नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार हर साल करीब 33 हजार पुलिस कर्मियों की भर्ती करेगी। चार साल में खाली पड़े सभी पदों को भर देगी। सोमवार को प्रदेश सरकार के पुलिस भर्ती रोडमैप को सुप्रीमकोर्ट ने मंजूर कर लिया। साथ ही कोर्ट ने प्रदेश सरकार को सचेत भी किया कि अगर कोर्ट को दी गई समय सीमा का पालन नहीं हुआ तो अधिकारी निजी तौर पर जिम्मेदार होंगे।
इतना ही नहीं हर साल भर्ती का विज्ञापन निकलने और रिजल्ट घोषित होने के बीच राज्य पुलिस भर्ती बोर्ड का अध्यक्ष नहीं बदला जाएगा। 1कोर्ट ने ये आदेश देश भर में पुलिस कर्मियों के खाली पड़े पदों का मुद्दा उठाने वाली वकील मनीष कुमार की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिये। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने पुलिस के खाली पड़े पदों पर नाराजगी जताते हुए यूपी सहित छह राज्यों के प्रमुख सचिव गृह को तलब किया था और पेश होकर रिक्तियां भरने का रोडमैप देने को कहा था। 1यूपी के प्रमुख सचिव गृह सोमवार को कोर्ट में पेश हुए। प्रदेश के वकील रवि प्रकाश मेहरोत्र ने कोर्ट के समक्ष भर्तियों का रोडमैप पेश करते हुए कहा कि चार साल में सारे पद भर दिये जाएंगे। पेश आंकड़ों के मुताबिक सब इंस्पेक्टर के कुल 11376 पद खाली हैं। इसके अलावा भविष्य में होने वाली रिक्तियों को देखते हुए सरकार हर साल 3200 सब इंस्पेक्टरों की भर्ती करेगी। सब इंस्पेक्टरों की भर्ती की शुरुआत अगले साल जनवरी से होगी। जनवरी में विज्ञापन निकलेगा और अक्टूबर में रिजल्ट घोषित होगा। उसके अगले वर्ष फरवरी 2019 से ट्रेनिंग शुरू होगी और जनवरी 2020 में टेनिंग खत्म होगी। यही प्रक्रिया चार साल तक अपनाई जाएगी सरकार का कहना है कि जनवरी 2022 तक सब इंस्पेक्टरों के सारे पद भर दिये जाएंगे। इसी तरह चार साल में 1.20 लाख सिपाहियों की भर्ती होगी। अभी प्रदेश में सिपाहियों के कुल 1.02 लाख पद खाली हैं। रिक्त पदों और भविष्य की रिक्तियों को देखते हुए हर साल करीब तीस हजार सिपाहियों की भर्ती होगी। ये प्रक्रिया तीन महीने बाद अगस्त से शुरू हो जाएगी। अगस्त में विज्ञापन निकलेगा और जून 2018 में रिजल्ट घोषित होगा। अक्टूबर 2018 में ट्रेनिंग शुरू होगी और सितंबर 2019 में ट्रेनिंग पूरी होगी। ये रोड मैप प्रदेश में ट्रेनिंग की क्षमता और उम्मीदवारों के भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए तैयार किया गया है। 1मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की पीठ ने आदेश दिया कि भर्ती प्रक्रिया के बीच में विज्ञापन से रिजल्ट तक भर्ती बोर्ड का अध्यक्ष नहीं बदला जाएगा। साथ ही स्पष्ट किया कि अगर रोड मैप में दी गई समयसीमा का पालन नहीं किया जाता तो कोर्ट में पेश हुए अधिकारी (प्रमुख सचिव गृह) निजी तौर पर जिम्मेदार होंगे।
इसके बाद कोर्ट के आदेश के मुताबिक पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, कर्नाटक और तमिलनाडु के अधिकारी अपने अपने रोड मैप लेकर पेश हुए। कोर्ट बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के रोड मैप से संतुष्ट नहीं हुआ कोर्ट ने इन राज्यों को यूपी की भांति ही भर्ती योजना की स्पष्ट रूप रेखा पेश करने का निर्देश दिया है। 1मामले में पिछली सुनवाई को पेश आंकड़ों के मुताबिक यूपी में करीब डेढ़ लाख, पश्चिम बंगाल में 37 हजार कर्नाटक में 24 हजार, झारखंड में 26 हजार, बिहार में 34 हजार और तमिलनाडु में 19 हजार पद खाली पड़े हैं। याचिका में 2015 का आंकड़ा दिया गया है जिसके मुताबिक देश भर में पुलिस के 5.42 लाख पद खाली पड़े हैं।
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
इतना ही नहीं हर साल भर्ती का विज्ञापन निकलने और रिजल्ट घोषित होने के बीच राज्य पुलिस भर्ती बोर्ड का अध्यक्ष नहीं बदला जाएगा। 1कोर्ट ने ये आदेश देश भर में पुलिस कर्मियों के खाली पड़े पदों का मुद्दा उठाने वाली वकील मनीष कुमार की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिये। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने पुलिस के खाली पड़े पदों पर नाराजगी जताते हुए यूपी सहित छह राज्यों के प्रमुख सचिव गृह को तलब किया था और पेश होकर रिक्तियां भरने का रोडमैप देने को कहा था। 1यूपी के प्रमुख सचिव गृह सोमवार को कोर्ट में पेश हुए। प्रदेश के वकील रवि प्रकाश मेहरोत्र ने कोर्ट के समक्ष भर्तियों का रोडमैप पेश करते हुए कहा कि चार साल में सारे पद भर दिये जाएंगे। पेश आंकड़ों के मुताबिक सब इंस्पेक्टर के कुल 11376 पद खाली हैं। इसके अलावा भविष्य में होने वाली रिक्तियों को देखते हुए सरकार हर साल 3200 सब इंस्पेक्टरों की भर्ती करेगी। सब इंस्पेक्टरों की भर्ती की शुरुआत अगले साल जनवरी से होगी। जनवरी में विज्ञापन निकलेगा और अक्टूबर में रिजल्ट घोषित होगा। उसके अगले वर्ष फरवरी 2019 से ट्रेनिंग शुरू होगी और जनवरी 2020 में टेनिंग खत्म होगी। यही प्रक्रिया चार साल तक अपनाई जाएगी सरकार का कहना है कि जनवरी 2022 तक सब इंस्पेक्टरों के सारे पद भर दिये जाएंगे। इसी तरह चार साल में 1.20 लाख सिपाहियों की भर्ती होगी। अभी प्रदेश में सिपाहियों के कुल 1.02 लाख पद खाली हैं। रिक्त पदों और भविष्य की रिक्तियों को देखते हुए हर साल करीब तीस हजार सिपाहियों की भर्ती होगी। ये प्रक्रिया तीन महीने बाद अगस्त से शुरू हो जाएगी। अगस्त में विज्ञापन निकलेगा और जून 2018 में रिजल्ट घोषित होगा। अक्टूबर 2018 में ट्रेनिंग शुरू होगी और सितंबर 2019 में ट्रेनिंग पूरी होगी। ये रोड मैप प्रदेश में ट्रेनिंग की क्षमता और उम्मीदवारों के भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए तैयार किया गया है। 1मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की पीठ ने आदेश दिया कि भर्ती प्रक्रिया के बीच में विज्ञापन से रिजल्ट तक भर्ती बोर्ड का अध्यक्ष नहीं बदला जाएगा। साथ ही स्पष्ट किया कि अगर रोड मैप में दी गई समयसीमा का पालन नहीं किया जाता तो कोर्ट में पेश हुए अधिकारी (प्रमुख सचिव गृह) निजी तौर पर जिम्मेदार होंगे।
इसके बाद कोर्ट के आदेश के मुताबिक पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, कर्नाटक और तमिलनाडु के अधिकारी अपने अपने रोड मैप लेकर पेश हुए। कोर्ट बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के रोड मैप से संतुष्ट नहीं हुआ कोर्ट ने इन राज्यों को यूपी की भांति ही भर्ती योजना की स्पष्ट रूप रेखा पेश करने का निर्देश दिया है। 1मामले में पिछली सुनवाई को पेश आंकड़ों के मुताबिक यूपी में करीब डेढ़ लाख, पश्चिम बंगाल में 37 हजार कर्नाटक में 24 हजार, झारखंड में 26 हजार, बिहार में 34 हजार और तमिलनाडु में 19 हजार पद खाली पड़े हैं। याचिका में 2015 का आंकड़ा दिया गया है जिसके मुताबिक देश भर में पुलिस के 5.42 लाख पद खाली पड़े हैं।
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines