बदायूं जिले से स्थानांतरित कर दिए गये बेसिक शिक्षा अधिकारी
आनंद प्रकाश शर्मा जाने से पहले एक बड़े घोटाले को अंजाम दे गये, साथ ही
जिलाधिकारी से मिलीभगत के चलते घोटाले में सम्मलित न होने वाले जगदीश सिंह
से सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी का कार्यभार पिछली तिथि में हटा गये।
उक्त प्रकरण की गंभीरता से जाँच हुई, तो कई लोग सलाखों के
पीछे जाने से बच नहीं पायेंगे। घोटाला कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका
विद्यालयों के माध्यम से किया गया है।
शातिर दिमाग भ्रष्ट निवर्तमान बीएसए आनंद प्रकाश शर्मा ने
प्रत्येक विद्यालय को एक लाख रूपये से कम मूल्य की सामग्री देने की
पत्रावली तैयार कराई, क्योंकि एक लाख रूपये से ऊपर की धनराशि खर्च करने के
लिए टेंडर निकालने पड़ते।
कुटेशन के आधार पर चहेती फर्मों के नाम धन जारी कर आपस में 41
लाख 25 हजार 600 रूपये बाँट लिये, जबकि शासनादेश के अनुसार रख-रखाव मद की
धनराशि अन्य किसी भी तरह की सामग्री खरीदने पर खर्च नहीं की जा सकती।
शासनादेश में स्पष्ट लिखा है कि अन्य मद में धनराशि खर्च करने
पर बेसिक शिक्षा अधिकारी और सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी व्यक्तिगत रूप से
जिम्मेदार होंगे।
उक्त घोटाले में सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी जगदीश सिंह ने साथ नहीं दिया,तो आनंद प्रकाश शर्मा ने मुख्य कोषाधिकारी के हस्ताक्षर करा कर धन अवमुक्त करा लिया, इस बीच शासन ने आनंद प्रकाश शर्मा का जनपद चित्रकूट के लिए स्थानांतरण कर दिया,तो हड़कंप मच गया, क्योंकि घोटाले से संबंधित पत्रावली जगदीश सिंह के पास ही पहुंचती और घोटाले का खुलासा हो जाता, इससे बचने के लिए आनंद प्रकाश शर्मा ने जगदीश सिंह से कार्यभार हटा कर मुख्य कोषाधिकारी प्रवीन तिवारी को कार्यभार देने का पिछली तिथि में प्रस्ताव तैयार कराया।
उक्त घोटाले में सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी जगदीश सिंह ने साथ नहीं दिया,तो आनंद प्रकाश शर्मा ने मुख्य कोषाधिकारी के हस्ताक्षर करा कर धन अवमुक्त करा लिया, इस बीच शासन ने आनंद प्रकाश शर्मा का जनपद चित्रकूट के लिए स्थानांतरण कर दिया,तो हड़कंप मच गया, क्योंकि घोटाले से संबंधित पत्रावली जगदीश सिंह के पास ही पहुंचती और घोटाले का खुलासा हो जाता, इससे बचने के लिए आनंद प्रकाश शर्मा ने जगदीश सिंह से कार्यभार हटा कर मुख्य कोषाधिकारी प्रवीन तिवारी को कार्यभार देने का पिछली तिथि में प्रस्ताव तैयार कराया।
सूत्रों का कहना है कि जिलाधिकारी ने भी पिछली तिथि में ही
प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए अनुमोदित कर दिया। बता दें कि वित्तीय वर्ष
की समाप्ति पर अधिकांश विभागों में अगले एक-दो सप्ताह तक 31 मार्च की तिथि
में ही कार्य होते रहते हैं, जिसका लाभ आनन्द प्रकाश शर्मा ने उठाया।
चूँकि जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी पूर्व में भी जिले
में रहे हैं, सो उन्होंने पूर्व के रिश्ते के चलते प्रस्ताव को अनैतिक रूप
से अनुमोदित कर दिया, यह पूरा प्रकरण विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है,
इस पर जाँच बैठी, तो कई बड़े अफसर सलाखों के पीछे जाने से बच नहीं पायेंगे।
यह भी बता दें कि भ्रष्टाचार संबंधी शिकायत को लेकर डीसीबी के
चेयरमैन व सपा के लोकप्रिय युवा नेता ब्रजेश यादव ने 25 जनवरी 2016 को
कार्यालय में ही जाकर आनंद प्रकाश शर्मा को जमकर हड़काया था, इसके बावजूद
जाते-जाते आनंद प्रकाश शर्मा बड़े घोटाले को अंजाम दे गये।
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