Breaking Posts

Top Post Ad

सुप्रीम कोर्ट के वो तीन फैसले, जिनके खिलाफ छिड़ा विरोध प्रदर्शन

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा एससी/एसटी एक्ट में बदलाव के विरोध में सोमवार को दलित संगठन देशभर में प्रदर्शन कर रहे हैं। आपको बता दें कि ये पहला मौका नहीं है, जब देश की सर्वोच्‍च न्‍यायालय के फैसले के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इससे पहले भी कोर्ट के आदेश के विरोध में प्रदर्शन हुए हैं।
आइए हम आपको एससी के फैसले के खिलाफ हाल में हुए प्रदर्शन के बारे में बताते हैं।  

केस-1

20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एससी/एसटी एक्ट में कई बदलाव हुए थे। जिसके बाद केंद्र सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि अदालत में इस मामले पर मजबूती से पक्ष नहीं रखा गया। कोर्ट के फैसले और सरकार के खिलाफ आज दलित संगठनों की तरफ से भारत बंद बुलाया गया।





सुप्रीम कोर्ट ने किए ये बदलाव-

    सुप्रीम कोर्ट ने SC-ST एक्ट के दुरुपयोग पर चिंता जताई थी।

    SC-ST एक्ट में सीधे गिरफ्तारी नहीं करने का आदेश दिया है।

    पुलिस को सात दिन के अंदर जांच के बाद कार्रवाई का आदेश है।

    SC- ST एक्ट में गिरफ्तारी के लिए एसएसपी की मंजूरी जरूरी होगी।

    SC-ST एक्ट के तहत दर्ज केस में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दी गई है।

    एक्ट के तहत सरकारी अधिकारी गिरफ्तारी के लिए उच्च अधिकारी से मंजूरी जरूरी होगी।

भारत बंद का आह्वान

भारत बंद के आह्वान पर देश के अलग-अलग शहरों में दलित संगठन और उनके समर्थकों ने ट्रेन रोकीं और सड़कों पर जाम लगाया। उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में तोड़फोड़, जाम और आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं। मध्यप्रदेश और राजस्थान के अलग-अलग इलाकों में हालात काफी नाजुक हैं। एमपी में अब तक पांच और राजस्थान में एक व्यक्ति की मौत हो गई है, जबकि राजस्थान के बाडमेर में एक हिंसक झड़प में 25 लोग घायल हुए हैं।

केस-2

हाल में संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत के खिलाफ भी विरोध प्रदर्शन हुए। फिल्‍म पद्मावत पर चार राज्यों में बैन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में बहस हुई। सुप्रीम कोर्ट ने चार राज्यों में बैन को असंवैधानिक करार दे दिया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की बेंच ने कहा, राज्यों में कानून व्यवस्था बनाना राज्यों की जिम्मेदारी है। यह राज्यों का संवैधानिक दायित्व हैं। संविधान की आर्टिकल 21 के तहत लोगों को जीवन जीने और स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है। बेंच ने राज्यों के नोटिफिकेशन को गलत बताया।





सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इस नोटिफिकेशन से आर्टिकल 21 के तहत मिलने वाले अधिकारों का हनन होता है। यह राज्यों का दायित्व है कि वह कानून व्यवस्था बनाए। राज्यों की यह भी जिम्मेदारी है कि फिल्म देखने जाने वाले लोगों को सुरक्षित माहौल मिले। इससे पहले अटार्नी जनरल ने राज्यों का पक्ष रखने के लिए सोमवार का वक्त मांगा, लेकिन कोर्ट ने राज्यों के नोटिफिकेशन पर स्थगन दे दिया।

बावजूद इसके देशभर में पद्मावत के रिलीज होने पर हिंसक प्रदर्शन हुए। गा‍ड़ियों-बसों में आग लगा दी गई, कई दुकानें और सिनेमाहाल में तोड़फोड़ की गई।

केस-3

तीसरा मामला शिक्षामित्रों के समायोजन रद्द होने का है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रदेश के शिक्षा मित्रों की नियुक्ति रद्द करने के बाद शिक्षामित्रों का आंदोलन अनवरत जारी है। शिक्षा मित्रों ने यूपी में अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया और सरकार से जल्द उनके मामले में निर्णय लेने की अपील की।





दरअसल,  2014 में पिछली अखिलेश सरकार ने उत्तर प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों में तैनात शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक पद पर नियुकित दे दी थी। जिसके विरोध में बीएड एवम टीईटी परीक्षा पास अभ्यर्थियों ने इलाहबाद हाई कोर्ट में इन नियुक्तियों के खिलाफ रिट दाखिल की थी। जिस पर हाईकोर्ट ने इन नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। उसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और कोर्ट ने अपने अंतिम फैसले में इलाहबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों के समायोजन को रद्द करने के फैसले को सही ठहराए जाने के बाद पूरे प्रदेश भर में कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सहायक शिक्षकों ने प्रदर्शन किया। यूपी के तमाम जिलों से कोर्ट के फैसले के खिलाफ शिक्षामित्रों के विरोध प्रदर्शन की खबरें आईं। कुछ जिलों जैसे- कन्नौज, गाजीपुर, लखीमपुर खीरी, बस्ती, एटा, मिर्जापुर आदि से उनकी मौत की भी खबरें आईं।
sponsored links:

No comments:

Post a Comment

Facebook