वर्ष 2011 में प्रदेश में पहली बार टेट परीक्षा का आयोजन हुवा, जिसमें लगभग 7.5 लाख लोग शामिल हुए और ऑन रिकॉर्ड लगभग 2.92 लाख लोग परीक्षा उत्तीर्ण कर स्वयं को दुनिया में किसी भी जगह शिक्षक बनने का एकलोता पात्र व्यक्ति समझने लगे!
इन्हीं के बीच कुछ जुझारू लोग भी थे जो अपने अधिकारों के लिए हाईकोर्ट के सिंगल बेंच, डबल बेंच, ट्रिपल बेंच और सुप्रीमकोर्ट तक येन-केन प्रकारेण लड़ते रहे, कुछ मेरे जैसे भी पनपे जिन्होंने संघर्ष की शुरुवात ही शिक्षामित्रों के समायोजन के प्रथम शासनादेश से की और हाईकोर्ट में वर्षों से विचाराधीन केस को 5 माह में निस्तारित करवाने में अपना सर्वोत्तम योगदान दिया! और इन जुझारुवों के सहयोगी भी ये ऑन रिकॉर्ड वाले 2.92 लाख वाले नहीं थे बल्कि 2-3 हजार सक्रीय लोग थे जो अपने अधिकारों के लिए अपने नेतृत्व के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर प्रयासरत थे!
हाईकोर्ट से मामला सुप्रीमकोर्ट के पश्चात् इन सक्रीय 2-3 हजार में से कुछ तो अपने मेरिट के आधार पर सेलेक्ट हो गये और कुछ रह गये वो दि० 07 दिसम्बर 2015 को न्यायालय द्वारा तदर्थ नियुक्ति के आदेश में शामिल हो गये (यद्यपि अभी भी कुछ सैकड़ा सक्रीय साथी छूट गये थे)! चुंकि मन मे एक ललक व सरकार की गलत नीतियों के विरुद्ध रोष था, इसलिए आपके जुझारू नेताओं ने आप सभी को भी याची बनाकर शिक्षामित्रों के विरुद्ध खड़ा कर न्याय दिलवाने की ठानी!
पिछले 5 वर्षों से जो लोग घरों में चद्दर के नीचे से डेली न्यूज़ पढ़कर चुपचाप सो जाते थे, वो अचानक से शक्तिमान बन गये और सैकड़ों किमी की यात्रा करके पहुँच गये याची बनने, कई तो ऐसे थे जो याची बनने के लिए रात 2-2 बजे कॉल कर रहे थे! जैसे सुप्रीमकोर्ट में नौकरी का प्रसाद बट रहा था और याची बनते ही नियुक्ति पत्र उनके मोबाइल नंबर पर दीपक मिश्रा जी मेसेज कर देंगे, कुछ तो याची बनने से पहले ही यहाँ तक पूछने लगे कि "भैया बहुत परेशान हूँ, क्या नियुक्ति बगल वाले स्कूल में मिलेगी या 10-12 किमी चलकर जाना भी पड़ेगा?"
इतना होने के बावजूद भी दि० 24 फरवरी 2016 तक 2.92 लाख में से लगभग मात्र 34 हजार लोगों ने घर से निकलना मुनासिब समझा बाकी अभी भी घरों में बैठकर मूंगफली तोड़ रहे थे, फिर जैसे ही 24 फरवरी को कोर्ट ने कंसीडर करने का आदेश दिया, लगभग 40 हजार लोग जो अभी तक मूंगफली खा रहे थे फिर दौड़ते-भागते पहुँच गये विभिन्न ग्रुप में पहुंचे "सर याची बना दो!"
साल भर आप सबके हितों के लिए न सिर्फ दर्जनों IA's और 3 रिट दाखिल की बल्कि शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण के विरुद्ध भी 3-3 याचिकाएं दाखिल हुयी! प्रति याची न्यायालय शुल्क व अधिवक्ता शुल्क के साथ याचिका एक्सेप्ट कराने से लेकर विभिन्न तिथियों पर होने वाली सुनवाई हेतु अधिवक्ताओं की व्यवस्था की गयी! और आज जब पहली बार आगामी सुनवाई के लिए वरिष्ठतम अधिवक्ता श्री नरीमन जी (फीस-12 लाख प्रतिदिन) के लिए न्यूनतम आर्थिक योगदान की अपेक्षा की गयी तो 22,000 याचियों में से सिर्फ 236 लोग ही सक्रीय दिखाई दिए और पिछले 7 दिनों में मात्र लगभग 1 लाख रूपये का योगदान ही प्राप्त हुवा! जबकि यदि आप स्वयं दिल्ली भी जाना चाहो तो जितना सहयोग माँगा जा रहा हैं, उतने में आपका किराया भी नहीं होगा, वकील और पैरवी की बात ही भूल जाओ,
कुछ फेसबुक के तफरीबाज जिन्हें पूर्व में किये गये आदेश के पन्नों की संख्या के अलावा केस का क ख ग घ भी नहीं पता फिर भी अपने को हरिश्चंद्र की बची खुची संतान समझते हैं और कुछ याची जो स्वयं को बड़ा चतुर सुजान समझते हैं और आजकल चद्दर के नीचे से न्यूज़ पढ़कर स्वयं को श्याना समझ रहे हैं वो निर्णायक सुनवाई में आपके भविष्य में आने वाली बाधाओं से भी अवगत हो लें
1. आपकी टेट प्रमाणपत्र की वैधता समाप्त हो चुकी हैं, जिसपर आगामी हियरिंग पर न्यायालय में विचार होना हैं!
2. NCTE अधिसूचना के अनुसार 72825 पदों की भर्ती के अतिरिक्त, बीएड वालों की प्राथमिक में नियुक्ति की समयावधि भी समाप्त हो चुकी हैं! व अधिसूचना के अनुसार बीटीसी वालों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए!
3. कोई भी नियुक्ति सृजित पदों के सापेक्ष उत्पन्न रिक्तियों पर ही होती हैं और वर्तमान में शिक्षामित्र उन रिक्तियों पर काबिज हैं, जब तक शिक्षामित्रों का समायोजन व प्रशिक्षण निरस्त नहीं होगा, आप सपने में भी नियुक्ति की बात मत करना!
4. याचियों की संख्या के बराबर ही बीटीसी प्रशिक्षित भी बैठे हैं जो कोर्ट में अपनी याचिका के साथ ताल ठोक रहे हैं, उनसे भी निपटना हैं, क्योंकि पात्रता और प्राथमिकता के वो भी दावेदार हैं!
5. और ये जो दूसरा तीसरा विज्ञापन की बात करते हैं, तो आप कभी उनके वकील के पास जाकर पूछों कि सर प्रदेश में सृजित पदों के सापेक्ष पद नहीं रिक्त हैं, क्या दूसरा विज्ञापन अस्तित्व रखता हैं, जबकी वह 2011 विज्ञापन का ही मॉडिफाइड version था? उत्तर नहीं मिलेगा !
6. शिक्षामित्र, जी सिस्टम में पहले से उपस्थित हैं, बगैर न्यायायिक आदेश के क्या कोई राजनीतिक दल इस वोट बैंक के खिलाफ जायेगा? सनद रहे कि आज तक किसी राजनीतिक दल ने आपको अपने मेनिफेस्टों तक में शामिल करना गवारां नहीं समझा!
एकतरफ आप शिक्षामित्रों से अधिक व संसार के एक्लोते पात्र होने का दम्भ भरते हो, शिक्षामित्रों के वकीलों वाली पोस्ट लाकर दिखाते हो, लेकिन शिक्षामित्रों की प्रति हियरिंग सहयोग वाली पोस्ट लाकर नहीं दिखाते!
न्यायालय में जब उपरोक्त बिन्दुवों पर आपका विपक्षी विद्वान अधिवक्ता स्वयं को हरसंभव सही सिद्ध करना आरम्भ करेगा तब सिर्फ और सिर्फ आपके writ और slp में लगे मजबूत दस्तावेज और उसकों रिप्रेजेंट करने का माद्दा रखने वाले अधिवक्ता ही विजय दिलाएंगे न कि ये फेसबुक पर हरिश्चंद्र की बची खुची स्वघोषित संताने, जो स्वयं को बड़ा होशियार समझ कर दिन भर इमानदार प्रयास करने वाले पैरवीकारों को लुटेरा सिद्ध करने में अपना सारा काम छोड़ कर बकलोली लिखते हैं! रही बात लिए जा रहे आर्थिक योगदान की, तो आशीष सिंह व अन्य जिलाप्रतिनिधियों के सुझाव व 12-13 लाख के अधिवक्ता को अनुबंधित करने के लिए ही मेरा अकाउंट जारी हुवा था, जिसका में प्रतिदिन अपडेट भी देता हूँ! व जो भी अधिवक्ता तय होगा, सारा पैसा उठाकर दे दूंगा! ब्रीफिंग में यदि उन्हें मेरी आवश्यकता महसूस होगी तो जाऊँगा अन्यथा आरम्भ से जुड़े हुए अपने अधिवक्ता को ही ब्रीफिंग में पूरा समय दे दूंगा!
आगे आप स्वयं समझदार हैं, यदि आप अपने भविष्य के लिए वास्तव में गंभीर होंगे तो सक्रीय होकर साथ देंगे अन्यथा जैसे पिछले पाँच वर्ष से मूंगफली तोड़ रहे थे, आगे भी तोड़ते रहियेगा! और दुसरे कर्मठ साथियों पर परजीवी बनकर अपना भी जीवन-यापन करिये! मुस्कराइए आप हिन्दुस्तान में रहते हैं! धन्यवाद्
______आपका दुर्गेश प्रताप सिंह
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
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इन्हीं के बीच कुछ जुझारू लोग भी थे जो अपने अधिकारों के लिए हाईकोर्ट के सिंगल बेंच, डबल बेंच, ट्रिपल बेंच और सुप्रीमकोर्ट तक येन-केन प्रकारेण लड़ते रहे, कुछ मेरे जैसे भी पनपे जिन्होंने संघर्ष की शुरुवात ही शिक्षामित्रों के समायोजन के प्रथम शासनादेश से की और हाईकोर्ट में वर्षों से विचाराधीन केस को 5 माह में निस्तारित करवाने में अपना सर्वोत्तम योगदान दिया! और इन जुझारुवों के सहयोगी भी ये ऑन रिकॉर्ड वाले 2.92 लाख वाले नहीं थे बल्कि 2-3 हजार सक्रीय लोग थे जो अपने अधिकारों के लिए अपने नेतृत्व के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर प्रयासरत थे!
हाईकोर्ट से मामला सुप्रीमकोर्ट के पश्चात् इन सक्रीय 2-3 हजार में से कुछ तो अपने मेरिट के आधार पर सेलेक्ट हो गये और कुछ रह गये वो दि० 07 दिसम्बर 2015 को न्यायालय द्वारा तदर्थ नियुक्ति के आदेश में शामिल हो गये (यद्यपि अभी भी कुछ सैकड़ा सक्रीय साथी छूट गये थे)! चुंकि मन मे एक ललक व सरकार की गलत नीतियों के विरुद्ध रोष था, इसलिए आपके जुझारू नेताओं ने आप सभी को भी याची बनाकर शिक्षामित्रों के विरुद्ध खड़ा कर न्याय दिलवाने की ठानी!
पिछले 5 वर्षों से जो लोग घरों में चद्दर के नीचे से डेली न्यूज़ पढ़कर चुपचाप सो जाते थे, वो अचानक से शक्तिमान बन गये और सैकड़ों किमी की यात्रा करके पहुँच गये याची बनने, कई तो ऐसे थे जो याची बनने के लिए रात 2-2 बजे कॉल कर रहे थे! जैसे सुप्रीमकोर्ट में नौकरी का प्रसाद बट रहा था और याची बनते ही नियुक्ति पत्र उनके मोबाइल नंबर पर दीपक मिश्रा जी मेसेज कर देंगे, कुछ तो याची बनने से पहले ही यहाँ तक पूछने लगे कि "भैया बहुत परेशान हूँ, क्या नियुक्ति बगल वाले स्कूल में मिलेगी या 10-12 किमी चलकर जाना भी पड़ेगा?"
इतना होने के बावजूद भी दि० 24 फरवरी 2016 तक 2.92 लाख में से लगभग मात्र 34 हजार लोगों ने घर से निकलना मुनासिब समझा बाकी अभी भी घरों में बैठकर मूंगफली तोड़ रहे थे, फिर जैसे ही 24 फरवरी को कोर्ट ने कंसीडर करने का आदेश दिया, लगभग 40 हजार लोग जो अभी तक मूंगफली खा रहे थे फिर दौड़ते-भागते पहुँच गये विभिन्न ग्रुप में पहुंचे "सर याची बना दो!"
साल भर आप सबके हितों के लिए न सिर्फ दर्जनों IA's और 3 रिट दाखिल की बल्कि शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण के विरुद्ध भी 3-3 याचिकाएं दाखिल हुयी! प्रति याची न्यायालय शुल्क व अधिवक्ता शुल्क के साथ याचिका एक्सेप्ट कराने से लेकर विभिन्न तिथियों पर होने वाली सुनवाई हेतु अधिवक्ताओं की व्यवस्था की गयी! और आज जब पहली बार आगामी सुनवाई के लिए वरिष्ठतम अधिवक्ता श्री नरीमन जी (फीस-12 लाख प्रतिदिन) के लिए न्यूनतम आर्थिक योगदान की अपेक्षा की गयी तो 22,000 याचियों में से सिर्फ 236 लोग ही सक्रीय दिखाई दिए और पिछले 7 दिनों में मात्र लगभग 1 लाख रूपये का योगदान ही प्राप्त हुवा! जबकि यदि आप स्वयं दिल्ली भी जाना चाहो तो जितना सहयोग माँगा जा रहा हैं, उतने में आपका किराया भी नहीं होगा, वकील और पैरवी की बात ही भूल जाओ,
कुछ फेसबुक के तफरीबाज जिन्हें पूर्व में किये गये आदेश के पन्नों की संख्या के अलावा केस का क ख ग घ भी नहीं पता फिर भी अपने को हरिश्चंद्र की बची खुची संतान समझते हैं और कुछ याची जो स्वयं को बड़ा चतुर सुजान समझते हैं और आजकल चद्दर के नीचे से न्यूज़ पढ़कर स्वयं को श्याना समझ रहे हैं वो निर्णायक सुनवाई में आपके भविष्य में आने वाली बाधाओं से भी अवगत हो लें
1. आपकी टेट प्रमाणपत्र की वैधता समाप्त हो चुकी हैं, जिसपर आगामी हियरिंग पर न्यायालय में विचार होना हैं!
2. NCTE अधिसूचना के अनुसार 72825 पदों की भर्ती के अतिरिक्त, बीएड वालों की प्राथमिक में नियुक्ति की समयावधि भी समाप्त हो चुकी हैं! व अधिसूचना के अनुसार बीटीसी वालों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए!
3. कोई भी नियुक्ति सृजित पदों के सापेक्ष उत्पन्न रिक्तियों पर ही होती हैं और वर्तमान में शिक्षामित्र उन रिक्तियों पर काबिज हैं, जब तक शिक्षामित्रों का समायोजन व प्रशिक्षण निरस्त नहीं होगा, आप सपने में भी नियुक्ति की बात मत करना!
4. याचियों की संख्या के बराबर ही बीटीसी प्रशिक्षित भी बैठे हैं जो कोर्ट में अपनी याचिका के साथ ताल ठोक रहे हैं, उनसे भी निपटना हैं, क्योंकि पात्रता और प्राथमिकता के वो भी दावेदार हैं!
5. और ये जो दूसरा तीसरा विज्ञापन की बात करते हैं, तो आप कभी उनके वकील के पास जाकर पूछों कि सर प्रदेश में सृजित पदों के सापेक्ष पद नहीं रिक्त हैं, क्या दूसरा विज्ञापन अस्तित्व रखता हैं, जबकी वह 2011 विज्ञापन का ही मॉडिफाइड version था? उत्तर नहीं मिलेगा !
6. शिक्षामित्र, जी सिस्टम में पहले से उपस्थित हैं, बगैर न्यायायिक आदेश के क्या कोई राजनीतिक दल इस वोट बैंक के खिलाफ जायेगा? सनद रहे कि आज तक किसी राजनीतिक दल ने आपको अपने मेनिफेस्टों तक में शामिल करना गवारां नहीं समझा!
एकतरफ आप शिक्षामित्रों से अधिक व संसार के एक्लोते पात्र होने का दम्भ भरते हो, शिक्षामित्रों के वकीलों वाली पोस्ट लाकर दिखाते हो, लेकिन शिक्षामित्रों की प्रति हियरिंग सहयोग वाली पोस्ट लाकर नहीं दिखाते!
न्यायालय में जब उपरोक्त बिन्दुवों पर आपका विपक्षी विद्वान अधिवक्ता स्वयं को हरसंभव सही सिद्ध करना आरम्भ करेगा तब सिर्फ और सिर्फ आपके writ और slp में लगे मजबूत दस्तावेज और उसकों रिप्रेजेंट करने का माद्दा रखने वाले अधिवक्ता ही विजय दिलाएंगे न कि ये फेसबुक पर हरिश्चंद्र की बची खुची स्वघोषित संताने, जो स्वयं को बड़ा होशियार समझ कर दिन भर इमानदार प्रयास करने वाले पैरवीकारों को लुटेरा सिद्ध करने में अपना सारा काम छोड़ कर बकलोली लिखते हैं! रही बात लिए जा रहे आर्थिक योगदान की, तो आशीष सिंह व अन्य जिलाप्रतिनिधियों के सुझाव व 12-13 लाख के अधिवक्ता को अनुबंधित करने के लिए ही मेरा अकाउंट जारी हुवा था, जिसका में प्रतिदिन अपडेट भी देता हूँ! व जो भी अधिवक्ता तय होगा, सारा पैसा उठाकर दे दूंगा! ब्रीफिंग में यदि उन्हें मेरी आवश्यकता महसूस होगी तो जाऊँगा अन्यथा आरम्भ से जुड़े हुए अपने अधिवक्ता को ही ब्रीफिंग में पूरा समय दे दूंगा!
आगे आप स्वयं समझदार हैं, यदि आप अपने भविष्य के लिए वास्तव में गंभीर होंगे तो सक्रीय होकर साथ देंगे अन्यथा जैसे पिछले पाँच वर्ष से मूंगफली तोड़ रहे थे, आगे भी तोड़ते रहियेगा! और दुसरे कर्मठ साथियों पर परजीवी बनकर अपना भी जीवन-यापन करिये! मुस्कराइए आप हिन्दुस्तान में रहते हैं! धन्यवाद्
______आपका दुर्गेश प्रताप सिंह
- 72825 भर्ती 2011.... कहाँ से चले और कहाँ आ गये ? नया विज्ञापन vs पुराना विज्ञापन
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