लखनऊ : 69000 सहायक अध्यापक भर्ती पर सिंगल बेंच की
रोक के फैसले के खिलाफ बेसिक शिक्षा विभाग ने डबल बेंच में स्पेशल लीव
पीटिशन (एसएलपी) दायर की है. बेसिक शिक्षा विभाग यूपी द्वारा एसएलपी दाखिल
कर सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया जारी रखने की मांग की गई है.
69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती मामले में बुधवार को अध्यापक भर्ती की काउंसलिंग शुरू हुई थी. इसी दौरान हाईकोर्ट लखनऊ बेंच ने विवादित प्रश्नों को लेकर सुनवाई करते हुए भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी. वहीं 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फॉर्म भरने में गलती करने वाले अभ्यर्थियों की याचिका भी खारिज कर दी थी.
अभ्यर्थियों ने नियमित करने की लगाई थी गुहार
दरअसल, आशुतोष कुमार श्रीवास्तव व अन्य अभ्यर्थियों ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर गुहार लगाई थी कि फॉर्म भरने में हुई भूल को माफ करते हुए सभी को नियमित कर दिया जाए. फॉर्म भरते समय त्रुटि हुई, अंक गलत भर दिए गए. सुनवाई को दौरान, याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता सीमांत सिंह ने दलील दी थी कि अभ्यर्थियों से ऑनलाइन फॉर्म में बीएड के अंक भरने में गलती हुई है. याची भर्ती परीक्षा में सफल घोषित हुए हैं, लेकिन कंप्यूटर ऑपरेटरों की गलती मानवीय भूल है, जिसे दुरुस्त करने की अनुमति दी जाए. गलतियां शैक्षिक प्रमाणपत्रों में प्राप्त अंकों से संबंधी है. वहीं, राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि यह घोर लापरवाही है. सुधारने की छूट दुरुपयोग को बढ़ावा दे सकती है.
क्या कहा था कोर्ट ने
हाई कोर्ट ने कहा था कि फॉर्म भरने में परीक्षाओं के प्राप्त अंक गलत भरना मानवीय त्रुटि नहीं है. फॉर्म भरने से पहले अभ्यर्थियों को ध्यान से निर्देश पढ़ने चाहिए थे. फॉर्म सही ढंग से भरना अभ्यर्थियों की जिम्मेदारी है. इसे कम्प्यूटर ऑपरेटर की भूल बताना गलत है. यदि ऐसी गलतियों को सुधारने की अनुमति दी गई तो इसका दुरुपयोग किया जाएगा. अभ्यर्थी गलती का लाभ उठाएंगे और पकड़े जाने पर मानवीय भूल कहकर गलती से पल्ला झाड़ लेंगे. जिसने गलती की है उसे उसके परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए. बहस के लिए एक और विंडो नहीं खोली जा सकती.
69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती मामले में बुधवार को अध्यापक भर्ती की काउंसलिंग शुरू हुई थी. इसी दौरान हाईकोर्ट लखनऊ बेंच ने विवादित प्रश्नों को लेकर सुनवाई करते हुए भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी. वहीं 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फॉर्म भरने में गलती करने वाले अभ्यर्थियों की याचिका भी खारिज कर दी थी.
अभ्यर्थियों ने नियमित करने की लगाई थी गुहार
दरअसल, आशुतोष कुमार श्रीवास्तव व अन्य अभ्यर्थियों ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर गुहार लगाई थी कि फॉर्म भरने में हुई भूल को माफ करते हुए सभी को नियमित कर दिया जाए. फॉर्म भरते समय त्रुटि हुई, अंक गलत भर दिए गए. सुनवाई को दौरान, याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता सीमांत सिंह ने दलील दी थी कि अभ्यर्थियों से ऑनलाइन फॉर्म में बीएड के अंक भरने में गलती हुई है. याची भर्ती परीक्षा में सफल घोषित हुए हैं, लेकिन कंप्यूटर ऑपरेटरों की गलती मानवीय भूल है, जिसे दुरुस्त करने की अनुमति दी जाए. गलतियां शैक्षिक प्रमाणपत्रों में प्राप्त अंकों से संबंधी है. वहीं, राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि यह घोर लापरवाही है. सुधारने की छूट दुरुपयोग को बढ़ावा दे सकती है.
क्या कहा था कोर्ट ने
हाई कोर्ट ने कहा था कि फॉर्म भरने में परीक्षाओं के प्राप्त अंक गलत भरना मानवीय त्रुटि नहीं है. फॉर्म भरने से पहले अभ्यर्थियों को ध्यान से निर्देश पढ़ने चाहिए थे. फॉर्म सही ढंग से भरना अभ्यर्थियों की जिम्मेदारी है. इसे कम्प्यूटर ऑपरेटर की भूल बताना गलत है. यदि ऐसी गलतियों को सुधारने की अनुमति दी गई तो इसका दुरुपयोग किया जाएगा. अभ्यर्थी गलती का लाभ उठाएंगे और पकड़े जाने पर मानवीय भूल कहकर गलती से पल्ला झाड़ लेंगे. जिसने गलती की है उसे उसके परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए. बहस के लिए एक और विंडो नहीं खोली जा सकती.