एक सर्वप्रिय शिक्षक होने के सात कारण : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

क्या आप उस प्यार से अभिभूत हैं जो आपके विद्यार्थी आपके लिए रखते हैं? और क्या आप इस बात से हैरान हैं कि आखिर आपने ऐसा क्या किया जिससे आप विद्यार्थियों का इतना आकर्षण प्राप्त कर रहे हैं? यहाँ सात सम्‍भावित कारण दिए जा रहे हैं। पता करें, ये आपमें हैं कि नहीं ?
1. सीखने की उमंग
आप भले ही किसी कक्षा में शिक्षक होते हैं पर आपके व्‍यक्तित्‍व एक हिस्सा सदैव ही विद्यार्थी होता है। अपने आसपास की हर चीज से सीखा जा सकता है। आप एक पुस्तक पढ़ते हैं और यह सोचना शुरू कर देते हैं कि इसे कक्षा में किस प्रकार पढ़ाएँगे। आप उसे अपने अनुभवों और वास्तविक दुनिया के परिदृश्य में परखकर नए सन्दर्भों में ढालकर अपने विद्यार्थियों के सामने रखेंगे।
आप सफल शिक्षक हैं क्योंकि आपमें उमंग और जोश है न सिर्फ सिखलाने के लिए बल्कि सीखने के लिए भी। और आपके विद्यार्थी इन खूबियों को महसूस करते हैं।
2. विद्यार्थियों के साथ सम्बन्‍ध
आप न सिर्फ अपने विषय के बारे में जानते और समझ रखते हैं बल्कि आपके द्वारा पढ़ाए जाने पर उसे हर एक बच्चे तक पहुँचाने में सक्षम भी हैं। आप इस बात से परिचित हैं कि टीवी आजकल क्‍या दिखला रहे हैं और आपके बच्चे किस तरह के संगीत, खेल इत्यादि के सम्पर्क में हैं। आप इन्हे भी सन्‍दर्भित करते हैं। आप घर को भी एक संसाधन की तरह इस्तेमाल करते हैं। आप बच्चों से यह नहीं कहते कि उन्हें क्या जानने की जरूरत है बल्कि उनकी मदद करते हैं कि वे स्वयं अभ्यास कर जानकारियों को खोज निकालें। आपके द्वारा दिए गए सवालों में ऐसे घटक होते हैं जो विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे इस बात का विश्लेषण और आलोचना कर सकें कि वे क्या सीख रहे हैं और कैसे सीख रहे हैं।
3. जानना कि कब शिक्षक होना है?
आपके विद्यार्थी आपकी कक्षा का आनन्द उठाते हैं क्योंकि यह मजेदार होती है। पर बच्चे आपकी इज्जत भी करते हैं क्योंकि आप जानते हैं कि इसे किस सीमा तक ले जाना है। बतौर शिक्षक आपका एक लक्ष्य यह भी है कि आपके विद्यार्थी खुद को एक सीखने वाले के रूप में जागरूक रख सकें और वे अपनी सीखने की पूर्वधारणाओं को चुनौती देते रहें। आपके विद्यार्थी यह जानते हैं कि उन्हें अपने हर फैसले की जिम्मेदारी लेनी होगी। चाहे वह समय पर असाइनमेंट का जमा करना हो या फिर कक्षा को यह दिखलाना कि उन्हें पढ़ने के लिए दिया गया हिस्सा उन्होंने पढ़ लिया है या फिर यह कि वे परीक्षा की तैयारी कैसे करेंगे और कैसे आपके द्वारा दिए गए समय का इस्तेमाल करेंगे। आप आत्मचिन्‍तन के महत्व को को समझते हैं स्वयं एक शिक्षक के रूप में और इस्तेमाल की जाने वाली शिक्षण पद्धति को लेकर भी।
4. कक्षा की साझेदारी
विद्यार्थी इस स्थिति में तो नहीं होते कि वे यह तय कर सकें कि पाठ्यक्रम में क्या होना चाहिए या फिर यह निर्णय कर सकें कि उन्हें क्या पढ़ाया जाना चाहिए। पर आप जानते हैं कि जब सारे निर्णय शिक्षकों को ही लेने हैं तो बच्चे आप पर निर्भर हो जाते हैं और उन्हें सीखने के लिए मिलने वाली प्रेरणा कम होती जाती है। आप बच्चों को प्रोत्साहित करते हैं कि जब कक्षा के लिए नियम बन रहे हों तो वे अपनी राय दें। शिक्षण प्रक्रिया में थोड़ा नियंत्रण आप उन्हें भी देते हैं (तय समय सीमा के भीतर)। कक्षा के बच्चे असांइनमेंट की समय सीमा तय करने पर अपनी बात रख सकें। वे तय कर सकें अपनी मर्जी के प्रोजेक्ट। वे अपने साथी के लिए विकल्प दे सकें जिसके साथ मिलकर वे काम करना चाहें।
5. विद्यार्थियों से सीखना
इंटरनेट और बच्चों के बाहरी सम्पर्क के चलते आजकल कई दफा बच्चे कक्षा में कुछ नया लेकर आते हैं। ऐसा नया, जिसके बारे में आप, एक शिक्षक भी जानकारी न रखते हों। आप बच्चों को प्रेरित करते हैं कि वे अन्य बच्चों को और आपको भी वह बताएँ, सिखाएँ। शायद आप यह न जानते हों पर आपके बच्चे आपकी इस ईमानदारी की प्रशंसा करते हैं जब आप यह कहते हैं कि इन सवालों के जवाब मैं अभी नहीं दे सकता। और जब आप विषय के भीतर के कुछ नए मुद्दों या बच्चों की रूचि के विषयों पर अध्ययन करके आते हैं।
6.कोशिश दर कोशिश
बच्चे अलग-अलग गति से और अलग-अलग तरीकों से सीखते हैं। भले ही थोड़ा वक्त लग जाए एकदम नए तरीके के साथ एक ही पाठ्य को अलग तरीके से पढ़ाना होगा ताकि पूरी कक्षा इसे समझ सके। ऐसे बच्चे जो चीजों को जल्दी समझ पाते हैं उनके लिए कहीं चुनौतीपूर्ण सवाल तैयार किए जाएँ। दूसरे बच्चे इन सबसे बोर न हों। इससे यह संदेश जाता है कि आप सभी का ध्यान रखते हैं या आप सभी की फिकर करते हैं। जब बच्चे आपको इस तरह से उनकी व्यक्तिगत रूप से चिंता करते देखते हैं तो वे आपके प्रति अहसानमन्द होंगे और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे।
7. शिक्षक, जीवन भर के लिए
एक अच्छे शिक्षक की कक्षा में विद्यार्थी वापस आना चाहते हैं, जहाँ उन्होंने पाठ्यपुस्तकों से कहीं ज्‍यादा सीखा है वो भी मजेदार तरीके से, जुनून, उत्साह, निष्ठा और उसका बिम्ब और भी बहुत कुछ के साथ। एक अच्छा शिक्षक पढ़ाने के अनुभव का आनन्द लेता है, शिक्षण की प्रक्रिया का और बच्चों का, बच्‍चों के चेहरों पर आने वाले प्रश्नवाचक चिन्ह, मुरझाते चेहरों और फिर समझने पर आँखों में आती चमक। पसन्‍दीदा शिक्षकों से बने रिश्ते स्कूल के खत्म होने से टूटते नहीं है। ये तो जीवन भर चलते हैं। और आप, आप कुछ और करने की कल्पना भी नहीं कर सकते।


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