईआरटी से मान्यताप्राप्त किताब बाल विकास एवं सीखने की प्रक्रिया में प्रेम को सामाजिक प्रेरक बताया गया है।
इसी आधार पर उन्होंने और कई अन्य अभ्यर्थियों ने भी यही उत्तर दिया था, लेकिन आंसर की में इस प्रश्न का जवाब आत्म गौरव बताया गया है। यह पुस्तक डीएलएड पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाती है। तीसरा सवाल नाथ पंथ के प्रवर्तक के बारे में था। उन्होंने और कई अन्य अभ्यर्थियों ने इसका उत्तर गुरु गोरखनाथ बताया। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली किताब में भी गुरु गोरखनाथ को ही नाथपंथ का प्रवर्तक बताया गया है, लेकिन आंसर की में इसका उत्तर मत्स्येंद्रनाथ दिया गया है।
चौथा प्रश्न यह था कि भारत के संविधान सभा के पहले अध्यक्ष कौन थे? उन्होंने बताया कि राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के पहले स्थायी अध्यक्ष थे। इस आधार पर उन्होंने इसका उत्तर राजेंद्र प्रसाद दिया, लेकिन आंसर की में इसका उत्तर सच्चिदानंद सिन्हा दिया गया था जो कि संविधान सभा के अस्थायी अध्यक्ष थे। पांचवां सवाल डिस्लेक्सिया नामक बीमारी से संबंधित था, जबकि छठां सवाल शैक्षिक प्रबंधन से जुड़ी परिभाषा के बारे में पूछा गया था। उनके मुताबिक छठें सवाल के उत्तर के रूप में दिया गया कोई भी विकल्प सही नहीं था।हजारों खर्च कर पहुंचे, काउंसिलिंग भी नहीं : प्रतापगढ़ कुंडा निवासी एक अभ्यर्थी का चयन शाहजहांपुर जिले में हुआ लॉक डाउन के कारण साधन उपलब्ध न होने और शारीरिक दूरी भी बनाये रखने अनिवार्य होने के कारण अभ्यर्थी ने 10 हजार रुपये में टैक्सी बुक करके काउंसिलिंग स्थल पर दोपहर एक बजे पहुंची, वहां पहुंचने पर काउंसिलिंग स्थगित होने की सूचना मिली। ऐसे ही दानिश व अभय का चयन अमेठी जिले के लिए हुआ है वहां भी इनको निराशा मिली। सैकड़ों अभ्यर्थियों ने अपने अपने साधन से काउंसिलिंग में प्रतिभाग करने के लिए स्थल पर पहुंचे, वहां पहुंचने पर उन्हेंं हताश और निराश होने पड़ा है। सरकार और परीक्षा संस्था की जिद ने अभ्यर्थियों को मानसिक शारीरिक आर्थिक रूप से तोड़ दिया है सभी अभ्यर्थी पिछले दो साल से भर्ती में चयन के लिए कोर्ट और सरकार के चक्कर लगा रहे हैं। इनकी मांग है कि इस तरह की संस्था और अयोग्य विषय विशेषज्ञों को आजीवन बैन कर देना चाहिए और जुर्माना लगाकर आगे से कोई परीक्षा कराने की जिम्मेदारी नहीं देनी चाहिए।