संवाद सहयोगी, हाथरस : पिछले कुछ समय में फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार
पर नौकरी पाने वाले पांच शिक्षकों को नोटिस देने के बाद बीएसए ने सेवा
समाप्त की थी। संबांधित ब्लाक के खंड शिक्षा अधिकारी के माध्यम से उनके
खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जानी थी, लेकिन किसी भी खंड शिक्षा अधिकारी ने
रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई।
अब पांचों शिक्षकों के खिलाफ रिपोर्ट लिखाने की
जिम्मेदारी बीएसए ने उठा ली है।
प्राथमिक विद्यालय परसारा में तैनात रही शिक्षिका नगमा हसन की तैनाती
सहायक अध्यापिका के पद पर 15 मार्च 2016 को हुई थी। नियुक्ति के समय जो
प्रमाणपत्र लगाए थे, उसमें जन्मतिथि एक जनवरी 1980 थी। सत्यापन कराया गया
तो जन्मतिथि एक जनवरी 1984 निकली। प्राथमिक विद्यालय गढ़ी गिरधरा में तैनात
रहे शिक्षक बाबूजी की नियुक्ति मृतक आश्रित कोटे में पांच फरवरी 2011 को
हुई। जांच कराने पर पता चला कि फर्जी वारिसान प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी
हासिल की थी। शिक्षामित्र अमर ¨सह का समायोजन सहायक अध्यापक के पद पर
प्राथमिक विद्यालय बास पहुपी में हुआ था। इनके प्रमाण पत्र में 24 मार्च
1969 जन्मतिथि थी, जबकि सत्यापन कराने के बाद जन्मतिथि 24 जनवरी 1973 पाई
गई इन तीनों शिक्षकों को अंतिम नोटिस जारी करने के बाद 12 अप्रैल 2017 को
बर्खास्त कर दिया गया।
उच्च प्राथमिक विद्यालय फरसौटी में तैनात शिक्षक मनोज शर्मा की तैनाती
एक दिसंबर 1988 को सहायक अध्यापक के पद पर हुई थी। मृतक आश्रित कोटे में
नौकरी पाई थी। जो वारिसान प्रमाण पत्र लगाया था वह फर्जी था। पिता की मौत
1973 में दिखाई गई, जबकि नौकरी 1988 में लगी, जबकि विभागीय नियम के अनुसार
पांच साल के अंदर ही मृतक आश्रित का लाभ मिल सकता है। इस शिक्षक की 13
फरवरी 2018 में सेवा समाप्त कर दी गई। सरस्वती देवी की तैनाती कथरिया के
विद्यालय में थी। शिक्षिका ने अपनी मर चुकी सहेली के प्रमाण पत्रों पर
नौकरी 1996 में हासिल की थी। शिकायत होने के बाद जब जांच कराई गई तो हकीकत
सामने आई। इनकी भी सेवा समाप्त कर दी गई। अब इन सभी बर्खास्त शिक्षकों के
खिलाफ बीएसए की ओर से रिपोर्ट दर्ज कराई जा रही है।
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