कई साल से पदोन्नति का इंतजार कर रहे शिक्षक, बेसिक व जूनियर स्कूलों में शिक्षकों को वर्ष 2016 से नहीं मिली पदोन्नति

 लखनऊ। प्रदेश के तमाम सेवा संवर्गों में पदोन्नति के पद लंबे समय से रिक्त हैं। कर्मचारी पदोन्नति के लिए विभागीय अफसरों का चक्कर काट रहे हैं। पर, कई-कई साल बीत जा रहे हैं, पदोन्नति नहीं हो रही है। शासन स्तर से पदोन्नति के समस्त पदों को भरने के निर्देश के बाद कर्मचारियों की उम्मीदें बढ़ गई हैं।



राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र मिश्र बताते हैं कि प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों की पदोन्नतियां प्राइमरी स्कूल के प्रधानाध्यापक व जूनियर हाईस्कूल के सहायक अध्यापक के पद पर होती है। 2016 में कुछ जिलों में पदोन्नति हुई थी, फिर रोक लगा दी गई। चार वर्ष बीत गए, शिक्षकों को पदोन्नति नहीं मिल पा रही है । शिक्षक 30-35 वर्ष की लंबी सेवा पूरी कर एक ही पद से रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापक से प्रधानाध्यापक पद पर पदोन्नति करीब 10 वर्ष से नहीं हुई है। इससे शिक्षकों में कुंठा बढ़ती है। सरकार को पदोन्नतियों की कार्यवाही प्राथमिकता पर शुरू करनी चाहिए। इसी तरह राजस्व निरीक्षक से

नायब तहसीलदार व लेखपाल से राजस्व निरीक्षक की पदोन्नति पिछले दो वर्ष से नहीं हो पा रही है। हालात ये हैं कि राजस्व निरीक्षकों को अपनी पदोन्नति के लिए हाईकोर्ट जाना पड़ा। कोर्ट को पदोन्नति का निर्देश दिए लंबा समय बीतने को है, लेकिन पदोन्नति अब तक अटकी है। बताया जा रहा है कि पूर्व में तमाम कर्मियों को नियम विरुद्ध पदोन्नति दी गई थीं। इस प्रकरण में कार्रवाई व उचित निर्णय लेकर अन्य कर्मियों की पदोन्नति का रास्ता निकालने की जगह अफसर फाइल पर कुंडली मारे बैठे हैं।