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वेतन आयोग को राज्य कर्मचारियों ने बताया झुनझुना : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

जागरण संवाददाता, सिफारिशों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रविवार को यहां राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के कर्मचारियों ने इसे निचले स्तर के कर्मचारियों के हित की अनदेखी करने वाला बताया। कर्मचारियों ने कहा कि सिफारिश उच्चधिकारियों को लाभ पहुंचाने वाला है।
नगर स्थित कार्यालय पर आयोजित एक बैठक को संबोधित करते हुए राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष प्रभुनंद उपाध्याय ने कहा कि आयोग द्वारा न्यूनतम व अधिकतम की सीमा को 1:12 किया जाना निराश करने वाला है। चतुर्थ श्रेणी के कार्मिक को 18000 एवं सुविधा संपन्न उच्चधिकारियों को 2.5 लाख वेतन का प्रस्ताव देश के कर्मचारियों के साथ मजाक है। इसमें तत्काल कमी कर इसे 1:8 किया जाना चाहिए। उपाध्याय ने कहा कि आयोग की सिफारिशें समाज में अस्थिरता लाने वाला है। कारण कि अगर उच्चधिकारी को ढ़ाई लाख तो चतुर्थ श्रेणी पर कार्य करने वाले कार्मिक को पच्चीस हजार वेतन मिलना चाहिए। आज स्थिति यह है कि सरकारी कर्मचारियों को आधार भूत मूल जरूरी आवश्यक सुविधाएं तक नहीं मुहैया कराई जाती है। जबकि सरकारी कर्मचारी का स्वर्णिम 20-25 साल एक ही पद पर बीत जाता है। उपाध्याय ने कहा कि राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उप्र प्रदेश के सबसे बड़े कर्मचारी समूह का नेतृत्व करता है। 1जागरण संवाददाता, सिफारिशों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रविवार को यहां राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के कर्मचारियों ने इसे निचले स्तर के कर्मचारियों के हित की अनदेखी करने वाला बताया। कर्मचारियों ने कहा कि सिफारिश उच्चधिकारियों को लाभ पहुंचाने वाला है। नगर स्थित कार्यालय पर आयोजित एक बैठक को संबोधित करते हुए राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष प्रभुनंद उपाध्याय ने कहा कि आयोग द्वारा न्यूनतम व अधिकतम की सीमा को 1:12 किया जाना निराश करने वाला है। चतुर्थ श्रेणी के कार्मिक को 18000 एवं सुविधा संपन्न उच्चधिकारियों को 2.5 लाख वेतन का प्रस्ताव देश के कर्मचारियों के साथ मजाक है। इसमें तत्काल कमी कर इसे 1:8 किया जाना चाहिए। उपाध्याय ने कहा कि आयोग की सिफारिशें समाज में अस्थिरता लाने वाला है। कारण कि अगर उच्चधिकारी को ढ़ाई लाख तो चतुर्थ श्रेणी पर कार्य करने वाले कार्मिक को पच्चीस हजार वेतन मिलना चाहिए। आज स्थिति यह है कि सरकारी कर्मचारियों को आधार भूत मूल जरूरी आवश्यक सुविधाएं तक नहीं मुहैया कराई जाती है। जबकि सरकारी कर्मचारी का स्वर्णिम 20-25 साल एक ही पद पर बीत जाता है। उपाध्याय ने कहा कि राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उप्र प्रदेश के सबसे बड़े कर्मचारी समूह का नेतृत्व करता है।  
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