लखनऊ : भाजपा ने डेढ़ लाख रिक्त पदों पर भर्ती का वादा किया है। प्रशिक्षण केंद्रों की कमी देखते हुए इतनी जल्दी भर्ती प्रक्रिया पूरी कर पाना आसान नहीं है। पहले से भी चल रही भर्ती प्रक्रिया अदालती दांव-पेंच में उलझी है। एक बैच को प्रशिक्षण में कम से कम एक वर्ष की अवधि लगेगी।
चार हजार दारोगा और 18 हजार सिपाहियों के प्रशिक्षण की क्षमता
प्रदेश में दारोगा को प्रशिक्षित करने के लिए सिर्फ सीतापुर और मुरादाबाद में ट्रेनिंग कालेज हैं। प्रशिक्षण निदेशालय के पास एक बार में 2400 दारोगा को प्रशिक्षित करने की क्षमता है। अन्य संसाधनों के जरिए करीब चार हजार दारोगा को एक बार में प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसी प्रकार 18 हजार आरक्षी प्रशिक्षित किये जा सकते हैं लेकिन, प्रशिक्षण निदेशालय ने एक बार में 35 हजार रिक्रूटों को प्रशिक्षित कराया जाता है। ऐसे में रिक्त पदों की भर्ती समयबद्ध तरीके से इतना आसान नहीं है।
प्रशिक्षण केंद्रों की कमी सबसे बड़ी चुनौती : मेरठ, उन्नाव, गोरखपुर और मुरादाबाद में पुलिस ट्रेनिंग स्कूल है जबकि मीरजापुर के चुनार में रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर है। यहां सिपाहियों को प्रशिक्षित किया जाता है। सीतापुर और मुरादाबाद के पुलिस ट्रेनिंग कालेज में दारोगा को प्रशिक्षित किया जाता है जबकि इनसे ऊपर के अधिकारियों के लिए पुलिस अकादमी मुरादाबाद है। यहां डीएसपी को प्रशिक्षण मिलता है। सीतापुर में आर्म्स पुलिस ट्रेनिंग कालेज है। सुलतानपुर, कालपी और कासगंज में नये प्रशिक्षण स्कूल बन रहे हैं और आगरा के बाह और इटावा में प्रस्तावित हैं। इतने भर केंद्रों से प्रशिक्षण पूरा कर पाना आसान नहीं है।
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चार हजार दारोगा और 18 हजार सिपाहियों के प्रशिक्षण की क्षमता
प्रदेश में दारोगा को प्रशिक्षित करने के लिए सिर्फ सीतापुर और मुरादाबाद में ट्रेनिंग कालेज हैं। प्रशिक्षण निदेशालय के पास एक बार में 2400 दारोगा को प्रशिक्षित करने की क्षमता है। अन्य संसाधनों के जरिए करीब चार हजार दारोगा को एक बार में प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसी प्रकार 18 हजार आरक्षी प्रशिक्षित किये जा सकते हैं लेकिन, प्रशिक्षण निदेशालय ने एक बार में 35 हजार रिक्रूटों को प्रशिक्षित कराया जाता है। ऐसे में रिक्त पदों की भर्ती समयबद्ध तरीके से इतना आसान नहीं है।
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