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बढ़ सकता है पीपीएफ लॉक-इन : बजट 2015-16

कारोबारियों की आसानी के लिए टैन और पैन नंबर का हो सकता है विलय 
नई दिल्ली। कारोबारियों की आसानी के लिए सरकार स्थायी खाता संख्या (पैन नंबर) और टैक्स डिडक्शन एंड कलेक्शन अकाउंट नंबर (टैन) का विलय कर सकती है। यही नहीं, ढांचागत संरचना की परियोजनाओं को लंबी अवधि तक वित्त पोषण उपलब्ध कराने के लिए पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) की न्यूनतम लॉक इन अवधि में भी दो-तीन साल की बढ़ोतरी हो सकती है। इन प्रस्तावों को आगामी आम बजट में शामिल करने के संकेत हैं।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि भारत में डूइंग बिजनेस आसान हो। इसी क्रम में पैन नंबर और टैन नंबर के विलय का प्रस्ताव आगामी बजट में शामिल हो सकता है। वर्तमान प्रावधानों के मुताबिक सभी वैयक्तिक करदाता, कंपनी-फर्म, ट्रस्ट, अविभाजित हिंदू परिवार आदि को जहां पैन नंबर लेना पड़ता है, वहीं कोई भी वैसा व्यक्ति या कंपनी-फर्म, जो राशि के भुगतान के समय स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) करते हैं, उन्हें टैन नंबर लेना पड़ता है।
अधिकतर मामलों में देखा गया है कि कारोबारी लेन-देन में भुगतान करते वक्त टीडीएस काटते ही हैं। इसलिए उन्हें पैन और टैन नंबर, दोनों लेना पड़ता है। पैन नंबर धारकों को जहां वार्षिक रिटर्न दाखिल करना पड़ता है वहीं टैन नंबर धारक को साल में चार बार रिटर्न दाखिल करना पड़ता है। चूंकि दोनों नंबर आयकर विभाग के पास से ही मिलते हैं, इसलिए दोनों के विलय की संभावना बन सकती है।
अधिकारियों का कहना है कि यदि पैन नंबर और टैन नंबर का विलय कर दिया जाए, तब भी काम चल सकता है, क्योंकि जो व्यक्ति पैन नंबर का रिटर्न भरेंगे, उनके लिए अलग कॉलम बनाया जा सकता है और टैन रिटर्न के लिए अलग। जो दोनों रिटर्न भरेंगे, वे दोनो कॉलम भरेंगे।
उनके मुताबिक इससे जहां कारोबारियों को आसानी होगी, वहीं आयकर विभाग को भी सहूलियत हो जाएगी। अभी देखने में आता है कुछ टैन नंबर धारक टीडीएस तो काट लेते हैं लेकिन वे आयकर विभाग के पास जमा नहीं कराते। जब दोनों नंबरों का विलय हो जाएगा तो ऐसा करना मुश्किल हो जाएगा।
वित्त मंत्रालय के ही एक अन्य अधिकारी ने बताया कि पीपीएफ में न्यूनतम लॉक इन अवधि को बढ़ाने पर विचार हो रहा है। ऐसा इसलिए, ताकि सरकार को ढांचागत संरचना के वित्त पोषण के लिए लंबी अवधि तक राशि मिले। इस समय पीपीएफ खाता 15 वर्षों के लिए खुलता है, जबकि इसमें न्यूनतम लॉक इन अवधि पांच वर्षों की है।
आयकर विभाग ने इसे ईईई प्रोडक्ट अधिसूचित किया है। जिसके तहत इसमें निवेश, ब्याज और मेच्योरिटी तीनों ही मौकों पर कर नहीं लगता। इसलिए इसमें निवेशकों की काफी रुचि रहती है। लॉक इन अवधि में यदि दो-तीन साल का इजाफा कर दिया जाए, तो सरकार को ज्यादा अवधि के लिए राशि मिलेगी। तब इस राशि का ढांचागत संरचना क्षेत्र में ज्यादा उपयोग हो सकेगा क्योंकि इस क्षेत्र में ज्यादा अवधि के लिए राशि की जरूरत पड़ती है।



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