वरिष्ठ संवाददाता, लखनऊ सीएम अखिलेश यादव ने संभावना जताई है कि दिसंबर में चुनाव हो सकते हैं। उनकी इस संभावना का मैसेज सरकारी मशीनरी को भी मिल गया है। कई जिलों में डीएम ने बाकायदा मीटिंग भी शुरू कर दी है। उन्होंने अपने मातहतों को युद्ध स्तर पर तैयारियां करने के निर्देश जारी किए हैं।
फैजाबाद और बस्ती के डीएम ने तो अपने निर्देशों में दिसंबर तक का जिक्र किया है।
यूपी सरकार का कार्यकाल अगले साल पूरा हो रहा है। अब तक संभावना जताई जा रही थी कि अगले साल मार्च से पहले चुनाव हो जाएंगे और नई सरकार चुन ली जाएगी। हालांकि सोमवार को जिस तरह से सीएम अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार की मंशा बताते हुए दिसंबर में चुनाव होने की बात छेड़ी, उसे लेकर सियासी गलियारों में काफी चर्चा है। बताया जा रहा है कि सरकारी मशीनरी ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। यही नहीं फैजाबाद की डीएम किंजल सिंह ने तो करीब एक सप्ताह पहले चुनावी तैयारियों के लिए जो बैठक ली, उसमें उन्होंने अधिकारियों को दिसंबर में चुनाव के मुताबिक तैयारियां पूरी करने के लिए कहा है। बस्ती के डीएम ने भी ऐसे ही निर्देश चुनाव के मद्देनजर अधिकारियों को दिए हैं। शिक्षा विभाग में भी ऐसी ही चर्चा है। इस साल की तरह फरवरी में प्रस्तावित इम्तिहानों को मार्च मध्य तक खिसकाया जा सकता है। हालांकि विभाग अब तक इस बारे में कुछ बोलने से कतरा रहा है। सूत्रों का दावा है कि केंद्रीय चुनाव आयोग ने मौखिक तौर पर 15 मार्च के बाद इम्तिहान की तारीख तय करने के लिए कहा है।
28 दिसंबर से पहले आयोग नहीं करवा सकता चुनाव
लखनऊ विश्वविद्यालय के विधि विभाग के डॉ़ अनुराग श्रीवास्तव बताते हैं कि दिसंबर में चुनाव केवल राज्य सरकार की ही मंशा के मुताबिक हो सकता है। वह कहते हैं कि 28 मई को सरकार का गठन हुआ था। इस लिहाज से छह महीना पहले (28 दिसंबर) तक आयोग की भूमिका कुछ नहीं हो सकती। वहीं, केंद्र सरकार भी पूर्ण बहुमत की सरकार को डिजॉल्व नहीं कर सकती क्योंकि उसके पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है। 28 दिसंबर से पहले चुनाव केवल एक ही शर्त पर हो सकते हैं, जबकि प्रदेश सरकार विधानसभा भंग कर दे और प्री-मैच्योर चुनाव कराने की सिफारिश कर दे।
इम्तेहान के पहले या बाद चुनाव, तर्क तमाम
विशेषज्ञों के मुताबिक दिसंबर में अगर प्रदेश सरकार चुनाव नहीं करवाना चाहती है तो जनवरी-फरवरी में चुनाव हो सकते हैं। इसके बाद फरवरी में ही हाई स्कूल-इंटरमीडिएट के इम्तेहान होंगे। वहीं 28 मई को सरकार के गठन का समय पूरा हो रहा है। इस लिहाज से ये भी संभव है कि फरवरी में बोर्ड परीक्षाएं हों और इलेक्शन मार्च-अप्रैल में हों।
हमारे पास अभी तक कोई ऐसे निर्देश नहीं आए हैं। न ही अभी तक केंद्रीय चुनाव आयोग ने पूछा है कि कब परीक्षाएं होनी हैं और न ही अभी तक हमने कोई संभावित तारीख ही तय की है।
-शैल यादव, सचिव, यूपी बोर्ड
अब तक केंद्रीय चुनाव आयोग ने हमसे कोई बात नहीं की है। हालांकि हम वोटर लिस्ट समेत बाकी काम कर रहे हैं, जो रुटीन बात है। बाकी रही तैयारियों की बात तो हम पूरी तरह तैयार हैं।
-अरुण सिंघल, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, यूपी
हम दिसंबर में चुनाव की संभावनाओं को मानकर तैयारी कर रहे हैं। इसी सिलसिले में राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों की भी बैठक की गई। बूथों की सूची 22 जून तक जारी करके पहली जुलाई तक आपत्तियां-सुझाव मांगे जाएंगे। आठ जुलाई तक अंतिम सूची जारी कर दी जाएगी। हर बूथ पर 1500 मतदाताओं की सीमा रखी जाएगी।
किंजल सिंह, डीएम, फैजाबाद
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फैजाबाद और बस्ती के डीएम ने तो अपने निर्देशों में दिसंबर तक का जिक्र किया है।
यूपी सरकार का कार्यकाल अगले साल पूरा हो रहा है। अब तक संभावना जताई जा रही थी कि अगले साल मार्च से पहले चुनाव हो जाएंगे और नई सरकार चुन ली जाएगी। हालांकि सोमवार को जिस तरह से सीएम अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार की मंशा बताते हुए दिसंबर में चुनाव होने की बात छेड़ी, उसे लेकर सियासी गलियारों में काफी चर्चा है। बताया जा रहा है कि सरकारी मशीनरी ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। यही नहीं फैजाबाद की डीएम किंजल सिंह ने तो करीब एक सप्ताह पहले चुनावी तैयारियों के लिए जो बैठक ली, उसमें उन्होंने अधिकारियों को दिसंबर में चुनाव के मुताबिक तैयारियां पूरी करने के लिए कहा है। बस्ती के डीएम ने भी ऐसे ही निर्देश चुनाव के मद्देनजर अधिकारियों को दिए हैं। शिक्षा विभाग में भी ऐसी ही चर्चा है। इस साल की तरह फरवरी में प्रस्तावित इम्तिहानों को मार्च मध्य तक खिसकाया जा सकता है। हालांकि विभाग अब तक इस बारे में कुछ बोलने से कतरा रहा है। सूत्रों का दावा है कि केंद्रीय चुनाव आयोग ने मौखिक तौर पर 15 मार्च के बाद इम्तिहान की तारीख तय करने के लिए कहा है।
28 दिसंबर से पहले आयोग नहीं करवा सकता चुनाव
लखनऊ विश्वविद्यालय के विधि विभाग के डॉ़ अनुराग श्रीवास्तव बताते हैं कि दिसंबर में चुनाव केवल राज्य सरकार की ही मंशा के मुताबिक हो सकता है। वह कहते हैं कि 28 मई को सरकार का गठन हुआ था। इस लिहाज से छह महीना पहले (28 दिसंबर) तक आयोग की भूमिका कुछ नहीं हो सकती। वहीं, केंद्र सरकार भी पूर्ण बहुमत की सरकार को डिजॉल्व नहीं कर सकती क्योंकि उसके पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है। 28 दिसंबर से पहले चुनाव केवल एक ही शर्त पर हो सकते हैं, जबकि प्रदेश सरकार विधानसभा भंग कर दे और प्री-मैच्योर चुनाव कराने की सिफारिश कर दे।
इम्तेहान के पहले या बाद चुनाव, तर्क तमाम
विशेषज्ञों के मुताबिक दिसंबर में अगर प्रदेश सरकार चुनाव नहीं करवाना चाहती है तो जनवरी-फरवरी में चुनाव हो सकते हैं। इसके बाद फरवरी में ही हाई स्कूल-इंटरमीडिएट के इम्तेहान होंगे। वहीं 28 मई को सरकार के गठन का समय पूरा हो रहा है। इस लिहाज से ये भी संभव है कि फरवरी में बोर्ड परीक्षाएं हों और इलेक्शन मार्च-अप्रैल में हों।
हमारे पास अभी तक कोई ऐसे निर्देश नहीं आए हैं। न ही अभी तक केंद्रीय चुनाव आयोग ने पूछा है कि कब परीक्षाएं होनी हैं और न ही अभी तक हमने कोई संभावित तारीख ही तय की है।
-शैल यादव, सचिव, यूपी बोर्ड
अब तक केंद्रीय चुनाव आयोग ने हमसे कोई बात नहीं की है। हालांकि हम वोटर लिस्ट समेत बाकी काम कर रहे हैं, जो रुटीन बात है। बाकी रही तैयारियों की बात तो हम पूरी तरह तैयार हैं।
-अरुण सिंघल, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, यूपी
हम दिसंबर में चुनाव की संभावनाओं को मानकर तैयारी कर रहे हैं। इसी सिलसिले में राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों की भी बैठक की गई। बूथों की सूची 22 जून तक जारी करके पहली जुलाई तक आपत्तियां-सुझाव मांगे जाएंगे। आठ जुलाई तक अंतिम सूची जारी कर दी जाएगी। हर बूथ पर 1500 मतदाताओं की सीमा रखी जाएगी।
किंजल सिंह, डीएम, फैजाबाद
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