प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। इसलिए इस राज्य की डिग्री या डिप्लोमा धारक को नियुक्ति देने से इस आधार पर मना नहीं किया जा सकता है कि यह एक अलग और विशेष
दर्जा प्राप्त राज्य की डिग्री है और एनसीटोई के निर्देश इस पर लागू नहीं. होते हैं। कोर्ट ने 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती के मामले में जम्मू-कश्मीर से शिक्षक प्रशिक्षण की डिग्री लेने वाली याची सोनिया की नियुक्ति पर पुनः बिचार करने का बेसिक शिक्षा परिषद को निर्देश दिया है। याचिका पर न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने सुनवाई की। याची के अधिवक्ता सीमांत सिंह का कहना था कि याची ने जम्मू एंड कश्मीर बोर्ड ऑफ स्कूल एजूकेशन से एलीमेंट्री टीचर्स ट्रेनिंग का कोर्स किया था। उसे 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती में 18 अप्रैल 2019 को बागपत में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति भी दे दी गई। मगर बाद में 23 मार्च 2020 को उसकी नियुक्ति यह कहते हुए रदूद कर दी गई कि याची ने जम्मू एंड कश्मीर राज्य से टीचर्स ट्रेनिंग का डिप्लोमा लिया है, जो एक विशेष दर्जा प्राप्त राज्य है और वहां पर एनसीटीई एक्ट लागू नहीं होता है। अधिवक्ता ने पूर्व में भूपेंद्र नाथ त्रिपाठी व अन्य के मामले में इसी हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर के नागरिकों को इस आधार पर नहीं रोका जा सकता है कि एनसीटीई एक्ट उस राज्य में लागू नहीं होता है।