जब 2013 में ही संशोधन रद्द हो गया था तो सरकार उसी गलत नियम पर भर्तियां क्यों??

एक शंका का समाधान होना बहुत जरुरी है। जब 2013 में ही संशोधन रद्द हो गया था तो सरकार उसी गलत नियम पर भर्तियां क्यों करती आ रही है? और अन्य का भविष्य भी ख़राब कर रही है।
●●उत्तर●●
इसका उत्तर जानने से पहले निम्न घटनाक्रम को समझना उचित होगा।
12 वें संशोधन में प्रशिक्षु शिक्षक की संकल्पना आई। जिसमें tet2011 करवाकर उसकी मेरिट के अनुसार बीटीसी, बीएड, उर्दूबीटीसी, वि.बीटीसी आदि की चयन प्रशिक्षु शिक्षक के पद होनी थी और उसके बाद 6 महीने की ट्रेनिंग के बाद उन्हें विद्यालय आबंटित होना था।
इसपर बीटीसी डिग्री धारक कोर्ट चले गए और वहां यह दलील दी गयी कि हम पहले से ट्रेंड हैं हमें दुबारा 6 माह की ट्रेनिंग देने का कोई औचित्य नहीं।
इसपर हाईकोर्ट ने सरकार को बीटीसी, उर्दू बीटीसी, वि. बीटीसी (ट्रेंड टीचर्स) का अलग से विज्ञापन जारी करने का आदेश दिया।
इस प्रकार 15 वां संशोधन बीटीसी के लिए कोर्ट के आदेश पर आया।
चूँकि बीएड डिग्री उच्च प्राथमिक में ट्रेंड टीचर्स की डिग्री है इसलिए 29 हजार की नियुक्ति भी इसी संशोधन से हुई।
हाईकोर्ट ने ट्रेंड और अनट्रेंड के कॉन्सेप्ट पर बिना बहस हुए और बिना NCTE के काउंटर के 15 वां संशोधन रद्द कर दिया।
अभी तक जो भी लड़ाई हुई है 72 हजार और 29 हजार की हुई है बीटीसी का हाल दोनों की लड़ाई में वैसा ही है जैसा गेहूं पीसते समय घुन का होता है।
🏻उत्तर
सरकार ने यदि संशोधन नहीं किया है तो उसका एक ही कारण है कि सरकार कोर्ट को कोई और विकल्प नहीं देना चाहती। सरकार में भी हमसे कई गुना बुद्धिजीवी इन नीतियों का निर्धारण करते हैं। उन्हें सरकार के अधिकार पता हैं और कोर्ट का दायरा भी। इस नियम में संशोधन करने के बाद कोर्ट के पास नए नियम और वर्तमान नियम में किसी एक को चुनने का विकल्प मिल जाता और इससे एकेडमिक पर हुई भर्तियां बहुत बुरी तरह प्रभावित हो सकती थीं।
👉🏻अगर संशोधन के नियमों में बदलाव नहीं हो रहा है तो उसका कारण कोर्ट में इस मामले का लंबित होना है। एक बार यह मामला कोर्ट से निस्तारित हो जाये फिर जो निर्देश मिलेगा उस आधार पर संशोधन भी होगा मगर तब तक इसे संशोधित न करना हमारे पक्ष में है।
👉🏻RTE के अनुपालन में न तो कोर्ट में फंसे होने के कारण सरकार शिक्षकों की भर्ती रोक सकती थी और न ही कोर्ट भर्तियां रोक सकती थी। एक प्रतियोगी अभ्यर्थी को अपने विज्ञापन की शर्तों के आधार पर नियुक्ति मिलती है। हमें भी मिली है।
बस हमें अपनी बेहतर पैरवी करनी है, सुप्रीम कोर्ट में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी है और संख्या दिखानी है। कोर्ट के पास कोई और विकल्प नहीं है सिवाय बहाल करने के और उसी में सबका हित निहित है।
👉🏻हमारा पक्ष मजबूत है और शासन की नीतियां भी , नियम भी गलत नहीं है, सब हमारे हक़ में होगा, बस हमें अपनी लड़ाई जिम्मेदारी से लड़नी है।
-प्रेम वर्मा।
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

No comments:

Post a Comment

Nhật xét mới nhất

Comments