जागरण संवाददाता, उरई : टीईटी 2011 उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने रविवार को यहां आए प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को ज्ञापन देकर नियुक्ति के साथ ही उनके टीईटी प्रमाणपत्र की वैधता बढ़वाए जाने की मांग की।
अभ्यर्थियों ने उप मुख्यमंत्री को याद दिलाया कि उन्होंने वर्ष 2015 में लोकसभा में दिए भाषण के दौरान तत्कालीन प्रदेश सरकार पर मनमानी करते हुए योग्य शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण नौजवानों की नियुक्ति न करने का आरोप लगाया था। उनको यह भी विदित है कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा शिक्षामित्रों के अवैध समायोजन के कारण टीईटी उत्तीर्ण आवेदकों का हित प्रभावित हुआ है। भाजपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय ने भी टीईटी धारकों के मामले को सड़क से लेकर संसद तक उठाया। परिणामस्वरूप विधानसभा चुनाव में टीईटी संघर्ष मोर्चा ने भाजपा के पक्ष में जबर्दस्त प्रचार अभियान चलाया। उन्होंने कहा कि 7 दिसंबर 2012 को बीएड टीईटी उत्तीर्ण लोगों के लिए विज्ञापन निकाला गया था। इसके लिए प्रत्येक जिले से 500 रुपये शुल्क भी लिया गया। एक दिन काउंसिलिंग भी हुई लेकिन सरकार की गलत नीति के कारण मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को काउंसिलिंग प्रक्रिया पुन: शुरू कराए जाने का विचार करने का आदेश दिया, लेकिन अधिकारियों द्वारा गलत तरीके से सरकार को गुमराह किया जा रहा है। इससे आवेदक खुद को छला हुआ महसूस कर रहे हैं। उनके परिवार भुखमरी की कगार पर हैं। उन्होंने मांग की कि टीईटी 2011 के प्रमाणपत्रों की वैधता बढ़ाते हुए प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के रिक्त पदों पर नियुक्ति दी जाए। जिलाध्यक्ष राहुल मिश्र, अजब सिंह राठौर, मनोज बाथम, रणजीत सिंह, अरुण कुमार मौजूद रहे।
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अभ्यर्थियों ने उप मुख्यमंत्री को याद दिलाया कि उन्होंने वर्ष 2015 में लोकसभा में दिए भाषण के दौरान तत्कालीन प्रदेश सरकार पर मनमानी करते हुए योग्य शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण नौजवानों की नियुक्ति न करने का आरोप लगाया था। उनको यह भी विदित है कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा शिक्षामित्रों के अवैध समायोजन के कारण टीईटी उत्तीर्ण आवेदकों का हित प्रभावित हुआ है। भाजपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय ने भी टीईटी धारकों के मामले को सड़क से लेकर संसद तक उठाया। परिणामस्वरूप विधानसभा चुनाव में टीईटी संघर्ष मोर्चा ने भाजपा के पक्ष में जबर्दस्त प्रचार अभियान चलाया। उन्होंने कहा कि 7 दिसंबर 2012 को बीएड टीईटी उत्तीर्ण लोगों के लिए विज्ञापन निकाला गया था। इसके लिए प्रत्येक जिले से 500 रुपये शुल्क भी लिया गया। एक दिन काउंसिलिंग भी हुई लेकिन सरकार की गलत नीति के कारण मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को काउंसिलिंग प्रक्रिया पुन: शुरू कराए जाने का विचार करने का आदेश दिया, लेकिन अधिकारियों द्वारा गलत तरीके से सरकार को गुमराह किया जा रहा है। इससे आवेदक खुद को छला हुआ महसूस कर रहे हैं। उनके परिवार भुखमरी की कगार पर हैं। उन्होंने मांग की कि टीईटी 2011 के प्रमाणपत्रों की वैधता बढ़ाते हुए प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के रिक्त पदों पर नियुक्ति दी जाए। जिलाध्यक्ष राहुल मिश्र, अजब सिंह राठौर, मनोज बाथम, रणजीत सिंह, अरुण कुमार मौजूद रहे।
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