सीकर. यदि आप बेरोजगारी की भीड़ को देखकर हताश हो जाएंगे तो एक भी नौकरी मिलना मुश्किल है। इस भीड़ में खुद के लिए जगह बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। मैं भी बेरोजगारी की कतार में थी लेकिन जब जुटी तो पांच साल में पांच नौकरी हासिल कर ली। यह कहना है कि होनहार ज्योति शर्मा का। ज्योति ने अब तक पंचायत सहायक, तृतीय श्रेणी अध्यापक, द्वितीय श्रेणी व प्रथम श्रेणी व्याख्याता भर्ती परीक्षा में सफलता हासिल की है।
दो दिन पहले घोषित बॉयलोजी के परिणाम में उन्होंने पूरे प्रदेश में दसवी रैंक हासिल कर शेखावाटी का मान बढ़ाया है। मूलत: तोगड़ा कला निवासी होनहार ने का कहना है कि उसका सपना कॉलेज लेक्चरर बनने का है।सबसे पहले पंचायत सहायक भर्ती में आया नंबर
होनहार
ज्योति शर्मा ने बताया कि बीएड परीक्षाओं के दौरान ही प्रदेश में पंचायत
सहायक भर्ती की विज्ञप्ति जारी हुई थी। बारहवीं में 80.92 फीसदी व बीएससी
में भी 80 फीसदी अंकों के सहारे इसमें चयन हो गया। इसमें कार्यग्रहण करने
से पहले शिक्षकों ने समझाया कि कुछ महीने बाद थर्ड ग्रेड शिक्षक भर्ती की
परीक्षा है आप तैयारी करों। इसके बाद थर्ड ग्रेड भर्ती की तैयारी में जुट
गई।
तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में दो बार आया नंबर
प्रांरभिक शिक्षा विभाग की ओर से हुई तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती लेवल द्वितीय 2016 व 2018 में नंबर आ चुका है। उन्होंने बताया कि पहली रीट के दौरान बिल्कुल भी भर्ती परीक्षाओं का अनुभव नहीं था। लेकिन मेहनत से जुटी रही। इस वजह से टॉप रैंक आने की वजह से गृह जिले में पदस्थापन हो गया।
पिता की मौत खुद भी बीमार फिर भी नहीं मानी हार
वर्ष
2019 में ज्योति के पिता शिवभगवान शर्मा की मौत हो गई। इससे पूरा परिवार
काफी टूट गया। इस बीच वह खुद भी बीमार हो गई। लेकिन उन्होंने हार नहीं
मानी। पति देवेन्द्र शर्मा व मां सुमित्रा देवी ने काफी हौसला बढ़ाया। इसके
बाद वह फिर से जुट गई। उन्होंने बताया कि टॉप दस में रैंक मिलने की उम्मीद
थी। परिणाम आया तो पूरे परिवार में खुशी के आंसू छलक उठे। उन्होंने प्रथम
श्रेणी व्याख्याता भर्ती की तैयारी प्रयास कॅरियर इंस्टीट्यूट से की।
उन्होंने सफलता का श्रेय मानद निदेशक महिपाल सिंह, परमेश्वर शर्मा व रतन
सैन सहित अन्य को दिया है।
सफलता का जुनून:
बचपन
से ही मेरा सपना शिक्षक बनने का था। इसलिए बीएड की पढ़ाई की। बीएड की
पढ़ाई के साथ ही दो घंटे शिक्षक भर्ती की तैयारी करती। उन्होंने बताया कि
आजकल के ज्यादातर विद्यार्थी रटने के अंदाज में पढ़ाई करते है। जबकि पढ़ाई
याद और सीखने की ललक के साथ होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि ज्यादातर
विद्यार्थियों की कमजोर होती है वह रिविजन को आदत में नहीं लाते। जब
परीक्षाएं आती है तो लंबा-चौड़ा सिलेबस और समय काफी कम होता। यही से
विद्यार्थी के उपर प्रेशर शुरू हो जाता है और विद्यार्थी अपना आत्मविश्वास
खो बैठता। इसलिए विद्यार्थियों को रीट में सफलता के लिए नियमित रुप से
पढ़ाई करनी चाहिए। नियमित दिनचर्या में रिविजन का समय भी तय होना चाहिए।
आरएएस से ज्यादा अच्छा जॉब कॉलेज लेक्चरर
वैसे
तो हर व्यक्ति का अपना-अपना पसंदीदा कॅरियर होता है। लेकिन मेरे हिसाब से
आरएएस से ज्यादा अच्छा जॉब कॉलेज लेक्चरर का है। उन्होंने बताया कि थर्ड
ग्रेड से लेकर कॉलेज लेक्चरर तक सिलेबस वहीं है। हर परीक्षा में सिलेबस
बढ़ा और छोटा होता रहता है पैटर्न हर परीक्षा में बदलता है। इसलिए युवाओं
को अपने हाथ में विकल्प रखने होंगे ताकि वह बेरोजगारी के दाग को धो सके।