बेसिक शिक्षा विभाग में बगैर शिक्षामित्र रहे ही सहायक अध्यापक के पद पर
समायोजन कराकर 26 माह तक वेतन लेने वाले 19 फर्जी शिक्षामित्रों के खिलाफ
मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया गया है। डीएम के आदेश पर बीएसए ने सभी खंड
शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर संबंधित थाने में मुकदमा पंजीकृत कराने
को कहा है। अमर उजाला ने ही इस फर्जीवाड़े को उजागर किया था।
बेसिक शिक्षा विभाग में 19 लोगों के बगैर शिक्षामित्र रहे ही सहायक अध्यापक
पद पर समायोजन कराने और 26 माह तक वेतन लेने के मामले को लेकर जिला
प्रशासन गंभीर हो गया है। एक मई 2015 को शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद
समायोजन के बाद दूसरे चरण की तैनाती में हुए इस खेल में 19 ऐेसे लोगों को
सहायक अध्यापक बना दिया गया था, जो वास्तव में शिक्षामित्र ही नहीं थे। इस
खेल का खुलासा उस समय हुआ, जब सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई 2017 को
शिक्षामित्रों के समायोजन को रद्द कर दिया। शिक्षामित्रों के मूल स्कूलों
में वापसी का आदेश जारी होने पर 19 शिक्षामित्र ऐसे मिले, जिनका कोई
विद्यालय ही नहीं था। शुरू में बेसिक शिक्षा विभाग के बाबू और अफसर इस
मामले को दबाने में लगे रहे। अमर उजाला ने शिक्षक भर्ती में हुए इस
फर्जीवाड़े को प्रमुखता के साथ उठाया था। इस पर विभाग ने फर्जीवाड़े में
शामिल लोगों के घर नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण तलब किया, मगर किसी का जवाब नहीं
आया। इस पर डीएम शंभु कुमार ने बीएसए को मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया
था। बीएसए ने सोमवार को खंड शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर संबंधित
थानों में फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का
निर्देश दिया है।
26 माह में 1.97 करोड़ का लगाया था चूना
सहायक अध्यापक बनने वाले 19 फर्जी शिक्षामित्रों ने 26 माह नौकरी करके
सरकार को 1,97,60,000 रुपये का चूना लगाया। अफसरों की मिलीभगत का आलम यह
रहा कि तैनाती के बाद सत्यापन भी नहीं कराया गया और वेतन बिल पास कर खाते
में भुगतान कर दिया।
विभाग की जांच में 19 फर्जी शिक्षामित्र मिले हैं। विभागीय जांच में इस बात
का खुलासा हुआ है कि इन लोगों को शिक्षामित्र बनाया ही नहीं गया था और
समायोजन के दौरान फर्जी सहायक अध्यापक बन गए थे। व्यक्तिगत नोटिस के बाद भी
कोई स्पष्टीकरण देने नहीं आया। सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर
संबंधित थाने में मुकदमा दर्ज कराने को कहा गया है।
अशोक कुमार सिंह, बीएसए।