प्रयागराज [धर्मेश अवस्थी]। उत्तर प्रदेश के परिषदीय
प्राइमरी स्कूलों में 69000 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में पूछे गए
नाथपंथ के प्रवर्तक, संविधान सभा के अध्यक्ष कौन थे, जैसे सवालों को भूल
जाइए। अब भर्ती की लगभग पूरी लिखित परीक्षा के सवाल-जवाब की पड़ताल होनी
है।
हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अनंतिम आंसर शीट (उत्तरकुंजी) पर मिली आपत्तियों के जांच के आदेश दिए हैं (हाई कोर्ट के आदेश का पेज संख्या 33 का अंतिम पैरा)। उस समय 142 सवालों पर 20557 अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन आपत्तियां भेजी थी। ज्ञात हो कि लिखित परीक्षा में कुल 150 सवाल पूछे गए थे। ऐसे में बड़ी संख्या में सवालों के जवाब बदल सकते हैं। अधिक सवालों के जवाब बदलने पर पूरी परीक्षा ही संकट में आ सकती है।
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों की 69000 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा छह जनवरी 2019 को कराई गई थी। आठ जनवरी को उसकी उत्तरकुंजी जारी करके 11 जनवरी तक आपत्तियां मांगी गई। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय को तीन दिन में ही 142 सवालों पर 20557 अभ्यर्थियों ने आपत्ति भेजी। अंतिम उत्तरकुंजी जारी करने से पहले ही कोर्ट ने कटऑफ अंक विवाद में स्थगनादेश जारी कर दिया। इससे अंतिम उत्तरकुंजी आठ मई 2020 को जारी हुई और इसके आधार पर भर्ती का रिजल्ट और जिला आवंटन सूची आदि निर्गत हुई।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बुधवार को जारी आदेश में स्थगनादेश आठ मई से ही लागू किया है। वजह यह है कि कोर्ट उसके पहले मिली आपत्तियों की जांच रिपोर्ट चाहता है। इस प्रक्रिया में लंबा समय लगने से इनकार नहीं किया जा सकता। ज्ञात हो कि भर्ती के कटऑफ अंक का विवाद कोर्ट में करीब डेढ़ साल विचाराधीन रहा।
प्रश्नों के समान अंक पर असमंजस : भर्ती संस्था ने विशेषज्ञों की राय पर तीन प्रश्नों में सभी अभ्यर्थियों को समान अंक दिया था। अब जांच होने से उस पर भी असमंजस बना है। यही नहीं सवालों पर आपत्ति करने वाले अभ्यर्थी 54 प्रश्नों पर परीक्षा संस्था के जवाब से सहमत थे, फिर भी उन सवालों को कोर्ट में चुनौती दी गई।
आपत्तियों पर लगाया शुल्क : 69 हजार शिक्षक भर्ती में बड़े पैमाने पर मिली आपत्तियों से परीक्षा संस्था ही नहीं शासन तक असहज रहा। इसीलिए जब यूपीटीईटी 2019 का आयोजन हुआ तो प्रति सवाल आपत्ति करने के लिए 500 रुपये शुल्क लगाया गया। इसमें यह भी प्रावधान किया गया कि यदि अभ्यर्थी की आपत्ति सही होगी तो लिया गया धन वापस किया जाएगा।
हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अनंतिम आंसर शीट (उत्तरकुंजी) पर मिली आपत्तियों के जांच के आदेश दिए हैं (हाई कोर्ट के आदेश का पेज संख्या 33 का अंतिम पैरा)। उस समय 142 सवालों पर 20557 अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन आपत्तियां भेजी थी। ज्ञात हो कि लिखित परीक्षा में कुल 150 सवाल पूछे गए थे। ऐसे में बड़ी संख्या में सवालों के जवाब बदल सकते हैं। अधिक सवालों के जवाब बदलने पर पूरी परीक्षा ही संकट में आ सकती है।
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों की 69000 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा छह जनवरी 2019 को कराई गई थी। आठ जनवरी को उसकी उत्तरकुंजी जारी करके 11 जनवरी तक आपत्तियां मांगी गई। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय को तीन दिन में ही 142 सवालों पर 20557 अभ्यर्थियों ने आपत्ति भेजी। अंतिम उत्तरकुंजी जारी करने से पहले ही कोर्ट ने कटऑफ अंक विवाद में स्थगनादेश जारी कर दिया। इससे अंतिम उत्तरकुंजी आठ मई 2020 को जारी हुई और इसके आधार पर भर्ती का रिजल्ट और जिला आवंटन सूची आदि निर्गत हुई।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बुधवार को जारी आदेश में स्थगनादेश आठ मई से ही लागू किया है। वजह यह है कि कोर्ट उसके पहले मिली आपत्तियों की जांच रिपोर्ट चाहता है। इस प्रक्रिया में लंबा समय लगने से इनकार नहीं किया जा सकता। ज्ञात हो कि भर्ती के कटऑफ अंक का विवाद कोर्ट में करीब डेढ़ साल विचाराधीन रहा।
प्रश्नों के समान अंक पर असमंजस : भर्ती संस्था ने विशेषज्ञों की राय पर तीन प्रश्नों में सभी अभ्यर्थियों को समान अंक दिया था। अब जांच होने से उस पर भी असमंजस बना है। यही नहीं सवालों पर आपत्ति करने वाले अभ्यर्थी 54 प्रश्नों पर परीक्षा संस्था के जवाब से सहमत थे, फिर भी उन सवालों को कोर्ट में चुनौती दी गई।
आपत्तियों पर लगाया शुल्क : 69 हजार शिक्षक भर्ती में बड़े पैमाने पर मिली आपत्तियों से परीक्षा संस्था ही नहीं शासन तक असहज रहा। इसीलिए जब यूपीटीईटी 2019 का आयोजन हुआ तो प्रति सवाल आपत्ति करने के लिए 500 रुपये शुल्क लगाया गया। इसमें यह भी प्रावधान किया गया कि यदि अभ्यर्थी की आपत्ति सही होगी तो लिया गया धन वापस किया जाएगा।