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72,825 भर्ती में लगभग 7000 सीटों पर नहीं निकाली जा रही है कटऑफ

अक्सर ओबीसी और सामान्य अभ्यर्थी जब क्राईटेरिया प्रभावित शब्द सुनते हैं तो सोच में पड़ जाते है़ कि ये बला है क्या?? दरअसल NCTE की गाइडलाइन के अनुसार टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण करने का न्यनतम मानक सामान्य वर्ग के लिये 150 में 90 अंक तथा समस्त आरक्षित वर्ग के लिये 150 में 83 अंक निर्धारित किया है।
जबकि 72,825 भर्ती में सामान्य वर्ग के लिये 105 तथा आरक्षित वर्ग के लिये 90 अंक का क्राईटेरिया अपने अंतरिम आदेश में लगा रखा है। जहां सामान्य वर्ग में इतनी अधिक प्रतिस्पर्धा रही है कि उनकी मेरिट पुरुष वर्ग में 115-116 से नीचे नहीं आ रही है तो सामान्य महिला वर्ग में मेरिट 106-107 से नीचे नहीं आ रही है तो वो इस 105 के प्रभाव से प्रभावित नहीं हैं।
यहीं ओबीसी का क्राईटेरिया 90 तक होने के कारण जहाँ पुरुष वर्ग 111-112 पर मेरिट टंगी है वहीं महिला ओबीसी आर्ट की भी 101-102 के नीचे मेरिट नहीं आ रही है हां महिला ओबीसी साइंस में थोड़ा अंतर है इनकी मेरिट 95-96 तक चली गई है, इस प्रकार से ओबीसी वर्ग भी 90 के क्राईटेरिया से अधिक प्रभावित नही है।
क्राईटेरिया के प्रभाव से सबसे अधिक प्रभावित जो वर्ग हैं वो एससी-एसटी और विशेष आरक्षित वर्ग है। चूंकि 72,825 में प्रत्येक वर्ग की सीटें निर्धारित हैं और आरक्षित वर्ग का मानक 83 अंक होने के कारण इस वर्ग की सीटें किसी और वर्ग को कोर्ट के अंतिम आदेश होने तक किसी और वर्ग में कन्वर्ट नहीं किया जा सकता है।
अब स्थिति यह है कि 72,825 में महिला अनुसूचित जाति विज्ञान वर्ग के लिये 10% शिक्षामित्र सीट निकालकर भी 3440 सीटें निर्धारित की गईं हैं जबकि 2011 की टीईटी परीक्षा मे़ मात्र 1700 महिलायें इस वर्ग से पास हुई़ हैं, क्राईटेरिया लगा होने के कारण न तो इस वर्ग की बची हुई़ महिलाओं का अभी चयन हो पा रहा है और इनके चयन के पश्चात इनका बची हुईं सीटें इनके ही वर्ग को कन्वर्ट की जा रहीं है़। इसी प्रकार एसटी की भी सीटें 1400 के आस-पास निर्धारित हैं तथा 2011 की टीईटी की परीक्षा में 750 के लगभग पास हुये है़ ये भी क्राईटेरिया की वजह से प्रभावित हैं।
इसी प्रकार विशेष आरक्षण वाले भी प्रभावित हैं वहां पर भी अधिक कैंडीडेट नहीं है।
इसलिये 72,825 में इन प्रभावित वर्गों की निर्धारित सीटें होने के कारण लगभग 7000 सीटों पर कटऑफ ही नहीं निकाली जा रही है। जबकि इन 7000 सीटों पर मात्र 2600 के आसपास ही इन वर्गों के अभ्यर्थी हैं बाकी 44-4500 सीटों पर इन वर्गों में अभ्यर्थी न होने के कारण स्वतः ही कन्वर्ट हो जायेंगी पर मा० उच्चतम न्यायालय की बेंच में स्थापित मा० दीपक मिश्रा जी इस तथ्य को समझना ही नहीं चाहते और 72,825 भर्ती में लगभग 7000 अभ्यर्थियो के जीविकोपार्जन से खेल रहे है़।
पोस्ट पढ़ने व इस तथ्य को समझने के लिये धन्यवाद !!
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