राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : प्रदेश में जिन संस्कृत विद्यालयों को अनुदानित
किया जाना है उसकी माध्यमिक शिक्षा विभाग जांच करा रहा है। जांच रिपोर्ट का
इंतजार किए बिना ही शासन ने सभी 77 संस्कृत विद्यालयों के लिए पांच करोड़
रुपये का बजट भी जारी कर दिया है।
अब सभी की निगाहें इस पर टिक गई हैं कि यह धन उन स्कूलों को आवंटित होगा भी या नहीं।
प्रदेश सरकार ने फरवरी 2014 में ऐलान किया था कि 246 संस्कृत विद्यालयों को अनुदानित किया जाएगा। आखिरकार अगस्त 2015 में सरकार ने महज 77 विद्यालयों को अनुदानित करने का आदेश जारी किया। अनुदान सूची बनने के बाद जब उनकी पड़ताल हुई तो कुछ स्कूलों की मान्यता आदि पर गंभीर सवाल उठे।1 शिक्षा निदेशालय में आला अफसरों ने सारी पत्रवलियां जांची और निरंतर विद्यालयों से निरंतर रिपोर्ट मांगी जाती रही। निदेशक संस्कृत शिक्षा ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को पत्र भेजकर 77 विद्यालयों की मान्यता आदि की जानकारी चाही थी, लेकिन उसका कोई जवाब ही नहीं आया, तब अनुस्मारक भेजा गया। यही नहीं शिक्षा निदेशक माध्यमिक अमरनाथ वर्मा ने भी विद्यालयों से छात्र संख्या, शिक्षक एवं अन्य तमाम प्रकार की जानकारियां मांगी, लेकिन वह भी तय समय में नहीं मिल सकी। इस संबंध में निरंतर अनुस्मारक भेजे गए। यह प्रकरण अब भी जांच के दायरे में है।
इसी बीच शासन में विशेष सचिव दीनानाथ गुप्त की ओर से शिक्षा निदेशक माध्यमिक को पत्र भेजा गया है इसमें कहा गया है कि अनुदान सूची में लिए गए सभी 77 संस्कृत विद्यालयों के शिक्षक एवं कर्मचारियों के आठ माह का वेतन आदि देने के लिए पांच करोड़ रुपये स्वीकृत किए जा रहे हैं। यह निर्देश आने के बाद से निदेशालय में विद्यालयों के जांच की पत्रवलियां पूर्ण करने का कार्य तेज हो गया है, ताकि उन्हें धन आवंटित किया जा सके, हालांकि निदेशालय इस मामले में अब भी मौन है कि जिन विद्यालयों के संबंध में सवाल उठे थे उसकी जांच में आखिर क्या मिला।
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अब सभी की निगाहें इस पर टिक गई हैं कि यह धन उन स्कूलों को आवंटित होगा भी या नहीं।
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इसी बीच शासन में विशेष सचिव दीनानाथ गुप्त की ओर से शिक्षा निदेशक माध्यमिक को पत्र भेजा गया है इसमें कहा गया है कि अनुदान सूची में लिए गए सभी 77 संस्कृत विद्यालयों के शिक्षक एवं कर्मचारियों के आठ माह का वेतन आदि देने के लिए पांच करोड़ रुपये स्वीकृत किए जा रहे हैं। यह निर्देश आने के बाद से निदेशालय में विद्यालयों के जांच की पत्रवलियां पूर्ण करने का कार्य तेज हो गया है, ताकि उन्हें धन आवंटित किया जा सके, हालांकि निदेशालय इस मामले में अब भी मौन है कि जिन विद्यालयों के संबंध में सवाल उठे थे उसकी जांच में आखिर क्या मिला।
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