यूपी में भी हो शराब बंद तो अखिलेश सरकार को होगा फायदा ! : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

आगरा। राजस्थान की सीमाओं पर बसे व अलवर, भरतपुर व धौलपुर जिलों से खास टच रखने वाले आगरा में इन दिनों यह चर्चा बड़ी आम है कि शराबी वोट दिलाते हैं या ले डूबते हैं।
दरअसल उत्तरप्रदेश में आगामी साल में चुनाव होना है और बताया जा रहा है कि शराबियों को रिझाने के लिए यहां शराब के दाम गिराए गए हैं, वहीं दूसरी ओर राजस्थान में अभी तीन साल बाद चुनाव होने हैं और इसलिए वहां शराब के दाम बढ़ा दिए गए हैं। दूसरी ओर बिहार में चुनाव होने के थोड़े ही दिन बाद पूरी तरह से शराबबंदी भी आगरा के लोगों के लिए हॉट मुद्दा है। इसलिए लोग यह भी मानते हैं कि यदि यूपी में भी शराबबंदी हो जाए तो हो सकता है कि अखिलेश सरकार की वापसी हो जाए।
पक्ष में यह हैं तर्क
आगरा के गांधी चिमनलाल के शराबबंदी आन्दोलन से जुडे़ रहे सुभाष पार्क निवासी सत्यप्रकाश कहते हैं कि गुजरात में नरेन्द्र मोदी सरकार ने शराबबंदी की और आज सब जानते हैं कि उन्होंने सालों तक वहां शासन किया। शराब पीने वाले और ना पीने वालों का प्रतिशत निकाला जाए तो कहीं शराब सस्ती करने पर इसका विरोध करने वाले और ना पीने वालों पर उल्टा असर भी तो हो सकता है। तीसरा नितिश कुमार ने शराबबंदी का चुनाव में वादा किया और सत्ता में वापस लौटे। वे अपना वादा निभा रहे हैं और ऐसे में हो सकता है कि यह भी एक कारण उन्हें सत्ता में वापस लाने में सहायक बने।
विपक्ष में यह तर्क

वहीं विपक्ष के भी अपने तर्क हैं। शिक्षक एके चौहान का मानना है कि रिझाना जैसी बातें फालूत की हैं और राजस्व बढाना ही सरकार का लक्ष्य है, क्याेंकि इससे तस्करी रूकेगी। उनकी बात का समर्थन आंकड़े भी करते हैं। यह सच है कि उत्तर प्रदेश में वाणिज्य कर विभाग के बाद सबसे अधिक सरकारी खजाना आबकारी विभाग के राजस्व से ही भरता है। आबकारी विभाग की आमदनी साल दर साल आगे बढ़ रही है। वर्ष 2016-17 के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने 19,250 करोड़़ रुपए का आबकारी राजस्व हासिल करने का लक्ष्य रखा है जो वर्ष 2015-16 के लिए 17,500 करोड़ रुपए के लक्ष्य की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक है। 2013-2014 के वित्तीय वर्ष में आबकारी विभाग ने शराब, बियर और भांग जैसी नशीली चीजों से 12 हजार पांच सौ करोड़ के लक्ष्य के साक्षेप में 11 हजार छहः सौ करोड़ रूपए का राजस्व एकत्र किया। इतनी राशि में किसी छोटे-मोटे देश का पूरा बजट तैयार हो जाता है। वित्तीय वर्ष 2008 और 2009 में आबकारी विभाग ने चार हजार 220 करोड़ रूपए का राजस्व जुटाया था जो वर्ष 2012-2013 में नौ हजार 782 करोड़ पहुंच गया था ।
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