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सेवाकालिन शिक्षकों की ट्रैनिंग (72825 ट्रैनिंग पर विशेष )

अध्यापकों एवं बी0आर0सी0 व एन0पी0आर0सी0 समन्वयकों की क्षमता निर्माण हेतु प्रदेश, जनपद एवं ब्लाक स्तर पर कर्इ प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशाला एवं परिचर्चा आयोजित की गयी। सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत होने वाली सेवाकालीन शिक्षक प्रशिक्षण योजना में बाल केनिद्रत शिक्षण अधिगम प्रक्रिया फील्ड की यथार्थ स्थिति, उपलब्ध संसाधन, सीमायें व बदलावों को ध्यान में रखा गया है।
इसमे शिक्षण की सृजनात्मक प्रणाली को ध्यान में रखा गया है जिसमें अध्यापक सुविधाकर्ता की भूमिका में होते हैं तथा वे बच्चों को कक्षा के अन्दर व बाहर की गतिविधियों एवं जीवन के अनुभवों के आधार पर नये ज्ञान के सृजन में मदद करते हैं।

बी0आर0सी0, डायट व एस0सी0र्इ0आर0टी0 के सहयोग से शैक्षिक वर्ष 2010-11 हेतु प्रशिक्षण कैलेण्डर विकसित किया गया। एस0सी0र्इ0आर0टी0 और इसकी संबद्ध संस्थाएं माडयूल संशोधन, शिक्षक प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण एवं सेवाकालीन शिक्षक प्रशिक्षण के अनुश्रवण, अनुसमर्थन एवं फालो-अप में सक्रियता से संलग्न रहे हैं। कक्षा-कक्ष में सकारात्मक परिवर्तन लाने के उददेश्य से निम्नांकित सेवारत अध्यापक प्रशिक्षण आयोजित किये गये :-
प्राथमिक स्तर
प्राथमिक स्तर के प्रत्येक विद्यालय से 02 अध्यापकों का प्रारम्भिक पाठन कौशल के विकास का प्रशिक्षण।
प्राथमिक स्तर पर प्रत्येक विद्यालय से 01 अध्यापक का अंग्रेजी शिक्षण हेतु प्रशिक्षण।
उच्च प्राथमिक स्तर
गतिविधि एवं प्रयोग विधि आधारित विज्ञान शिक्षण में 01 अध्यापक का प्रशिक्षण।
गतिविधि एवं अभ्यास आधारित गणित शिक्षण में 01 अध्यापक का प्रशिक्षण।
प्रत्येक उच्च प्राथमिक विद्यालय से 01 अध्यापक का अंग्रेजी शिक्षण हेतु प्रशिक्षण।

उपर्युक्त प्रस्तावित कार्यक्रमों में समस्त एन0पी0आर0सी0 एवं बी0आर0सी0 को प्रशिक्षित किया गया है। प्रत्येक प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय के लिए 06 दिवसों का अनुश्रवणात्मक प्रशिक्षण एन0पी0आर0सी0 स्तर पर आयोजित किया जायेगा।
पाठ्यक्रम
एन0सी0एफ0-2005 के प्रकाश में सम्पूर्ण पाठ्यक्रम संशोधित किया गया है। इस पाठ्यक्रम में यंत्रवत रट लेनी वाली रूढिगत ज्ञानार्जन प्रक्रिया के स्थान पर विधार्थी केनिद्रत अधिगम को महत्त्व दिया गया है। इससे पाठ्यक्रम, पाठयपुस्तक विकास एवं अभ्यास पुस्तिकाओ में गुणवत्ता संबंधी आयामों में परिवर्तन हुआ है। यह कहना अतिशयोक्ति न होगी कि इससे गुणवत्ता प्रधान संशोधन प्रक्रिया गहन और विस्तृत होगी। सक्रिय अधिगम हेतु कक्षा 1-5 तक भाषा और गणित की अभ्यास पुस्तिकायें उपलब्ध करायी गयीं।
वर्ष 2010-11 में कक्षा 1 व 2 के लिए भाषा व गणित की संशोधित गतिविधियां व अभ्यास पुस्तिकायें व कक्षा 7-8 हेतु विज्ञान व गणित की गतिविधि हेतु सामग्रियां वितरित की गयीं ताकि सक्रिय अधिगम के लिए अधिक अवसर प्रदान किये जा सकें। एस0सी0र्इ0आर0टी द्वारा नवीन गतिविधि आधारित अध्यापक दिग्दर्शिकायें भी विकसित की जा रही हैं।
कला शिक्षा व कार्यानुभव के लिए समुचित विषय सामग्री विकसित की जा रही है, जिसमें बच्चों की सहभागिता सुनिश्चित की जायेगी। मूल्यांकन प्रणाली को मजबूत बनाया जायेगा जिसका प्रभाव मूल्यांकन अभिलेखों में परिलक्षित होगा। विद्यालय बंद होने के बाद भी कक्षा शिक्षा व कार्यानुभव बच्चों व समुदाय की पहुंच में होगा।

तकनीकी
तकनीकी का उपयोग शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को लचीला और बाल केनिद्रत बनाना है और शिक्षण प्रक्रिया में एक नया आयाम जोडना है। कम्प्यूटर अधिगम प्राप्ति का एक जांचा परखा माध्यम है जो स्वयं केन्द्रित अधिगम के लिए प्रेरित करता है। स्कूलों में कम्प्यूटर आधारित अधिगम व कम्प्यूटर को प्रभावी शिक्षण अधिगम माध्यम के रूप में बढावा देने के लिए उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कम्प्यूटर उपलब्ध कराये गये हैं। इन विद्यालयों के अध्यापकों को शिक्षण में कम्प्यूटर के प्रभावी उपयोग पर 10 दिनों का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। माइक्रोसाफ्ट इण्डिया लिमिटेड के सहयोग से 05 जनपदों-इलाहाबाद, बुलन्दशहर, गोरखपुर, झांसी एवं लखनऊ में कम्प्यूटर प्रयोगशालाएं स्थापित की जा चुकी हैं। ये प्रयोगशालायें आस-पास के जनपदों में अध्यापकों की प्रशिक्षण आवश्यकताओं को प्रतिपूरित कर रहे हैं।
शिक्षा की गुणवत्ता का संवर्द्धन
राज्य का शैक्षिक विज़न
हमारा विश्वास है कि प्रत्येक बालक बालिका महत्त्वपूर्ण है एवं उनका शैक्षणिक विकास, उनकी अभिरूचि एवं क्षमतायोग्यता के अनुरूप ही किया जाना चाहिए।
प्राथमिक स्तर के शुरूआती दौर में ही विषयवस्तु को विशेष महत्त्व दिया जाना चाहिए ताकि पाठ्यक्रम हस्तान्तरण में (अर्थात शिक्षण एवं पठन-पाठन) निर्देशात्मकअनुदेशात्मक शैली का स्थान सृजनात्मक शैली ले सके जहां बच्चे स्वयं नये ज्ञान का सृजन कर सकें।
भाषा शिक्षण में परस्पर संवाद को विशेष महत्त्व प्रदान करना चाहिए ताकि शिक्षण के प्रारम्भिक सोपान से ही पढने व लिखने का कौशल विकसित हो सके।
गतिविधि व प्रोजेक्ट के माध्यम से प्राथमिक शिक्षा से बच्चों में गणित के प्रति भय समाप्त करने की आवश्यकता है। प्राथमिक स्तर पर गणित कार्नर जरूर स्थापित करना चाहिए जिसे चरणबद्ध तरीके से स्थापित किया जाना चाहिए।
विज्ञान शिक्षण को गतिविधियों के माध्यम से अभिरूचि पूर्ण बनाया जाना चाहिए। उच्च प्राथमिक स्तर पर इसे सुनिशिचत करने के लिए आवश्यक तंत्र की स्थापना करनी चाहिए।
सामाजिक विज्ञान का शिक्षण रटने-रटाने के स्थान पर अन्वेषण एवं गतिविधियों के माध्यम से रूचिपूर्ण ढंग से किया जाना चाहिए।
कक्षा १-८ तक आवश्यक शिक्षण के रूप में शारीरिक एवं स्वास्थ्य शिक्षा पर अधिक जोर दिया जायेगा।
कला शिक्षा एवं कार्य अनुभव का पाठ्यक्रम व विषयवस्तु विकसित की जायेगी। इसका मूल्यांकन बच्चों के प्रगति विवरण में भी अंकित होगा।
हमारा विश्वास है कि प्रत्येक बालक/बालिका महत्तवपूर्ण है एवं उनका शैक्षणिक विकास, उनकी अभिरूचि एवं क्षमता/योग्यता के अनुरूप ही किया जाना चाहिए।
भाषा शिक्षण में परस्पर संवाद को विशेष महत्त्व प्रदान करना चाहिए ताकि शिक्षण के प्रारम्भिक सोपान से ही पढने व लिखने का कौशल विकसित हो सके।


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