30 से 40 बच्चों पर एक शिक्षक का मानक
नगर और ग्रामीण क्षेत्र मिलाकर जिले में कुल 1840 स्कूल हैं। जिसमें पढ़ाने के लिए नियमित शिक्षकों की संख्या 5,700 है। 2310 शिक्षामित्र भी इन स्कूलों में पढ़ाते हैं। सभी स्कूलों में पढ़ने वाले कुल बच्चों की संख्या लगभग दो लाख है। इन स्कूलों में पढ़ाने के लिए लगभग 6,600 शिक्षकों की जरूरत है।
जबकि शिक्षामित्र और शिक्षकों की संख्या मिला लें तो यह इससे ज्यादा होती है। इसके बावजूद शहर में भारी संख्या में ऐसे स्कूल हैं जहां शिक्षकों की कमी है। इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि यहां काफी संख्या में ऐसे शिक्षक हैं जो कई साल से जमे हैं। जबकि उनके मुकाबले में स्कूल में बच्चे आधे भी नहीं हैं।
• प्राथमिक विद्यालय पीरनगर में 733 बच्चों पर 4 शिक्षक हैं, प्राथमिक विद्यालय मुसाहेबगंज में 246 बच्चों पर 4 शिक्षक हैं, प्राथमिक विद्यालय आलमनगर में 201 बच्चों पर 3 शिक्षक, प्राथमिक विद्यालय माधवपुर में 294 बच्चों पर 3 शिक्षक, प्राथमिक विद्यालय छावनी मड़ियांव में 197 बच्चों पर 3 शिक्षक, प्राथमिक विद्यालय मटियारी में 234 बच्चों पर 3 शिक्षक, प्राथमिक विद्यालय गरौरा में 37 बच्चों पर 1 शिक्षक तैनात है।
• प्राथमिक विद्यालय लाहौरगंज में 65 बच्चों पर 3 शिक्षक, छितवापुर हुसैनगंज में 65 बच्चों पर 3 शिक्षक, रस्सीबटान में 40 बच्चों पर 3 शिक्षक, नरही में 69 बच्चों पर 4 शिक्षक, प्राथमिक विद्यालय अमौसी-3 में 16 बच्चों पर तीन शिक्षक तैनात हैं।
• कानपुर रोड स्थित प्राथमिक विद्यालय कनौसी 2 में कुल 53 बच्चे हैं जिन्हें पढ़ाने के लिए 5 शिक्षक हैं। इसके विपरीत प्राथमिक विद्यालय बंदी खेड़ा में 134 पर एक शिक्षक ही तैनात है।
ये तीन उदाहरण शहर के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षा की दोहरी नीति को दर्शाते हैं। जहां शहर की प्राइम लोकेशन पर जरूरत से ज्यादा शिक्षक सालों से जमे हुए हैं तो वहीं शहर के ही दूसरे इलाकों में अकेला शिक्षक पांच-पांच शिक्षकों का काम करने को मजबूर है। लखनऊ के नगर क्षेत्र में कुल 252 प्राइमरी व जूनियर स्कूल हैं। इसमें लगभग 640 शिक्षक तैनात हैं। शिक्षा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 30 से अधिक स्कूल ऐसे हैं जहां जरूरत से ज्यादा शिक्षक तैनात है। ऐसे में इन शिक्षकों का दूसरे स्कूलों में समायोजन की जरूरत है। इसके बावजूद यह शिक्षक यहां कई साल से जमे हैं।
• शहर के स्कूलों के शिक्षकों को दूसरे स्कूलों में समायोजन के लिए इस बार शुरुआत में एक सूची तैयार करवाई गई थी। जैसे ही इस सूची का पता शिक्षकों को चला तो उन्होंने हाई कोर्ट में इसके विरोध में एक रिट डाल दी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का भी कहना है कि केस में कुछ दम नहीं है लेकिन अब इसके खत्म होने के बाद ही समायोजन किए जा सकेंगे।
• प्राथमिक विद्यालय स्कूटर इंडिया में कुल 42 बच्चे हैं इसके मुकाबले 5 शिक्षक स्कूल में जमे हुए हैं। इसके विपरीत सरोजनीनगर के प्राथमिक विद्यालय सालेहनगर में 148 बच्चों पर मात्र 1 शिक्षक ही है।
समायोजन की सूची तैयार हो गई है। शिक्षामित्रों का मामला शांत होते ही समायोजन होगा, जबकि नगर क्षेत्र में कोर्ट से मामला निस्तारित होने की कगार पर है। इसके बाद इसमें भी समायोजन होगा।
-प्रवीण मणि त्रिपाठी, बीएसए•जीशान हुसैन राईनी, लखनऊ
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नगर और ग्रामीण क्षेत्र मिलाकर जिले में कुल 1840 स्कूल हैं। जिसमें पढ़ाने के लिए नियमित शिक्षकों की संख्या 5,700 है। 2310 शिक्षामित्र भी इन स्कूलों में पढ़ाते हैं। सभी स्कूलों में पढ़ने वाले कुल बच्चों की संख्या लगभग दो लाख है। इन स्कूलों में पढ़ाने के लिए लगभग 6,600 शिक्षकों की जरूरत है।
जबकि शिक्षामित्र और शिक्षकों की संख्या मिला लें तो यह इससे ज्यादा होती है। इसके बावजूद शहर में भारी संख्या में ऐसे स्कूल हैं जहां शिक्षकों की कमी है। इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि यहां काफी संख्या में ऐसे शिक्षक हैं जो कई साल से जमे हैं। जबकि उनके मुकाबले में स्कूल में बच्चे आधे भी नहीं हैं।
• प्राथमिक विद्यालय पीरनगर में 733 बच्चों पर 4 शिक्षक हैं, प्राथमिक विद्यालय मुसाहेबगंज में 246 बच्चों पर 4 शिक्षक हैं, प्राथमिक विद्यालय आलमनगर में 201 बच्चों पर 3 शिक्षक, प्राथमिक विद्यालय माधवपुर में 294 बच्चों पर 3 शिक्षक, प्राथमिक विद्यालय छावनी मड़ियांव में 197 बच्चों पर 3 शिक्षक, प्राथमिक विद्यालय मटियारी में 234 बच्चों पर 3 शिक्षक, प्राथमिक विद्यालय गरौरा में 37 बच्चों पर 1 शिक्षक तैनात है।
• प्राथमिक विद्यालय लाहौरगंज में 65 बच्चों पर 3 शिक्षक, छितवापुर हुसैनगंज में 65 बच्चों पर 3 शिक्षक, रस्सीबटान में 40 बच्चों पर 3 शिक्षक, नरही में 69 बच्चों पर 4 शिक्षक, प्राथमिक विद्यालय अमौसी-3 में 16 बच्चों पर तीन शिक्षक तैनात हैं।
• कानपुर रोड स्थित प्राथमिक विद्यालय कनौसी 2 में कुल 53 बच्चे हैं जिन्हें पढ़ाने के लिए 5 शिक्षक हैं। इसके विपरीत प्राथमिक विद्यालय बंदी खेड़ा में 134 पर एक शिक्षक ही तैनात है।
ये तीन उदाहरण शहर के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षा की दोहरी नीति को दर्शाते हैं। जहां शहर की प्राइम लोकेशन पर जरूरत से ज्यादा शिक्षक सालों से जमे हुए हैं तो वहीं शहर के ही दूसरे इलाकों में अकेला शिक्षक पांच-पांच शिक्षकों का काम करने को मजबूर है। लखनऊ के नगर क्षेत्र में कुल 252 प्राइमरी व जूनियर स्कूल हैं। इसमें लगभग 640 शिक्षक तैनात हैं। शिक्षा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 30 से अधिक स्कूल ऐसे हैं जहां जरूरत से ज्यादा शिक्षक तैनात है। ऐसे में इन शिक्षकों का दूसरे स्कूलों में समायोजन की जरूरत है। इसके बावजूद यह शिक्षक यहां कई साल से जमे हैं।
• शहर के स्कूलों के शिक्षकों को दूसरे स्कूलों में समायोजन के लिए इस बार शुरुआत में एक सूची तैयार करवाई गई थी। जैसे ही इस सूची का पता शिक्षकों को चला तो उन्होंने हाई कोर्ट में इसके विरोध में एक रिट डाल दी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का भी कहना है कि केस में कुछ दम नहीं है लेकिन अब इसके खत्म होने के बाद ही समायोजन किए जा सकेंगे।
• प्राथमिक विद्यालय स्कूटर इंडिया में कुल 42 बच्चे हैं इसके मुकाबले 5 शिक्षक स्कूल में जमे हुए हैं। इसके विपरीत सरोजनीनगर के प्राथमिक विद्यालय सालेहनगर में 148 बच्चों पर मात्र 1 शिक्षक ही है।
समायोजन की सूची तैयार हो गई है। शिक्षामित्रों का मामला शांत होते ही समायोजन होगा, जबकि नगर क्षेत्र में कोर्ट से मामला निस्तारित होने की कगार पर है। इसके बाद इसमें भी समायोजन होगा।
-प्रवीण मणि त्रिपाठी, बीएसए•जीशान हुसैन राईनी, लखनऊ
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