भाई और बहन को भी शिक्षक बनवा दिया। शादी हुई तो पत्नी को भी शिक्षक बनवा दिया। इसके बाद साले और साली भी शिक्षक हो गए। यह स्थित गिरोह के सहयोगियों की भी रही। जडे़ पूरी तरह से जमने के बाद राया ब्लॉक सहित आसपास के लोगों को मथुरा के साथ प्रदेश के अनेक जनपदों में नियुक्तियां करा दी गई हैं। 10 से 15 लाख के इस खेल में अब यह गिरोह भूमिगत हो गया है।
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- 2004 में शिक्षामित्रों की नियुक्तियों हेतु जारी विज्ञप्ति: इसी विज्ञप्ति के आधार पर हुआ था शिक्षामित्रों की का चयन
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भैया-भाभी ही नहीं साले-साली भी बन गए मास्टरजी
मथुरा। जनपद के शिक्षक भर्ती गिरोह ने परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की
नौकरी रेवड़ी की भांति बांटी हैं। मथुरा में व्यवस्था नहीं बनी तो पड़ोसी
जनपद हाथरस सहित अन्य जनपदों में लगवा दीं। भैया-भाभी हीं नहीं, साले-साली
को भी परिषदीय शिक्षक बनवा दिया। अब ऐसे सभी लोग विभागीय चर्चाओं में हैं।
शिक्षक भर्ती गिरोह का नेटवर्क बेसिक शिक्षा विभाग में इस कदर गहरी जडे़ड्ड
जमाए हैं कि नौकरियां रेबड़ी की भांति बांटी गई हैं। चार साल के दौरान इस
गिरोह के सदस्यों ने पहले खुद को शिक्षक बनाया फिर निकट के रिश्तेदारों को
नियुक्ति दिला दीं। हालांकि विभाग में चर्चाएं हैं कि इस गिरोह के मुख्य
सदस्यों को मथुरा में जब नियुक्ति का मौका नहीं मिला तो अधिक मेरिट वाले
पड़ोसी जनपद हाथरस में प्रमाण पत्रों की कलाकारी से शिक्षक की नौकरी पा ली।
भाई और बहन को भी शिक्षक बनवा दिया। शादी हुई तो पत्नी को भी शिक्षक बनवा दिया। इसके बाद साले और साली भी शिक्षक हो गए। यह स्थित गिरोह के सहयोगियों की भी रही। जडे़ पूरी तरह से जमने के बाद राया ब्लॉक सहित आसपास के लोगों को मथुरा के साथ प्रदेश के अनेक जनपदों में नियुक्तियां करा दी गई हैं। 10 से 15 लाख के इस खेल में अब यह गिरोह भूमिगत हो गया है।
भाई और बहन को भी शिक्षक बनवा दिया। शादी हुई तो पत्नी को भी शिक्षक बनवा दिया। इसके बाद साले और साली भी शिक्षक हो गए। यह स्थित गिरोह के सहयोगियों की भी रही। जडे़ पूरी तरह से जमने के बाद राया ब्लॉक सहित आसपास के लोगों को मथुरा के साथ प्रदेश के अनेक जनपदों में नियुक्तियां करा दी गई हैं। 10 से 15 लाख के इस खेल में अब यह गिरोह भूमिगत हो गया है।