अंतर्जनपदीय स्थानांतरण में नये नियम में दिव्यांग शिक्षकों को मिली निराशा

 गोण्डा। बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में अंतर्जनपदीय स्थानांतरण में नए नियम लागू होने से दिव्यांग शिक्षकों के आवेदन निरस्त कर दिए गए। इसके पहले आवेदन स्वीकृत हो गए थे। शासन ने बीते दिनों पुरुष अध्यापकों के लिए 5 वर्ष और महिला अध्यापकों के लिए 2 वर्ष की सेवा का नियम लागू कर दिया था। इसके बाद सभी आवेदनों की जांच हुई।



गुरुवार को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने तबादले के लिए आए हुए आवेदनों में से जांच करके कई शिक्षकों के आवेदन निरस्त कर दिए। इन निरस्त हुए आवेदनों में उन दिव्यांग शिक्षकों के भी आवेदन हैं जिनके 5 वर्ष पूरे होने में कुछ ही दिन बाकी थे, जबकि उनको यह आशा थी कि उन्हें भी महिला शिक्षकों की भांति सेवाकाल में छूट दी जाएगी और 2 वर्ष की सेवाकाल का नियम उन पर भी लागू होगा, क्योंकि 2018 में हुए स्थानांतरण में भी यही नियम लागू हुआ था लेकिन ऐसा ना होकर नए नियम लागू कर दिए गए.
जिससे दिव्यांग शिक्षकों में निराशा और हताशा है। बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों की अंतरजनपदीय तबादले की प्रक्रिया चल रही है। बड़ी संख्या में शिक्षकों के आवेदन निरस्त होने की सूचना मिल रही है। तबादले की यह प्रक्रिया 20 दिसंबर 2019 से चल रही है। दिव्यांग शिक्षक इस आशा के साथ थे कि उनका भी तबादला उनके गृह जनपद में हो जाएगा लेकिन बीते दिनों नए जियो में अचानक से कुछ परिवर्तन हुए और उसके बाद विकलांग शिक्षकों के तबादले अधर में लटक गए। दिव्यांग शिक्षकों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें भी न्यूनतम सेवा अवधि में महिलाओं की तरह छूट दिया जाए जिससे वह भी तबादले का लाभ प्राप्त कर सकें और अपने गृह जनपद जा सकें।