अब ये देखना है की अंतिम परिणाम में टीईटी 2011 का पूर्ण समायोजन होता है या समस्त याचीयों को समान अवसर मिलेगा : Ganesh Dixit

टीईटी-2011 का उदय संघर्ष और बदलाव की नई परिभाषा गढ़ने के लिये हुआ है । गत दिवस में बेसिक विभाग में प्रदेश के एक जिले के मुखिया अर्थात बीएसए साहब और दूसरे जिले में एबीएसए साहब रिश्वत लेते हुये रंगे हाथों पकड़े गये , इसके लिये शासन को बधाई !

पर ये नाकाफी है क्योंकि हर जिले के बीएसए दफ्तर का यही हाल है , बीआरसी पर लेखा का काम देखने वाले एबीआरसी से लेकर बीएसए दफ्तर के बाबू और लेखा के कर्मचारी तक अटाटूट भ्रष्टाचार में डूबे हुये हैं ।
हालात ये हैं की नौकरी लगने पर अध्यापक को सत्यापन , सर्विस बुक ,एरियर भुगतान के नाम पर इन भ्रष्टाचारियों द्वारा लूटा जा रहा है ,ऐसे में भ्रष्टाचार के दंश झेलकर प्रदेश के बेसिक का अध्यापक अपने किस मुँह से बच्चों को भ्रष्टाचार के विरूद्द लड़ने की बात पढ़ायेगा या बतायेगा ।
ऐसा भी नहीँ की उच्च अधिकारियों को ये सब पता नहीँ ,वरना दफ्तरों में क्या काम ,कैसे किया जा रहा है ? ये अपने कनिष्ठ से पूँछते ।
पर बेसिक में अध्यापक ही निरीह जीव है जिस पर सारी जिम्मेदारी डालकर सब दोषमुक्त हो जाते हैं ।
खैर , अब तक तो अध्यापक मौन हो सब सहता रहा और ये भ्रष्टाचारी लूटते ,खँसोटते रहे । पर अब नहीँ ।
टीईटी-2011 उत्तीर्ण लोगों के विभाग में आने से सकारात्मक बदलाव होने शुरू हो गये हैं ,अभी तो केवल एक बीएसए और एक एबीएसए ही पकड़ में आये हैं ,ये तो सेम्पलमात्र है अभी तो अनगिनत बाकी हैं ।
मित्रों , यदि हमने बेसिक शिक्षा विभाग को दुरुस्त कर लिया तो ये हमारी राष्ट्र के प्रति सच्ची निष्ठा होगी ,भारत माँ का असली सम्मान होगा ।
सभी मित्रों से अपील है की वो किसी को भी एक पैसा रिश्वत का न दें और काम के बदले कोई भी कर्मचारी या अधिकारी माँगे तो आप तुरंत मुझसे सम्पर्क करें जिससे उसके बारे में बेसिक शिक्षा मंत्री को भी अवगत कराया जा सके ।
हमारा उदय और आगमन ही कोर्ट केसों में संघर्ष से हुआ है ,आज तक हमें जो भी मिला वो सत्य के पथ पर चलते हुये न्यायधिशोँ द्वारा प्रदत्त न्याय ही मिला है इसलिये हम तो सत्य के पथ के अनुरागी हैं और संघर्षों से हमें डर नहीँ लगता । संघर्ष की गाथा 72825 के पार निकल चुकी है , याचीलाभ सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया जा चुका है अत : अब ये देखना है की अंतिम परिणाम में टीईटी 2011 का पूर्ण समायोजन होता है या समस्त याचीयों को समान अवसर मिलेगा ।
24 अगस्त की तैयारी होने लगी है ,एक बार पुनः एकजुट होकर एक पूर्व निर्धारित रणनीति के तहत पैरवी करने की सभी को सलाह देता हूँ या अनुरोध करता हूँ ,अलग -अलग पैरवी घातक सिद्ध हो सकती है जबकि यदि सर्विसरूल पर बेसिक शिक्षक नियमावली 1981 पर बहस हो गयी तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं ,संगठित और तय रणनीति ही एकमात्र उपाय है । शेष फ़िर...
सभी मित्रों को 70 वें स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायेँ ।
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