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बार-बार अनुकंपा नियुक्ति की मांग नहीं हो सकती: हाईकोर्ट

इलाहाबाद : हाईकोर्ट ने कहा है कि एक बार अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति मिल जाने के बाद दोबारा उससे बेहतर पद के लिए नियुक्ति की मांग करना अनुचित है। ऐसी प्रार्थना स्वीकार नहीं की जा सकती है, क्योंकि अनुकंपा नियुक्ति परिवार को आर्थिक संकट से तत्काल संबल देने के लिए दी जाती है।
याची पहले क्लास थ्री यानी तृतीय श्रेणी के पद पर लिखित परीक्षा में असफल हो गया, तब उसे चतुर्थ श्रेणी का पद दिया गया, जिसे उसने स्वीकार कर लिया। इसके बाद फिर प्रार्थना पत्र देकर कहा कि अब वह तृतीय श्रेणी पद के लिए अर्ह हो गया है इसलिए उसे तृतीय श्रेणी के पद पर नियुक्ति दी जाए। कोर्ट ने इस मांग को अनुचित माना है। 1 वाराणसी के राजकुमार सिंह की याचिका पर न्यायमूर्ति वीके शुक्ल और न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा की पीठ ने सुनवाई की। याची के पिता पुलिस विभाग में कांस्टेबल थे। सेवाकाल में ही उनकी मृत्यु हो गई। याची ने स्टेनो पद के लिए मृतक आश्रित कोटे में आवेदन किया, लेकिन टेस्ट में फेल हो गया। 1 उसे चतुर्थ श्रेणी पद पर नियुक्ति लेने का प्रस्ताव दिया गया, जिसे उसने स्वीकार कर लिया। इसके बाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की गई कि याची अब स्टेनो बनने योग्य अर्हता रखता है इसलिए उसे फिर से अवसर दिया जाए।
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