प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad) ने यूपी के
प्राइमरी स्कूलों में 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती (69000 Assistant
Teacher Recruitment) की एक अभ्यर्थी की 5 हजार रूपये जमा करने की शर्त पर
ओएमआर शीट (OMR Sheet) तलब की है. हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि ओएमआर सीट की
जांच में मिले अंकों में अंतर नहीं पाया गया तो याची द्वारा जमा की राशि को
हर्जाने के रूप में जब्त कर लिया जाएगा. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश
पाडिया ने मुरादाबाद की मधुरानी की याचिका पर दिया है.
याची का कहना था कि उसे लिखित परीक्षा में 90 अक मिलने चाहिए थे किन्तु 89 अंक ही मिले हैं. एक अंक की कमी से वह चयनित होने से वंचित रह गई है. याचिका पर हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से जानकारी मांगी थी. अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने कोर्ट को बताया कि याची की ओएमआर सीट की दोबारा जांच करने पर उसमें कोई त्रुटि नहीं पाई गई है. उसे मिले अंक सही हैं. इस पर याची के अधिवक्ता ने मांग की कि मूल ओएमआर सीट कोर्ट में मंगा कर देख लिया जाए.
कोर्ट ने याची की यह मांग इस शर्त के साथ स्वीकार कर ली कि उसे 5000 रुपये का बैंक ड्राफ्ट महानिबंधक के पक्ष में जमा करना होगा. यदि ओएमआर सीट में गलती नहीं पाई जाती है तो यह राशि हर्जाने के तौर पर जब्त कर ली जाएगी.
फार्म भरने में मानवीय त्रुटि को लेकर दाखिल याचिका खारिज
उधर इसी शिक्षक भर्ती से जुड़े एक अन्य मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फार्म भरने में मानवीय त्रुटि को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी है. हाईकोर्ट ने कहा फार्म भरने में परीक्षाओं के प्राप्तांक गलत भरना मानवीय त्रुटि नहीं है, फार्म भरने से पहले अभ्यर्थियों को ध्यान से निर्देश पढ़ने चाहिए थे.
हाईकोर्ट ने कहा कि फार्म सही ढंग से भरा जाना अभ्यर्थियों की जिम्मेदारी है. इसे कंप्यूटर ऑपरेटर की भूल बताना गलत है. कोर्ट ने कहा अपनी गलतियों का भुगतान करना हर अभ्यर्थी की जिम्मेदारी है. हाईकोर्ट में आशुतोष कुमार श्रीवास्तव व अन्य ने याचिका दाखिल की थी. जस्टिस प्रकाश पाडिया की एकल पीठ ने ये याचिका खारिज कर दी है.
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने भर्ती प्रक्रिया पर लगाई है रोक
बता दें दूसरी तरफ आंसर शीट मामले पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पूरी भर्ती प्रक्रिया पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगाई है. हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि अभ्यर्थी विवादित प्रश्नों पर आपत्तियों को एक सप्ताह के भीतर राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत करें. आपत्तियों को सरकार यूजीसी को प्रेषित करेगी और यूजीसी आपत्तियों का निस्तारण करेगी. अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी.
इसके साथ ही 8 मई के बाद से सरकार द्वारा कराई गई सभी प्रक्रिया पर रोक लग गई है. इसमें उत्तरमाला, संशोधित उत्तरमाला, परिणाम, जिला विकल्प, जिला आवंटन, काउंसलिंग प्रक्रिया समेत सभी प्रक्रिया शून्य घोषित हो गई है.
याची का कहना था कि उसे लिखित परीक्षा में 90 अक मिलने चाहिए थे किन्तु 89 अंक ही मिले हैं. एक अंक की कमी से वह चयनित होने से वंचित रह गई है. याचिका पर हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से जानकारी मांगी थी. अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने कोर्ट को बताया कि याची की ओएमआर सीट की दोबारा जांच करने पर उसमें कोई त्रुटि नहीं पाई गई है. उसे मिले अंक सही हैं. इस पर याची के अधिवक्ता ने मांग की कि मूल ओएमआर सीट कोर्ट में मंगा कर देख लिया जाए.
कोर्ट ने याची की यह मांग इस शर्त के साथ स्वीकार कर ली कि उसे 5000 रुपये का बैंक ड्राफ्ट महानिबंधक के पक्ष में जमा करना होगा. यदि ओएमआर सीट में गलती नहीं पाई जाती है तो यह राशि हर्जाने के तौर पर जब्त कर ली जाएगी.
फार्म भरने में मानवीय त्रुटि को लेकर दाखिल याचिका खारिज
उधर इसी शिक्षक भर्ती से जुड़े एक अन्य मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फार्म भरने में मानवीय त्रुटि को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी है. हाईकोर्ट ने कहा फार्म भरने में परीक्षाओं के प्राप्तांक गलत भरना मानवीय त्रुटि नहीं है, फार्म भरने से पहले अभ्यर्थियों को ध्यान से निर्देश पढ़ने चाहिए थे.
हाईकोर्ट ने कहा कि फार्म सही ढंग से भरा जाना अभ्यर्थियों की जिम्मेदारी है. इसे कंप्यूटर ऑपरेटर की भूल बताना गलत है. कोर्ट ने कहा अपनी गलतियों का भुगतान करना हर अभ्यर्थी की जिम्मेदारी है. हाईकोर्ट में आशुतोष कुमार श्रीवास्तव व अन्य ने याचिका दाखिल की थी. जस्टिस प्रकाश पाडिया की एकल पीठ ने ये याचिका खारिज कर दी है.
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने भर्ती प्रक्रिया पर लगाई है रोक
बता दें दूसरी तरफ आंसर शीट मामले पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पूरी भर्ती प्रक्रिया पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगाई है. हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि अभ्यर्थी विवादित प्रश्नों पर आपत्तियों को एक सप्ताह के भीतर राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत करें. आपत्तियों को सरकार यूजीसी को प्रेषित करेगी और यूजीसी आपत्तियों का निस्तारण करेगी. अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी.
इसके साथ ही 8 मई के बाद से सरकार द्वारा कराई गई सभी प्रक्रिया पर रोक लग गई है. इसमें उत्तरमाला, संशोधित उत्तरमाला, परिणाम, जिला विकल्प, जिला आवंटन, काउंसलिंग प्रक्रिया समेत सभी प्रक्रिया शून्य घोषित हो गई है.