इस देश में 65% जनता युवा है, पर यें हैं कहाँ? ये किसी भी डिसीजन मेकिंग
बॉडी में दिखाई ही नही देते! न लोकसभा में, न विधानसभा मे, न ही किसी संगठन
के कार्यकारिणी में, न किसी कंपनी के निदेशक मंडल में...(अपवाद और विराशत
की बात न करें)
क्या ये बस भीड़ है या इस बड़े देश के तंत्र के सिर्फ कल-पुर्जा?
देश में ६५% लोग ३५ वर्ष से कम आयू के है और यें हमेशा से उपेक्षित रहा है। कोई देश इतने बड़े वर्ग को मजबूत किये वैगर कैसे विकाश कर सकता है?
सरकार को चाहिए की इन्हें आर्थिक एवं शैक्षणिक दृष्टिकोण से पूर्णतः सुदृढ़ करें।
सभी के लिए बिना किसी भेदभाव के सभी तरह की शिक्षा, एक सामान गुणवत्ता के साथ मुफ्त प्रदान करें।
सरकार सभी के लिए रोजगार सृजित नहीं कर सकती परतु सभी को रोजगार के लायक तो बना ही सकती है। बिना गारंटी प्राथमिक तौर पर रोज़गार ऋण की व्यवस्था की जाये साथ ही व्यवसायिक, शैक्षणिक, सामाजिक आदि संसथान का निबंधन/ मान्यता/ लाइसेंसिंग/ सम्बद्धता आदि की प्रक्रिया को सरल, मितव्ययी एवम् अल्पाबधि बनायीं जाये।
अब कोई ये चिंता न जताये की सबको उच्च शिक्षा और राजगार ऋण व्यवस्था करने में बजट की समस्या होगी या बहुत बड़ा रकम खर्च हो जयेगा या ऋण रकम का एक बड़ा हिस्सा डूब सकता है। जरा सोचे एक सामान्य अविभावक होने नाते इन सारे खतरों को देखते हुए भी अपने बच्चों के शिक्षा और रोजगार पर क्षमता से अधिक खर्च नही करते है, क्योकि आप जानते है कि ये खर्च नहीं निवेश है। तो, क्या इस सच्चाई को सरकार को नही समझनी चाहियें?
इस देश में जितनी समस्याएं है उसके मूल में युवाओं की अशिक्षा और बेरोजगारी है, बाकि समस्याये, समस्याएं नही भ्रम या राजनीती है।
युवाओं के बगैर बदलाव संभव नहीं होता। सिर्फ 59 संसद की उम्र ही 40 वर्ष से नीचे है, 543 में से। स्वतंत्रता आंदोलन के अधिकाश नेता 50 वर्ष के नीचे के थे। 27वर्ष के उम्र में नेहरू, गांधी से पहली बार मिले थे। गांधी की उम्र 50 वर्ष से कम जब वे आंदोलन की सुरुआत किये थे। आज के स्टार नेता नितीश, लालू, रामविलाश जे. पी. के युवा शिष्य थे तो चंद्रशेखर और मुलायम लोहिया के युवा नेता थे। युवाओं की भागीदारी से आम आदमी पार्टी ने बदलाव का इतिहास रचा। आप ने 31% प्रतिशत युवाओं को टिकट दिया, जबकि कांग्रेस 14% और बीजेपी 12% युवाओं पर भरोसा किया था। लेकिन ये सब 65% के सन्दर्भ में कुछ भी नही है।
जब मुट्ठी भर बड़े कॉरपोरेट्स जो 7-8% लोगो को ही रोजगार देते है, को 5 लाख कड़ोड़ की सब्सिडी और अन्य सुबिधाये दी जा सकती है तो कुछ निवेश हम 65% युवाओं पर क्यों नही किया जा सकता?
याद रखें युवा सिर्फ देश का 65% हिस्सा ही नहीं है, बल्कि एक शक्ति है जिसका सकारात्मक उपयोग न हो सका तो नकारात्मक उपयोग स्वाभाविक है।
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती गन्दे काम -->> Breaking News: सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
क्या ये बस भीड़ है या इस बड़े देश के तंत्र के सिर्फ कल-पुर्जा?
देश में ६५% लोग ३५ वर्ष से कम आयू के है और यें हमेशा से उपेक्षित रहा है। कोई देश इतने बड़े वर्ग को मजबूत किये वैगर कैसे विकाश कर सकता है?
सरकार को चाहिए की इन्हें आर्थिक एवं शैक्षणिक दृष्टिकोण से पूर्णतः सुदृढ़ करें।
सभी के लिए बिना किसी भेदभाव के सभी तरह की शिक्षा, एक सामान गुणवत्ता के साथ मुफ्त प्रदान करें।
सरकार सभी के लिए रोजगार सृजित नहीं कर सकती परतु सभी को रोजगार के लायक तो बना ही सकती है। बिना गारंटी प्राथमिक तौर पर रोज़गार ऋण की व्यवस्था की जाये साथ ही व्यवसायिक, शैक्षणिक, सामाजिक आदि संसथान का निबंधन/ मान्यता/ लाइसेंसिंग/ सम्बद्धता आदि की प्रक्रिया को सरल, मितव्ययी एवम् अल्पाबधि बनायीं जाये।
अब कोई ये चिंता न जताये की सबको उच्च शिक्षा और राजगार ऋण व्यवस्था करने में बजट की समस्या होगी या बहुत बड़ा रकम खर्च हो जयेगा या ऋण रकम का एक बड़ा हिस्सा डूब सकता है। जरा सोचे एक सामान्य अविभावक होने नाते इन सारे खतरों को देखते हुए भी अपने बच्चों के शिक्षा और रोजगार पर क्षमता से अधिक खर्च नही करते है, क्योकि आप जानते है कि ये खर्च नहीं निवेश है। तो, क्या इस सच्चाई को सरकार को नही समझनी चाहियें?
इस देश में जितनी समस्याएं है उसके मूल में युवाओं की अशिक्षा और बेरोजगारी है, बाकि समस्याये, समस्याएं नही भ्रम या राजनीती है।
युवाओं के बगैर बदलाव संभव नहीं होता। सिर्फ 59 संसद की उम्र ही 40 वर्ष से नीचे है, 543 में से। स्वतंत्रता आंदोलन के अधिकाश नेता 50 वर्ष के नीचे के थे। 27वर्ष के उम्र में नेहरू, गांधी से पहली बार मिले थे। गांधी की उम्र 50 वर्ष से कम जब वे आंदोलन की सुरुआत किये थे। आज के स्टार नेता नितीश, लालू, रामविलाश जे. पी. के युवा शिष्य थे तो चंद्रशेखर और मुलायम लोहिया के युवा नेता थे। युवाओं की भागीदारी से आम आदमी पार्टी ने बदलाव का इतिहास रचा। आप ने 31% प्रतिशत युवाओं को टिकट दिया, जबकि कांग्रेस 14% और बीजेपी 12% युवाओं पर भरोसा किया था। लेकिन ये सब 65% के सन्दर्भ में कुछ भी नही है।
जब मुट्ठी भर बड़े कॉरपोरेट्स जो 7-8% लोगो को ही रोजगार देते है, को 5 लाख कड़ोड़ की सब्सिडी और अन्य सुबिधाये दी जा सकती है तो कुछ निवेश हम 65% युवाओं पर क्यों नही किया जा सकता?
याद रखें युवा सिर्फ देश का 65% हिस्सा ही नहीं है, बल्कि एक शक्ति है जिसका सकारात्मक उपयोग न हो सका तो नकारात्मक उपयोग स्वाभाविक है।
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