अब इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि शिक्षा मित्र किस स्तर की सोच रखते हैं

साथियों कल एक शिक्षा मित्राइन के पति से मिलना हुआ , उनकी सोच को देख कर बढ़ा आश्चर्य हुआ , उनका सोचना ये था कि ऑर्डर आए न आए , हमें तो सैलरी मिल ही रही है , और इसके साथ ही चाहत ऐसी कि वो
चाहते ही नहीं कि ऑर्डर आए , अब इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि शिक्षा मित्र किस स्तर की सोच रखते हैं , और दम ऐसे भरते हैं कि sc से जीतने से इन्हें कोई नहीं रोक सकता , जबकि हकीकत ये है कि इनकी इमारत झूठ की बुनियाद पर टिकी है , जो एक न एक दिन sc से भी गिरनी ही है , और ऊपर से अहम इतना जिसमें ये रावण को भी फैल कर दें , पर अब इसका अंत निश्चित है , कोई ताकत इनको नहीं बचा सकती , पहले शिक्षा मित्र सुनबाई से भागते थे , अब चाहते हैं कि फ़ैसला ही न आए , ये इनके अंत की पहचान है , जैसे दिया बुझने से पहले फड़फड़ाता है , वही फड़फड़ाहट है , और कुछ दिन की बात , ऑर्डर तो आएगा ही , सबसे बड़ी दिक्कत ये कि ये लोग सबको अपना ग़ुलाम समझते हैं , और सोच ऐसी रखते हैं कि सब इनकी उंगली पर नाचेंगे , इन्होंने जब फैसला इनके विपरीत आया तब न्यायलय का सम्मान नहीं किया , जो अब करेंगे , अबकि तैयार रहो इससे भी बुरे हस्र के लिए ।
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